कांग्रेस सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने शनिवार को कैथल के एक मतदान केंद्र पर हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 के लिए अपना वोट डाला. मतदान के बाद पोलिंग बूथ के बाहर मीडिया से बात करते हुए सुरजेवाला ने मुख्यमंत्री पद को लेकर बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा, 'अगर चुनाव नहीं लड़ा तो इसका मतलब यह नहीं कि सरकार चलाने की आकांक्षा नहीं है. सीएम उम्मीदवार के पास हरियाणा में बदलाव और किसानों के जीवन में खुशहाली लाने का विजन होना चाहिए. मेरे पास हरियाणा के विकास का विजन है. मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा रखना गलत नहीं है.'
उन्होंने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, 'लेकिन व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा पार्टी के अनुशासन से बड़ी नहीं है. मुख्यमंत्री के चेहरे के लिए राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे जो फैसला करेंगे, वह सभी को स्वीकार होगा. यह बात मैं भूपेंद्र हुड्डा, कुमारी सैलजा और बाकी सभी साथियों की तरफ से भी कह रहा हूं. मैं हरियाणा के लोगों से अपील करना चाहता हूं कि वे बाहर आएं और अपना वोट डालें. ये वोट बदलाव के लिए है. 10 साल के भ्रष्टाचार से लोग थक चुके हैं, किसानों, युवाओं, पहलवानों और जवानों की हालत खराब हो गयी है. एक क्रांतिकारी परिवर्तन देखने को मिलेगा.'
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कांग्रेस नेता ने कहा कि मेरी सबसे पहली प्राथमिकता कैथल का विकास करना है. बता दें कि कैथल से रणदीप सुरजेवाला के बेटे आदित्य सुरजेवाला कांग्रेस के उम्मीदवार हैं. यहां से बीजेपी के लीला राम चुनाव लड़ रहे हैं. बता दें कि कैथल सुरजेवाला परिवार की पुरानी सीट रही है. अपने पिता शमशेर सिंह सुरजेवाला की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाते हुए रणदीप सिंह सुरजेवाला ने 2005, 2009 और 2014 में यहां से जीत दर्ज की. लेकिन 2019 के विधानसभा चुनाव में उन्हें कैथल सीट पर बीजेपी के लीला राम के हाथों नजदीकी हार का सामना करना पड़ा था. लीला राम 2000 में भी कैथल से इंडियन नेशनल लोक दल के टिकट पर चुनाव जीत चुके हैं.
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आदित्य सुरजेवाला और लीला राम के अलावा, 10 और उम्मीदवार हैं, जिनमें आम आदमी पार्टी (AAP) के सतबीर सिंह गोयत, INLD और बहुजन समाज पार्टी (BSP) गठबंधन के अनिल तंवर के साथ-साथ जननायक जनता पार्टी (JJP) और आजाद समाज पार्टी (ASP) गठबंधन के संदीप गढ़ी भी शामिल हैं. 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने हरियाणा की 90 में से 40 सीटें हासिल कीं और जेजेपी के साथ गठबंधन सरकार बनाई. दुष्यंत चौटाला की पार्टी ने 10 सीटें हासिल की थीं. कांग्रेस 31 सीटें जीतने में सफल रही थी. अन्य 9 सीटें इनेलो, हरियाणा लोकहित पार्टी और स्वतंत्र उम्मीदवारों के खाते में गई थीं.