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BJP की प्लेइंग 11 में भी नहीं थे प्रवेश वर्मा... फिर 2 महीने में दिल्ली चुनाव में कैसे बने मैन ऑफ द मैच?

दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रवेश वर्मा ने अरविंद केजरीवाल को हराकर मैन ऑफ द मैच का तमगा हासिल किया है. पश्चिमी दिल्ली के सांसद रह चुके वर्मा ने सिर्फ दो महीने की तैयारी में यह उपलब्धि हासिल की है. अब वे दिल्ली की राजनीति में एक उभरते चेहरे के रूप में देखे जा रहे हैं.

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प्रवेश वर्मा
प्रवेश वर्मा

दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रवेश वर्मा मैन ऑफ द मैच साबित हुए हैं. उन्होंने चार हजार से ज्यादा वोटों से अरविंद केजरीवाल को हराया है. दिल्ली में जीत के बाद कुछ लोग उन्हें सबसे बड़ा विनर मान रहे हैं तो कुछ उन्हें बड़ा धमाका करने वाला बता रहे हैं. हो सकता है कि वह दोनों हों लेकिन असल कहानी ये है कि आखिर बीजेपी ने जिन्हें बैंक बेंच पर बिठा दिया था, अब वह दिल्ली चुनाव में प्लेयर ऑफ द मैच बनकर कैसे उभरने में कामयाब हुए. हैरानी की बात यह है कि उन्हें AAP के दिग्गज केजरीवाल के खिलाफ लड़ाई की तैयारी के लिए सिर्फ दो महीने मिले थे.

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पश्चिमी दिल्ली सीट से 2014 से 2024 तक सांसद रहने के बावजूद हालिया लोकसभा चुनाव में टिकट न मिलने के बावजूद प्रवेश वर्मा न तो नाराज हुए और ना ही वह अपने पथ से भटके. इसकी बजाय उन्होंने पार्टी आलाकमान के फैसले को स्वीकार किया, हिम्मत नहीं हारे और फिर मार्च 2024 की शुरुआत से ही वह दिल्ली चुनाव पर अपनी नजरें गड़ाए रखी. दिल्ली चुनाव के नतीजे आने के बाद अब प्रवेश वर्मा को जहां प्लेइंग इलेवन से भी बाहर रखा गया था, उन्हें प्लेयर ऑफ द मैच का ताज पहनाया गया.

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प्रवेश वर्मा एक अनुभवी नेता हैं और अपनी जीत का श्रेय उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दिल्ली की जनता को दिया. केजरीवाल को हराने के बाद इंडिया टुडे से बातचीत में प्रवेश वर्मा ने कहा, "मुझे दो महीने पहले ही बताया गया था कि मुझे नई दिल्ली [केजरीवाल की सीट] से चुनाव लड़ना है." उन्होंने कहा, "केजरीवाल के कार्यकाल के दौरान हुए सभी भ्रष्टाचार की जांच के लिए पहली कैबिनेट में एक विशेष जांच दल का गठन किया जाएगा."

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प्रवेश वर्मा ने नई दिल्ली में आप संयोजक केजरीवाल को 4,099 मतों के अंतर से हराया है, जो काफी हद तक आमने-सामने की लड़ाई बन गई थी. तीसरे स्थान पर दिल्ली की पूर्व सीएम शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित 4,541 मतों के साथ रहे, जिस सीट पर केजरीवाल ने 2013 में अपना कार्यकाल शुरू करने के लिए अपनी मां से छीना था.

प्रवेश वर्मा: पूर्व सीएम के बेटे और दो बार बने सांसद

दिल्ली के पूर्व सीएम साहिब सिंह वर्मा के बेटे प्रवेश वर्मा ने संसद पहुंचने से पहले महरौली से विधायक के तौर पर जीत दर्ज की थी. 2013 में दिल्ली विधानसभा भंग होने के बाद उन्हें 2014 में लोकसभा के लिए मैदान में उतारा गया. वे पश्चिमी दिल्ली से जीते और 2019 के चुनाव में भी सीट पर कब्जा बरकरार रखा. वह तब मशहूर हुए जब 2019 के लोकसभा चुनाव में दिल्ली में संसदीय चुनाव 5.7 लाख वोटों के अंतर से जीता.

हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनावों में, बीजेपी ने बदलाव का विकल्प चुना और वर्मा की जगह पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीट के लिए जाट समुदाय के नेता कमलजीत सहरावत को मैदान में उतारा.

मार्च 2024 में टिकट कटने के बाद प्रवेश वर्मा ने कहा, "बीजेपी द्वारा मुझे टिकट न दिए जाने के पीछे कोई कारण नहीं है. यह हमारी पार्टी है, जिसमें एक कार्यकर्ता सीएम बन सकता है और एक चाय बेचने वाला पीएम बन सकता है. बीजेपी हर कार्यकर्ता को मौका देती है." प्रवेश वर्मा ने कहा, "हमारा ध्यान 400 सीटें जीतने और फिर दिल्ली विधानसभा जीतने पर है." मसलन, बीजेपी का चेहरा न होते हुए भी प्रवेश वर्मा निश्चित रूप से दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले भगवा पार्टी के सबसे भरोसेमंद और कट्टर सिपहसालार रहे हैं.

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कैसे प्रवेश वर्मा ने खुद को मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में स्थापित किया?

प्रवेश वर्मा ने आक्रामक तरीके से बीजेपी के अभियान को दिल्ली के लोगों तक पहुंचाया. उन्होंने केंद्र के शासन के बारे में बात की और केजरीवाल और आप की नीतियों की आलोचना की. उन्होंने प्रदूषण प्रबंधन और बुनियादी ढांचे पर जनता का ध्यान खींचा. प्रवेश वर्मा के अभियान में अरविंद केजरीवाल के साथ तीखी नोकझोंक हुई, जिसमें संसाधनों के दुरुपयोग और सुरक्षा संबंधी चिंताओं के आरोप शामिल थे.

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यहां तक ​​कि प्रवेश वर्मा ने मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास पर बीजेपी के 'शीशमहल' आरोप को भी उठाया और यमुना प्रदूषण पर उनकी नाकामी को लेकर अरविंद केजरीवाल और आप पर हमला किया. जहां उन्होंने बीजेपी का संदेश दिल्ली के लोगों तक पहुंचाया, वहीं उन्होंने आप पर तीखे हमले करके खुद को संभावित मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में भी स्थापित किया.

सीएम पद के चेहरे के बारे में पूछे जाने पर वर्मा ने कहा, "मैं इस बारे में बाद में बात करूंगा." अब जब वह नई दिल्ली में केजरीवाल के खिलाफ जीत कर उभरे हैं, तो वर्मा से जब तीखे चुनाव प्रचार के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने मशहूर गीत के साथ जवाब दिया, "छोड़ो कल की बातें, कल की बात पुरानी, ​​नए दौर में लिखेंगे हम मिल कर नई कहानी."

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आज, सबकी नजरें प्रवेश वर्मा पर है. उन्हें भले ही बीजेपी की 2024 की लोकसभा प्लेइंग 11 से बाहर कर दिया गया हो, लेकिन उन्होंने दिल्ली की राजनीति में सबसे बड़ा विकेट लिया है. अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या उन्हें कप्तानी मिलेगी? यह तो समय और भाजपा आलाकमान ही बताएगा.

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