जम्मू कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. तारीखें घोषित हो गई हैं और चुनावी अतीत बताता है कि यहां क्षेत्रीय दलों का ही दबदबा रहा है. फिलहाल, अनुच्छेद 370 हटाए जाने, केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने और राज्य पुनर्गठन के बाद जम्मू कश्मीर की फिजाओं में बहुत कुछ बदल चुका है. राजनीतिक माहौल से लेकर जोड़तोड़ के नए समीकरण भी बनते-बिगड़ते देखे जा रहे हैं.
इस बीच, विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक भी सक्रिय हो गया है. राज्य में कांग्रेस हाईकमान नए समीकरण की संभावनाएं तलाशने में जुट गया है. बुधवार को विधानसभा चुनाव की तैयारी के लिए लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे दो दिवसीय दौरे पर जम्मू-कश्मीर पहुंचे. माना जा रहा है कि दोनों नेता चुनावी रणनीति से लेकर सीट शेयरिंग और नेशनल कॉन्फ्रेंस से गठबंधन पर आखिरी फैसला ले सकते हैं.
राष्ट्रीय पार्टियों में कांग्रेस एकमात्र ऐसा दल रहा है, जिसने जम्मू कश्मीर में तीन बार सरकार बनाई है. 1964 में एक साल के लिए गुलाम मोहम्मद सदीक कांग्रेस की सरकार में पहले सीएम बने. उनका दूसरा कार्यकाल 6 साल से ज्यादा का रहा. उसके बाद 2005 में गुलाम नबी आजाद कांग्रेस की सरकार में सीएम बने. वे दो साल से ज्यादा समय तक मुख्यमंत्री रहे. लेकिन आज हालात बिल्कुल अलग हैं. गुलाम नबी आजाद जैसे सीनियर नेताओं ने पार्टी से दूरी बना ली है. संगठन में पुराने और अनुभवी चेहरों की कमी है. पार्टी का आधार भी लगातार कमजोर होता जा रहा है.
जम्मू कश्मीर में 2014 के बाद हो रहे हैं चुनाव
2014 में आखिरी बार चुनाव हुए थे और पीडीपी-बीजेपी ने गठबंधन सरकार बनाई थी. उसके बाद 2019 में केंद्र ने जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया और विशेषाधिकार समाप्त हो गए. इसके साथ ही जम्मू कश्मीर और लद्दाख दो केंद्र शासित प्रदेश बना दिए.
कांग्रेस के सामने चुनौतियां कम नहीं
10 साल बाद फिर जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव आ गए हैं. राज्य में राजनीतिक माहौल बदलने से कांग्रेस सियासी हाशिये पर खड़ी है और अपना रोडमैप तैयार करने की कवायद में जुटी है. विधानसभा चुनाव में पार्टी के सामने चुनौतियों की कमी नहीं है. पार्टी में कैडर की कमी है. ग्राउंड पर भी संगठन में बिखराव देखने को मिल रहा है. अभी तक कोई बड़ा कार्यक्रम या रैली नहीं हुई है. हालांकि, वो नेता एक्टिव हैं, जो विधानसभा चुनाव की दावेदारी कर रहे हैं और टिकट की उम्मीद में दौड़-भाग कर रहे हैं.
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को लगातार तीसरी बार हार का सामना करना पड़ा है. ऐसे में विधानसभा चुनाव में जीत के लिए पिछली कमियों को दूर करने की नसीहत दी जा रही है. संगठन के अंदर संदेश दिया जा रहा है कि नेता और कार्यकर्ताओं में संवाद की कमी ना रहे और अनुशासन में रहकर कामकाज करें. जिन सीटों पर हार-जीत का अंतर कम रहा है, वहां फोकस करें और जीत के लिए पूरी ताकत लगा दें. पार्टी नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी और खड़गे के जम्मू कश्मीर दौरे से कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा है. वे हमारी समस्याएं सुनेंगे और चुनावी रणनीति बनाएंगे. संगठन को जीत का मंत्र भी देंगे.
कश्मीर घाटी के नेताओं और कार्यकर्ताओं से मिलेंगे राहुल और खड़गे
दरअसल, बुधवार को राहुल गांधी और खड़गे जम्मू-कश्मीर के दो दिवसीय दौरे पर श्रीनगर पहुंचे. यहां वे आगामी विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी की तैयारियों का जायजा लेंगे और क्षेत्रीय दलों और नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ गठबंधन की संभावनाएं तलाशेंगे. दोनों नेता गुरुवार को कश्मीर घाटी के 10 जिलों के पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ व्यापक चर्चा करेंगे. बैठकें सुबह 10 बजे से शुरू हो गई हैं.
जम्मू भी जाएंगे कांग्रेस नेता, लेंगे फीडबैक
उसके बाद राहुल और खड़गे जम्मू के लिए उड़ान भरेंगे और वहां 10 जिलों के कार्यकर्ताओं के साथ बातचीत करेंगे और जम्मू क्षेत्र का फीडबैक लेंगे. बाद में वे दिल्ली के लिए रवाना होंगे. कांग्रेस के एक नेता ने बताया कि दोनों नेता जमीनी स्तर की तैयारियों के बारे में पार्टी कार्यकर्ताओं से जानकारी लेंगे. इससे पहले सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे और राहुल गांधी ने चार चुनावी राज्यों के महासचिवों, प्रभारियों और स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्यों से मुलाकात की थी और चुनाव पर चर्चा की थी.
