कांग्रेस भले ही यह कह रही है उसने हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के चयन में लोकतांत्रिक प्रक्रिया अपनाई है और योग्य लोगों को प्राथमिकता दी है. लेकिन पार्टी के भीतर विद्रोह की लहर चल रही है और टिकट की चाहत रखने वाले कई असंतुष्ट नेता निर्दलीय उम्मीदवारों के रूप में नामांकन दाखिल कर रहे हैं. हरियाणा में कांग्रेस नेतृत्व लगभग एक तिहाई सीटों पर अपनों की बगावत से परेशान है.
कांग्रेस की चिंताएं इस तथ्य से बढ़ गई हैं कि आम आदमी पार्टी के साथ उसका गठबंधन नहीं हुआ है, साथ ही जेजेपी और आईएनएलडी भी बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं और हर सीट पर मजबूत उम्मीदवार उतार रहे हैं. पार्टी का मानना है कि जीत का अंतर सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. बगावती नेताओं के गुस्से को शांत करने के लिए कांग्रेस नेतृत्व की ओर से उन्हें बार-बार फोन किए जा रहे हैं. नामांकन वापस लेने की तारीख नजदीक आने पर कांग्रेस के बड़े नेता असंतुष्ट नेताओं से अपना नामांकन वापस लेने का आग्रह कर रहे हैं.
टिकट चाहने वाले कई नाखुश नेता सोशल मीडिया पर जमकर हंगामा बवाल काट रहे हैं और पार्टी नेतृत्व पर भाई-भतीजावाद का आरोप लगा रहे हैं. चौंतीस सीटों पर कांग्रेस के छप्पन नेताओं ने बगावती रुख अपना लिया है. इनमें से बयालीस नेता लगभग 30 सीटों पर निर्दलीय या अन्य दलों के टिकट पर नामांकन दाखिल किया है. कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ सबसे बड़ा गुस्सा यह है कि राहुल गांधी के दावों के विपरीत बड़े नेताओं, मंत्रियों और सांसदों के रिश्तेदारों को टिकट दिया गया है, जबकि पार्टी के वफादार और सामान्य पृष्ठभूमि से आने वाले कार्यकर्ताओं को दरकिनार किया गया है.
किन पूर्व मंत्रियों और सांसदों के बेटे-दामाद को मिले टिकट?
कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला के बेटे आदित्य को कैथल से टिकट दिया गया है. हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल के बेटे चंद्र मोहन को पंचकुला से टिकट मिला है. लोकसभा सांसद जय प्रकाश के बेटे विकास को कलायत से टिकट मिला है. मौजूदा लोकसभा सदस्य वरुण चौधरी की पत्नी पूजा को मुलाना से टिकट मिला. पूर्व मंत्री हरमोहिंदर सिंह चट्ठा के बेटे मनदीप पेहोवा से मैदान में उतरे हैं. पूर्व मंत्री महेंद्र प्रताप के बेटे विजय प्रताप को बड़खल से टिकट मिला है, जो 2024 का लोकसभा चुनाव फरीदाबाद से हार गए थे.
पहले तीन बार चुनाव हार चुके वरिंदर सिंह राठौड़ को फिर से घरौंडा से मैदान में उतारा गया है. फिर राव बंसी सिंह के बेटे राव नरेंद्र, जो दो बार हारे और दोनों बार तीसरे स्थान पर रहे, उनको नारनौल से फिर से उम्मीदवार बनाया गया है. इसी तरह पिछले दिनों लोहारू से हारे बंसीलाल के दामाद सोमबीर सिंह (श्योराण) को बाढड़ा से टिकट दिया गया है. सत्तारूढ़ भाजपा को परास्त करने की अपनी उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए कांग्रेस पार्टी को जिस स्तर की तैयारी की आवश्यकता थी उसे देखते हुए उसके लिए आगे की राह आसान नहीं होगी.