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तारीख- 29 सितंबर 2013, स्थान- दिल्ली का जापानी पार्क, मौका- नरेंद्र मोदी की चुनावी रैली. आज से करीब 12 साल पहले नरेंद्र मोदी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए रोहिणी के जापानी पार्क मे एक जनसभा को संबोधित किया था. तब दिल्ली में शीला दीक्षित की अगुवाई में कांग्रेस की सरकार थी और आम आदमी पार्टी का कोई चुनावी अस्तित्व नहीं था. उस रैली में भी बीजेपी की ओर से 'बदलो दिल्ली' का नारा दिया गया था. रविवार को भी बीजेपी की रैली मे पीएम मोदी ने 'बदलकर रहेंगे दिल्ली' का नारा दिया.
तब से लेकर आजतक यमुना में बहुत पानी बह चुका है. दिल्ली में कांग्रेस का दौर खत्म हो गया और आम आदमी पार्टी पिछले 12 साल से सत्ता पर काबिज है. तब से लेकर बीजेपी विधानसभा के अंदर मुख्य विपक्षी दल की भूमिका में बनी हुई है. दिल्ली चुनाव में एक फिर से बीजेपी करीब तीन दशक का सूखा खत्म करने उतर रही है और नारा आज भी 12 साल पुराना ही है.
AAP का उदय और सियासी चढ़ाई
राजनीतिक तौर पर दिल्ली में क्या-क्या बदला, सिलसिलेवार तरीके से बताते हैं. 2014 से लेकर 2024 तक हुए लोकसभा के तीन चुनावों में दिल्ली की सभी सात सीटों पर बीजेपी का कब्जा रहा है. इससे पहले 2009 में कांग्रेस ने सातों लोकसभा सीटें जीती थीं और यूपीए की सरकार केंद्र में बनी थी. लेकिन इसके बाद से लगातार तीनों चुनावों में दिल्ली की लोकसभा सीटों पर एकछत्र बीजेपी का कब्जा रहा है. हालांकि विधानसभा चुनाव के आंकड़े इससे अलग हैं.
साल 2013 के विधानसभा चुनाव में 70 सीटों वाली दिल्ली में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और उसे 32 सीटों पर जीत मिली थीं. बावजूद इसके बहुमत से फिसल जाने का कारण वह सत्ता से दूर ही रही. इस चुनाव में पहली बार चुनाव लड़ रही आम आदमी पार्टी को 28 और कांग्रेस को 7 सीटें मिली थीं. इसके बाद AAP ने कांग्रेस का समर्थन लेकर दिल्ली में सरकार बनाई और पहली बार अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बने.
साल 2013 में बनी ये सरकार सिर्फ 49 दिन टिक सकी और केजरीवाल ने कांग्रेस का हाथ छोड़कर सीएम पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लग गया. साल 2015 में दिल्ली में फिर से चुनाव हुए और इस चुनाव ने सभी सियासी अनुमानों को ध्वस्त कर दिया. आम आदमी पार्टी ने रिकॉर्डतोड़ 67 सीटें जीतकर इतिहास रचा और कांग्रेस शून्य पर सिमट गई. बीजेपी को इस चुनाव में तीन सीट ही मिल सकीं. इस तरह अरविंद केजरीवाल लगातार दूसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री चुने गए.
दिल्ली की सत्ता से दूर बीजेपी
साल 2020 के चुनाव की बात करें तो इस बार भी AAP का शानदार प्रदर्शन जारी रहा और पार्टी को 62 सीटों पर जीत हासिल हुई. बीजेपी 5 सीटें की बढ़त के साथ 8 सीटें जीतने में कामयाब हुई और कांग्रेस फिर से लगातार दूसरी बार अपना खाता भी नहीं खोल सकी. बंपर जीत के बाद केजरीवाल तीसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बने. हालांकि 2024 के लोकसभा चुनाव में एकदम उलट फिर से दिल्ली की सभी सात सीटों पर बीजेपी ने ही कब्जा कर लिया. फिर भी अब तक केंद्र में सत्ताधारी पार्टी को दिल्ली में अपना मुख्यमंत्री नहीं मिल पाया है.
इस बार के चुनाव में काफी कुछ बदल चुका है. जिस तरह 2013 में दिल्ली की शीला दीक्षित सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप थे, उसी तरह आम आदमी पार्टी भी शराब घोटाला समेत कई मामले में आरोप झेल रही है. केजरीवाल, मनीष सिसोदिया समेत AAP के टॉप लीडर्स जेल में रहकर आ चुके हैं. साथ ही केजरीवाल ने जमानत पर आकर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और आतिशी को सीएम पद सौंप दिया है. हालांकि पार्टी केजरीवाल के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ रही है और AAP का कहना है कि चुनाव में जीतने पर फिर से केजरीवाल को ही मुख्यमंत्री बनाया जाएगा.
किसके लिए क्यों अहम ये चुनाव
उधर, बीजेपी और कांग्रेस चुनाव से पहले AAP को घेरने के लिए लगातार भ्रष्टाचार के मुख्य मुद्दा बनाकर दिल्ली की सत्ता में वापस आने की भरपूर कोशिश में जुटी हैं. यह चुनाव AAP के लिए कड़ी परीक्षा साबित होगा क्योंकि पार्टी के नेताओं पर लगे आरोपों का जवाब चुनाव के नतीजे देने वाले हैं. इसी तरह कांग्रेस भी INDIA ब्लॉक से बाहर आकर चुनावी मैदान में उतरी है और पार्टी के सामने जनाधार वापस पाने की चुनौती है. वहीं, बीजेपी 1993 के बाद से दिल्ली की सत्ता से दूर है. तब पार्टी ने मदल लाल खुराना की अगुवाई में सरकार बनाई थी. ऐसे में लगातार तीन बार केंद्र की सत्ता में आने के बाद भी तीन दशक से बीजेपी को दिल्ली की सत्ता में आने का इंतजार है.