गठबंधन को अंतिम रूप देने की तैयारी
पार्टी सूत्रों ने बताया कि राहुल और खड़गे गठबंधन पर चर्चा के लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) नेतृत्व से मुलाकात कर सकते हैं और आगे की रणनीति पर चर्चा कर सकते हैं. सूत्रों का कहना है कि लोकसभा चुनाव के नतीजों ने INDIA ब्लॉक में नई ऊर्जा भरी है. विपक्ष के फेस राहुल गांधी हैं और इस समय राहुल सभी बीजेपी विरोधी दलों को एकजुट रखना चाहते हैं. वे जिन मुद्दों को लेकर लोकसभा चुनाव में उतरे, वही मुद्दे विधानसभा चुनाव में जोर-शोर से उठाएंगे. जम्मू कश्मीर में भी वो इंडिया ब्लॉक के सहयोगी दलों से गठबंधन की रणनीति पर बात कर सकते हैं.
यही वजह है कि कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेताओं में नजदीकियां बढ़ी हैं और बयान सकरात्मक रहे हैं. दोनों पार्टियों के नेता चाहते हैं कि चुनाव से पहले अलायंस हो और फिर मैदान में उतरा जाए. साल 2008 में भी कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस अलायंस सरकार का हिस्सा रही है. उस समय उमर अब्दुल्ला मुख्यमंत्री रहे. हाल ही में विधानसभा चुनाव से पहले NC के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला भी अलायंस का संकेत दे चुके हैं. संभावना यह भी है कि इस गठबंधन का हिस्सा पीडीपी को भी बनाया जा सकता है. हालांकि, यह संभावना कम है, लेकिन सीट शेयरिंग का फॉर्मूला निकालना और अंतिम फैसला इंडिया ब्लॉक को लेना है.
पुराने नेताओं से बातचीत के दरवाजे खुले
दरअसल, कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी इंडिया ब्लॉक का हिस्सा हैं और लोकसभा चुनाव में तीनों ही पार्टियों ने अलांयस का ऐलान किया था. लेकिन, चुनाव नजदीक आते ही बात बिगड़ी और तीनों दल आमने-सामने आ गए. इसका सीधे तौर पर कांग्रेस को फायदा मिला और उसका वोट प्रतिशत बढ़ा. कांग्रेस को जम्मू की दोनों सीटों पर NC और PDP ने समर्थन दिया. जबकि कश्मीर में कांग्रेस ने नेशनल कॉन्फ्रेंस का समर्थन किया था. फिलहाल, विधानसभा चुनाव में पीडीपी अब तक किसी भी चर्चा में शामिल नहीं है. सूत्र यह भी बताते हैं कि कांग्रेस जम्मू कश्मीर में अपने पुराने नेताओं की वापसी चाहती है. इनमें एक नाम पूर्व सीएम गुलाम नबी आजाद का भी है.
समान विचारधारा से बातचीत के लिए कांग्रेस तैयार
वहीं, जम्मू कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष तारिक कर्रा ने बताया कि दोनों नेताओं का प्रोग्राम पहले से तय था. इस यात्रा का गठबंधन पर चर्चा से कोई संबंध नहीं है. कर्रा ने कहा, यह कार्यक्रम चुनाव (तारीखों) की घोषणा से पहले ही तय हो गया था और सिर्फ तारीखों को अंतिम रूप दिया जाना था. राहुल जी और पार्टी अध्यक्ष का यह कार्यक्रम पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बातचीत करने के लिए है, इसलिए वे यहां आए हैं. पीडीपी को बातचीत का न्योता दिए जाने के सवाल पर कर्रा ने कहा, ऐसी चीजें पार्टी के भीतर आंतरिक चर्चाओं और निर्णयों के बाद होती हैं. मैं इस पर कुछ नहीं कह सकता हूं. बीजेपी का विरोध करने वाली सभी ताकतों, पार्टियों और व्यक्तियों के लिए हमारे दरवाजे (गठबंधन के लिए) खुले हैं. हम सभी समान विचारधारा वाले दलों से बात करने के लिए तैयार हैं.
बीजेपी ने राहुल गांधी से रुख स्पष्ट करने को कहा
इस बीच, बीजेपी ने राहुल गांधी की घेराबंदी की है और जम्मू कश्मीर दौरे के दौरान अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए पर अपनी पार्टी का रुख साफ करने के लिए कहा है. बीजेपी महासचिव और संगठन प्रभारी तरुण चुघ ने कहा, राहुल गांधी को उनकी यह यात्रा क्षेत्र में शुरू किए गए विकास और शांति से परिचित कराएगी. उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी के नेतृत्व वाले तीन परिवारों ने पिछले कई दशकों में अपनी नीतियों से जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद और आतंकवाद को भड़काया है. 2014 में केंद्र की बीजेपी सरकार आने के बाद यहां हालात बदल गए हैं.
90 सदस्यीय जम्मू कश्मीर विधानसभा के लिए तीन चरणों में चुनाव होंगे. 18 सितंबर को पहले चरण में वोटिंग होगी. उसके बाद 25 सितंबर को दूसरे और 1 अक्टूबर को तीसरे चरण में वोट डाले जाएंगे. 4 अक्टूबर को नतीजे आएंगे.