बर्खास्त ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर के पिता दिलीप खेडकर एक बार फिर चुनावी मैदान में है. दिलीप खेडकर अहमदनगर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं. उन्होंने अपने नामांकन में खुलासा किया है कि वह तलाकशुदा हैं.
यह स्थिति 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान उनके हलफनामे में दी गई जानकारी के विपरीत है. कुछ महीनों पहले ही हुए लोकसभा के चुनाव में भी दिलीप खेडकर ने चुनाव लड़ा था और खुद को मनोरमा खेडकर से विवाहित बताया था.
लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं दिलीप खेडकर
तब दिलीप खेडकर ने वंचित बहुजन आघाड़ी पार्टी के टिकट पर अहमदनगर निर्वाचन क्षेत्र से आम चुनाव लड़ा था लेकिन करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था. लोकसभा चुनाव के लिए प्रस्तुत अपने हलफनामे में दिलीप खेडकर ने मनोरमा खेडकर को अपनी पत्नी बताया था और उनकी संयुक्त स्वामित्व वाली संपत्तियों का विवरण दिया था. उन्होंने अपने परिवार को "अविभाजित हिंदू परिवार" भी बताया.
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जून 2010 हो चुका था तलाक
आजतक को मिले प्राप्त दस्तावेजों से पता चलता है कि दिलीप और मनोरमा खेडकर ने 2009 में पुणे के पारिवारिक न्यायालय में आपसी सहमति से तलाक के लिए अर्जी दी थी और 25 जून, 2010 को तलाक फाइनल हो गया. ऐसा कहा जाता है कि तलाक के बावजूद, दोनों पति-पत्नी पुणे के बानेर इलाके में मनोरमा खेडकर के स्वामित्व वाले बंगले में एक साथ रहते थे.
पूजा खेडकर को बर्खास्त कर चुकी है सरकार
आपको बता दें कि बर्खास्त ट्रेनी IAS पूजा खेडकर के खिलाफ केंद्र सरकार ने IAS (परिवीक्षा) नियम, 1954 के नियम 12 के अंतर्गत एक्शन लेते हुए उन्हें तत्काल प्रभाव से भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) से मुक्त कर दिया है. सरकार ने UPSC परीक्षा में OBC और दिव्यांगता कोटे का दुरुपयोग करने के आरोप में पूजा के खिलाफ कार्रवाई की है. इससे पहले संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने 31 जुलाई को उनकी उम्मीदवारी रद्द कर दी थी. साथ ही उन्हें भविष्य की परीक्षाओं से वंचित कर दिया था.
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पूजा खेडकर ने 2020-21 में ओबीसी कोटे के तहत 'पूजा दिलीपराव खेडकर' नाम से परीक्षा दी. 2021-22 में सभी अटेम्प्ट पूरे करने के बाद पूजा ओबीसी और PWBD (दिव्यांग व्यक्ति) कोटे के तहत परीक्षा में शामिल हुईं. तब उन्होंने 'पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर' नाम का इस्तेमाल किया. पूजा ने ऑल इंडिया स्तर पर 821 रैंक हासिल की थी. उनकी उम्मीदवारी के दावों की पुष्टि के लिए 11 जुलाई को एक एकल सदस्यीय समिति गठित की गई और 24 जुलाई को एक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई. कमेटी की रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए सरकार ने IAS (प्रोबेशन) नियम, 1954 के नियम 12 के प्रावधानों के अनुसार एक जांच की.