दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए 5 फरवरी को वोट डाले गए. अब गिनती की बारी है. शनिवार सुबह 8 बजे से वोटों की गिनती अलग-अलग काउंटिंग सेंटर्स पर होगी. वोटों की गिनती राउंड के हिसाब से होती है. जहां ज्यादा राउंड में काउंटिंग होगी, वहां के नतीजे देर से आएंगे और जहां कम राउंड में गिनती होगी, वहां के नतीजे जल्दी आने की उम्मीद है.
कैसे तय होता है किस सीट पर कितने राउंड?
किसी विधानसभा क्षेत्र में कितने पोलिंग स्टेशन हैं, इस पर यह बात निर्भर करती है कि वहां कितने राउंड में वोटों की गिनती होगी. आमतौर पर हर विधानसभा में गिनती के लिए 7 से लेकर 14 टेबल लगाए जाते हैं. हर टेबल पर एक बार में एक बूथ का ईवीएम खुलता है.
उदाहरण के तौर पर अगर किसी विधानसभा क्षेत्र में 200 बूथ (पोलिंग स्टेशन) हैं और वहां पर गिनती के लिए 10 टेबल लगाए गए हैं तो गिनती की प्रक्रिया 20 राउंड में पूरी होगी. इस हिसाब से दिल्ली कैंट में वोटों की गिनती 8 राउंड में पूरी हो सकती है. वहीं सबसे ज्यादा वक्त बड़े विधानसभा क्षेत्रों मसलन विकासपुरी, मटियाला और बुराड़ी जैसे विधानसभा इलाकों में लग सकता है. इन सभी क्षेत्रों में 25 से ज्यादा राउंड में वोटों की गिनती होगी.
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कितने बजे से खुलेंगी ईवीएम?
काउंटिंग की प्रक्रिया सुबह 8 बजे शुरू हो जाती है. लेकिन शुरुआती आधे घंटे में सिर्फ पोस्टल बैलट ही गिने जाते हैं. 8:30 बजे से ईवीएम की गिनती शुरू होती है. पोस्टल बैलट की गिनती साथ-साथ चलती रहती है. नियम यह कहता है कि पोस्ट बैलट की गिनती EVM के आखिरी राउंड की काउंटिंग के शुरू होने से पहले पूरी हो जानी चाहिए. अगर ऐसा नहीं होता है तो मशीन की गिनती रोक दी जाएगी और पहले पोस्टल बैलट की गिनती पूरी होगी. फिर जाकर आखिरी राउंड के वोट गिने जाएंगे.
चुनाव आयोग का अनुमान है कि पहला नतीजा दोपहर 12 बजे तक आ सकता है और आखिरी नतीजा आने में शाम के 6 बज सकते हैं. मशीन से गिनती पूरी होने के बाद पांच बूथों का VVPAT रेंडम तरीके से चुना जाएगा और फिर उसकी काउंटिंग और मिलान की बारी होगी.
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कैसे ईवीएम के सुरक्षा का होता है इंतजाम
ईवीएम मशीन काउंटिंग सेंटर परिसर में ही बने स्ट्रांग रूम में रखी गई हैं. सुबह काउंटिंग से पहले मौजूद उम्मीदवारों की निगरानी में स्ट्रांग रूम खोला जाता है. स्ट्रांग रूम से काउंटिंग टेबल तक एक ऐसा गलियारा बना होता है, जहां अधिकृत कर्मचारियों के अलावा किसी को आने जाने की अनुमति नहीं होती है. इस गलियारे का एक-एक हिस्सा सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में होता है और सुरक्षाकर्मी तैनात रहते हैं.
उम्मीदवारों के सामने होती है गिनती
स्ट्रांग रूम से काउंटिंग सेंटर तक ईवीएम मशीन पहुंचाई जाती है और फिर गिनती उम्मीदवारों या उनके काउंटिंग एजेंट के सामने होती रहती है. जब वोटों की गिनती पूरी हो जाती है तो फिर उम्मीदवारों में आम राय होने के बाद चुनाव नतीजे की घोषणा कर दी जाती है. ऐसा ना होने की हालत में वोटों की रिकाउंटिंग का भी प्रावधान है. नतीज़ा आने के बाद उस सीट का रिटर्निंग ऑफिसर जीते हुए उम्मीदवार को निर्वाचित होने का सर्टिफिकेट देता है.