दिल्ली के चुनाव में प्रचार के मैदान पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दस्तक दी है. जिन्होंने अब तक बीजेपी की हिंदुत्व वाली सियासी पिच पर आकर वोट मांगते अरविंद केजरीवाल के सामने कुछ चैलेंज रखे हैं. ये चैंलेज है-दिल्ली की यमुना में केजरीवाल अपनी सरकार के मंत्रियों के साथ उसी तरह स्नान करके दिखाएं, जैसे संगम में योगी आदित्यनाथ ने अपने मंत्रियों के साथ किए. सीएम योगी ने ये चुनौती भी दी है कि पुजारियों को भत्ते के वादे से आस्था के सम्मान की बात करने वाले केजरीवाल हिसाब दें कि कितने मंदिरों का दिल्ली में सौंदर्यीकरण कराया है. योगी आदित्यनाथ के ये 2 चैलेंज क्या दिल्ली की राजनीति में केजरीवाल के लिए मुश्किल खड़ी कर पाएंगे?
दिल्ली के चुनाव में मतदान से 12 दिन पहले तापमान में तेज उछाल दिखा है. जहां हिंदू वोट अपने साथ लाने के लिए तमाम जतन करते केजरीवाल के सामने प्रचार युद्ध में हिंदुत्व की गदा उठाकर खुलकर विरोधियों पर वार करने वाले योगी आदित्यनाथ पहुंचते हैं. योगी आदित्यनाथ महाकुंभ में एक दिन पूरी सरकार के साथ रहकर सीधे दिल्ली आए हैं. उस प्रयागराज से जहां दिल्ली से बहकर पहुंची यमुना, गंगा और अदृश्य सरस्वती के साथ मिलकर संगम बनती है. उसी संगम में योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को अपने 54 मंत्रियों के साथ स्नान किया और दिल्ली के चुनाव प्रचार में आकर योगी आदित्यनाथ ने सीधे केजरीवाल को डुबकी का चैलेंज दे दिया. सीएम योगी ने कहा कि अगर एक मुख्यमंत्री के रूप में मैं औरे मेरे मंत्री संगम में स्नान कर सकते हैं, तो क्या केजरीवाल भी अपने मंत्रियों के साथ यमुना जी में स्नान कर सकते हैं? साहस है तो उन्हें जवाब देना चाहिए.
बता दें कि अरविंद केजरीवाल को दिल्ली की यमुना से लेकर अयोध्या में सरयू और दूसरी जगहों पर नदी किनारे आरती करते तो देखा गया है, लेकिन सार्वजनिक तौर पर आखिरी बार नदी में डुबकी मारते वीडियो खोजने पर 2014 का मिलता है. जब केजरीवाल लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी से उतरे थे. तबी काशी में केजरीवाल ने गंगा में डुबकी लगाई थी.
योगी का चैलेंज इतना अहम क्यों?
10 साल बाद योगी आदित्यनाथ का खुद संगम में मंत्रियों समेत स्नान के बाद केजरीवाल को दिल्ली की यमुना में डुबकी लगाने का चैलेंज इसलिए मायने रखता है क्योंकि जिस वक्त केजरीवाल दिल्ली के चुनाव में पुजारियों को 18 हजार रुपए महीना देने का वादा करके और बुजुर्गों के लिए मुफ्त तीर्थयात्रा योजना चलाते हुए दिल्ली के हिंदू बहुसंख्यक वोट को अपने साथ रखना चाहते हैं, तब महाकुंभ का आयोजन कराती यूपी सरकार के मुखिया मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ- यमुना की सफाई के मुद्दे पर केजरीवाल को कठघरे में खड़ा करके हिंदू वोट को बंटने से रोकने में जुट जाते हैं.
सीएम योगी का केजरीवाल पर तीखा हमला
सीएम योगी ने कहा कि यमुना मैया को एक गंदे नाले में बदलने का अपराध किया है कि नहीं किया है, अगर व्यक्ति इस बात का अपराधी है तो मुझे नहीं लगता कि जनता जनार्दन की अदालत में उन्हें कोई माफी दी जानी चाहिए, माफी के हकदार नहीं हो सकते. दरअसल महाकुंभ को गुरुवार तक 11 दिन हुए हैं. 11 दिन में 10 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु प्रयागराज हो आए हैं. जहां जातियों का भेद संगम किनारे कहीं नहीं दिखता. उसी महाकुंभ में दिल्ली के लोग भी होकर आए होंगे या अभी आगे जाएंगे. तब योगी आदित्यनाथ लगातार संगम के मुकाबले दिल्ली की यमुना का मुद्दा उठा रहे हैं.
यमुना के प्रदूषण पर केजरीवाल ने क्या दलील दी?
केजरीवाल यमुना के 5 साल बाद भी प्रदूषणमुक्त ना होने पर दलील ये देते हैं कि बीजेपी ने उन्हें झूठे आरोपों में जेल भिजवा दिया तो वो काम नहीं कर पाए. नदियों पर होती चुनाव की धार्मिक सियासत के बीच सवाल है कि देश के कितने राज्यों में नदियां हैं, जहां जो चैलेंज योगी आदित्यनाथ ने दिल्ली की यमुना में स्नान करने का केजरीवाल को दिया है, वही चुनौती दूसरे राज्यों में मुख्यमंत्री या उनके मंत्री पूरा कर सकते हैं?
