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आंध्र में TDP की आंधी, 5 साल बाद सत्ता में कमबैक, मोदी 3.0 में होगा अहम रोल

आंध्र प्रदेश की 25 लोकसभा सीटों में से TDP ने 16 सीटें जीत हासिल कर ली हैं. वहीं जगन मोहन रेड्डी की YSRCP महज 4 सीटों पर सिमट गई है. अगर बात बीजेपी की करें तो भगवा पार्टी के खाते में 3 तो पवन कल्याण की जनसेना पार्टी ने 2 सीटें जीत ली हैं.

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चंद्रबाबू नायडू आंध्र प्रदेश की सत्ता में वापसी करती दिख रही है (फाइल फोटो- पीटीआई)
चंद्रबाबू नायडू आंध्र प्रदेश की सत्ता में वापसी करती दिख रही है (फाइल फोटो- पीटीआई)

आंध्र प्रदेश के लिए आज का दिन बेहद महत्वपूर्ण है. एक ओर सूबे की सत्ता में चंद्रबाबू नायडू ने 5 साल बाद वापसी कर ली है. साथ ही लोकसभा चुनाव में भी TDP ने बड़ा उलटफेर किया है. चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी (TDP) 25 में से 16 सीटों पर जीत गई है.ऐसे में माना जा रहा है कि वह केंद्र में मोदी सरकार बनाने में अहम रोल निभा सकते हैं. क्योंकि बीजेपी बहुमत का आंकड़ा भी नहीं छू पाई है. बीजेपी 240 सीटों पर ही जीत सकी है. ऐसे में अगर एनडीए केंद्र में सत्ता बनाने की ओर बढ़ती है तो TDP बेहद अहम किरदार निभा सकती है. वहीं, विधानसभा चुनाव के नतीजों की बात करें तो सूबे की 175 विधानसभा सीटों में से टीडीपी 135 सीटें जीत चुकी है.

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 आंध्र प्रदेश में चुनाव 13 मई को लोकसभा चुनाव के साथ ही हुए थे. मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व में YSRCP ने आंध्र प्रदेश की सभी 175 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जबकि NDA के तहत टीडीपी ने 144, जनसेना पार्टी 21 सीटों पर और बीजेपी ने 10 सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ा था. वहीं, लोकसभा की 25 सीटों का बंटवारा कुछ इस तरह हुआ था, TDP ने  17, बीजेपी ने 6 और जनसेना पार्टी ने 2 सीटों पर चुनाव लड़ा था. अब चुनाव परिणाम सामने आने के बाद ये साफ हो गया है कि चंद्रबाबू नायडू लोकप्रिय नेता बनकर उभरे हैं. आंध्र की जनता ने TDP को विधानसभा और लोकसभा दोनों में अपनाया है. इस तरह आंध्र में TDP की आंधी चल रही है. 

राजनीति के जानकारों की मानें एक साल तक आंध्र में सबकुछ जगन मोहन रेड्डी के पक्ष में था. जनता में भी उनकी काफी लोकप्रियता थी, लेकिन पिछले साल पूर्व सीएम चंद्रबाबू नायडू की गिरफ्तारी टर्निंग प्वॉइंट साबित हुई. इससे जनता में नायडू को लेकर जबर्दस्त सहानुभूति पैदा हुई और उसका सीधा असर चुनाव में दिखा. पिछले साल जब चंद्रबाबू नायडू को गिरफ्तार किया गया और उसके बाद पवन कल्याण ने उनसे मुलाकात की, उससे पूरा मोमेंटम बदल गया. जगन मोहन रेड्डी ने जो कुछ भी किया, सब उनके खिलाफ गया. जगन रेड्डी ने कई उम्मीदवारों के टिकट काटे, जिस कारण पार्टी के कई बड़े नेता वाईएसआर से अलग होकर टीडीपी में चले गए. 

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बता दें कि चंद्रबाबू नायडू 1995 से 2004 तक संयुक्त आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे थे. इसके बाद चंद्रबाबू 2014 में आंध्र के विभाजन के बाद शेष आंध्र प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री भी बने थे. हालांकि 5 साल पहले यानी 2019 के विधानसभा चुनाव में YSRCP ने सूबे की सत्ता हासिल की थी और टीडीपी की अपमानजनक हार हुई थी, लेकिन 5 साल बाद चंद्रबाबू नायडू कमबैक करते दिख रहे हैं.

लोकसभा और विधानसभा में TDP ने किया कमाल

लोकसभा चुनाव में TDP 16 सीटों पर जीत गई है. जबकि जगन मोहन रेड्डी की YSRCP महज 4 सीटों पर सिमट गई है, अगर बात बीजेपी की करें तो भगवा पार्टी के खाते में 3 तो पवन कल्याण की जनसेना पार्टी 2 सीटें आई हैं. वहीं, विधानसभा चुनाव में टीडीपी ने 135, जनसेना पार्टी ने 21, बीजेपी ने 8 और YSRCP ने 11 सीटें जीत ली हैं.

कौन हैं चंद्रबाबू नायडू?

20 अप्रैल 1950 को आंध्र प्रदेश के अविभाजित चित्तूर जिले के नरवरिपल्ली में जन्मे नारा चंद्रबाबू नायडू ने तिरुपति के श्री वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय में छात्र राजनीति से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी. इसके बाद नायडू कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए और कैबिनेट मंत्री बन गए. हालांकि बाद में वे अपने दिवंगत ससुर और दिग्गज अभिनेता एन टी रामा राव द्वारा स्थापित टीडीपी में शामिल हो गए. चंद्रबाबू नायडू पहली बार 1995 में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे और तीन बार सीएम बने. 

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2019 में लगा था तगड़ा झटका

2014 में चंद्रबाबू नायडू शेष आंध्र प्रदेश राज्य के पहले मुख्यमंत्री के रूप में उभरे और 2019 तक इस पद पर रहे. मुख्यमंत्री के रूप में अपने तीसरे कार्यकाल में उन्होंने अमरावती को दक्षिणी राज्य की राजधानी बनाने का बीड़ा उठाया, लेकिन सत्ता खोने के बाद उनका यह वादा अधूरा रह गया. इसके अलावा YSRCP सरकार द्वारा कौशल विकास निगम घोटाले के तहत 2023 में नायडू की गिरफ्तारी उनके करियर का सबसे बुरा दौर था. पिछले साल 9 सितंबर की सुबह गिरफ्तारी के बाद नायडू ने करीब 2 महीने राजामहेंद्रवरम सेंट्रल जेल में बिताए. हालांकि 31 अक्टूबर को उन्हें अंतरिम जमानत मिल गई थी. अंतरिम जमानत को  20 नवंबर को पूर्ण कर दिया गया था. इसके बाद टीडीपी, भाजपा और जनसेना के एनडीए गठबंधन में शामिल हो गई.

जब TDP ने NDA को बाहर से दिया था समर्थन 

90 के दशक के उत्तरार्ध में नायडू ने उस समय की केंद्र सरकार के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा गठित पहली एनडीए सरकार को टीडीपी ने बाहर से समर्थन दिया था. 

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