इन चुनावों में चर्चा में आया 'बंटेंगे तो कटेंगे' का नारा
हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड... तीन राज्यों के चुनाव में जब योगी आदित्यनाथ प्रचार करने पहुंचे तो नारा चर्चा में आया 'बंटेंगे तो कटेंगे'... मकसद था हिंदू बहुसंख्यक वोट को बीजेपी के पास एकजुट करना. इसके बाद दिल्ली में जब सीएम योगी गुरुवार (23 जनवरी 2025) को प्रचार करने पहुंचे तो नारा तो पहले दिन नहीं दोहराया, लेकिन अवैध बांग्लादेशी से लेकर दिल्ली दंगों के उन दाग का मुद्दा उठाया, जिनसे हिंदुत्व के दिल्ली टेस्ट में मुकाबला कांटे का होने लगा है. योगी आदित्यनाथ जब दिल्ली में होने वाली अपनी 14 रैलियों में से पहली तीन रैली करने दिल्ली आते हैं, तो नारा तो 'बंटेंगे तो कटेंगे' वाला नहीं दिया, लेकिन इस नारे वाला पोस्टर रैली के मंच पर दिखा. जहां प्रधानमंत्री मोदी का दिया नारा 'एक है तो सेफ हैं' और योगी आदित्यनाथ का दिया नारा 'बंटोगे तो कटोगे' दोनों एक साथ दिखे.
पिछले चुनाव में सीएम योगी की रैली का कितना असर हुआ?
बता दें कि 2020 के चुनाव में भी सीएम योगी ने दिल्ली में 4 दिन में 14 रैलियां की थीं, तब दिल्ली में माहौल नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ शाहीनबाग और दिल्ली दंगों वाला था. सीएम योगी ने खुलकर देशभक्त बनाम देश विरोधी के मोर्चे पर खेला था और उसका नतीजा कहा जा सकता है कि जिन 14 सीटों पर सीएम योगी ने प्रचार किया था, वहां बीजेपी का प्रदर्शन 2015 के मुकाबले काफी बेहतर हुआ था.
इन सीटों पर बढ़ गया था बीजेपी का वोट शेयर
मसलन, पटपड़गंज में 2015 में बीजेपी को 33.12 फीसदी वोट मिले थे, जो 2020 में 47.07 फीसदी हो गए थे. किराड़ी में 33.16 फीसदी से बढ़कर 46.51, महरौली में 36.17 से बढ़कर 38.48 प्रतिशत, उत्तम नगर में 33.58 प्रतिशत से बढ़कर 43.75 प्रतिशत, द्वारका में 29.91 से बढ़कर 41.53 प्रतिशत, तुगलकाबाद में 29.70 प्रतिशत से बढ़कर 41.77 प्रतिशत, विकासपुरी में 25.86 से बढ़कर 38.38 प्रतिशत, रोहिणी में 49.83 से बढ़कर 53.67 प्रतिशत, करावल नगर में 33.74 प्रतिशत से बढ़कर 50.59 प्रतिशत, आदर्शनगर में 31.64 से बढ़कर 43.66 प्रतिशत, ओखला में 23.84 से बढ़कर 29.65 प्रतिशत, बदरपुर में 27.38 प्रतिशत से 47.05 प्रतिशत हो गया था. यानी कोई ऐसी सीट नहीं थी जहां सीएम योगी ने प्रचार किया, वहां बीजेपी के वोट प्रतिशत में बढ़ोतरी नहीं हुई. इन्हीं आंकड़ों को देखते हुए बीजेपी ने दिल्ली में एक बार फिर सीएम योगी का फॉर्मूला अपनाने की रणनीति बनाई है.
किस राज्य की नदियां कितनी प्रदूषित
- दिसंबर 2024 में उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट में सामने आया था कि हरिद्वार में गंगा नदी का पानी 'बी' श्रेणी में पाया गया, जिससे ये पीने के लिए असुरक्षित, लेकिन नहाने के लिए उपयुक्त है.
- फरवरी 2024 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने faecal coliform bacteria के उच्च स्तर के कारण पश्चिम बंगाल में गंगा नदी के पूरे हिस्से को स्नान के लिए सही नहीं पाया था. साथ ही अधिकारियों को कड़ी चेतावनी जारी की थी.
- फरवरी 2024 में ही बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से पेश की गई नदियों के स्वास्थ्य पर वार्षिक सर्वेक्षण रिपोर्ट से पता चला कि बिहार से गुजरने वाली लगभग सभी प्रमुख नदियां नहाने के लिए भी असुरक्षित हैं.
- 2023 में आई सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की रिपोर्ट ने बताया कि देश में कुल 603 नदियां हैं. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि करीब 46 फीसदी नदियां प्रदूषण की चपेट में हैं. रिपोर्ट में ये भी बताया गया कि प्रदूषित नदियों में सर्वाधिक प्रदूषित महाराष्ट्र में हैं, जहां 55 नदियों में प्रदूषण ज्यादा है. इसके बाद मध्य प्रदेश में 19 नदियां, बिहार केरल में 18-18 नदियां प्रदूषित हैं. उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में 17-17 नदियां, जबकि राजस्थान में 14 और गुजरात में 13, मणिपुर में 13, पश्चिम बंगाल में 13 नदियां प्रदूषित पाई गई हैं.