हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर आजतक का खास कार्यक्रम 'पंचायत आजतक'का आयोजन हो रहा है. कार्यक्रम में विभिन्न सत्र आयोजित किए जा रहे हैं जिसमें राजनेताओं से लेकर अन्य क्षेत्रों से जुड़े लोग हिस्सा ले रहे हैं. इसी दौरान एक सत्र में हरियाणा के पूर्व उप मुख्यमंत्री और जेजेपी प्रमुख दुष्यंत चौटाला पहुंचे और तमाम सवालों के जवाब दिए.
दुष्यंत चौटाला ने कहा कि राजनीति में उतार, चढ़ाव और बदलाव आखिरी क्षण तक होता है. इस बार मेरे सहयोगी चंद्रशेखर और हमारी जो जोड़ी है वो ताला भी हमारा होगा,चाबी भी हमारी होगी और अगर हमें किसी का हाथ या साथ चाहिए होगा तो देखेंगे. किसका हाथ लेंगे और किसका साथ लेंगे? इस सवाल पर दुष्यंत चौटाला ने कहा, ना पिछली बार ये सोचा था कि किसके साथ जाएंगे क्योंकि चाहते थे कि प्रदेश को स्थिर सरकार मिले और जेजेपी के वादे पूरे हों, इसलिए हम बीजेपी के साथ गए क्योंकि उन्होंने वादा किया था.
इस चुनाव में क्या कांग्रेस के पीछे जाएंगे? इस पर दुष्यंत चौटाला ने कहा कि कौन मीरे पीछे आता है किसको पता है? आज नीतीश जी 42 विधायकों के साथ बीजेपी के साथ भी सरकार बना गए और आरजेडी के साथ भी सरकार बना गए.
किसान आंदोलन में दे देना चाहिए था इस्तीफा
दुष्यंत चौटाला ने कहा, 'किसान आंदोलन के दौरान मेरी गलती थी कि मुझे इस्तीफा दे देना चाहिए था, जनभावनाएं थीं. राजनीति के अंदर अब समझ आया है. अगर मैं किसान आंदोलन के समय छोड़ देता तो मेरे सात एमएलए उसी समय भाग जाते, जेजेपी का सिंबल भी बीजेपी ले जाती. सबसे ज्यादा क्रेडिबिलिटी का सवाल तो इन राष्ट्रीय पार्टियों पर उठता है. जिस विधानसभा से मैं लड़ रहा हूं वहां से बिजेंद्र सिंह लड़ रहे हैं जो पहले बीजेपी सांसद थे. हासी के अंदर किसान आंदोलन के विरोध में ट्रैक्टर चलाने वाला वो, किसानों के खिलाफ लाग गए बिल पर संसद में वोट करने वाला वो, आज वो अगर कांग्रेस में शामिल हो गया तो क्या वह पाकसाफ हो गया? मैं तो आज भी वहीं खड़ा हूं, पहले भी झेल रहा था और आज भी झेल रहा हूं. मैं कुलदीप बिश्नोई तो नहीं बना तो कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में गया बेटे की टिकट के लिए. मैं इतना विश्वास जरूर रखता हूं कि जैसा संघर्ष कर रहे हैं. हमारे परिवार ने हर तरह का संघर्ष किया है.'
पहलवानों पर कही ये बात
पहलवान आंदोलन के दौरान आपने इस्तीफा नहीं दिया? इस सवाल पर दुष्यंत चौटाला ने कहा, 'मैं दीपेंद्र तरह की नहीं हूं जिनके पिता ने पूरी कांग्रेस का सत्यानाश कर दिया कि बेटा राज्यसभा में पहुंच सके. राज्यसभा के चुनाव हुए कांग्रेस केवल हुड्डा वाली सीट ही जीत सकी जबकि अजय माकन हार गए. मुझे वो गणित नहीं आता कि एक बेटे की सीट के लिए पूरी कांग्रेस का सत्यानाश कर दिया. कांग्रेस का एक विधायक है गोगी, वो कहता है कि मैं पहले अपना घर भरूंगा फिर औरों का भरूंगा. कुनाल भादू जो भूपेंद्र हुड्डा का दामाद है वो झज्जर में कहता है कि हां कांग्रेस की सरकार आ रही है हां रोहतक और झज्जर की सरकार आ रही है. इसका मतलब तो 20 जिले तो प्रदेश के अछूते रह गए. दोनों ही जिले में काम होगा.'
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दुष्यंत चौटाला ने कहा, 'जहां तक पहलवान आंदोलन का जहां तक सवाल है उसमें मेरे इस्तीफे का सवाल ही नहीं बनता है. पहलवानों का आंदोलन दिल्ली पुलिस ने टैकल किया. पहलवान जिस फेडरेशन के खिलाफ लड़ रहे थे वो दिल्ली में रजिस्टर्ड थी, जिस अध्यक्ष के खिलाफ लड़ रहे थे वो बीजेपी के बिहार के बार्डर से सटी सीट का सांसद है. मैंने उस समय भी कहा था कि फेयर जांच होनी चाहिए... आज से पांच साल पहले जब विनेश के घुटने का ऑपरेशन हुआ था, तो उसकी मदद केवल हमारे छात्र संगठन ने की थी. बच्चों ने पांच लाख रुपये एकत्र करके दिया था. उस समय दीपेंद्र कहां थे. राजनीति का दंगल अलग है और पहलवानी का दंगल अलग है. वहां 1 टू वन मुकाबला होता है यहां 2 लाख लोगों के बीच मुकाबला होता है.'
चाबी का चुनाव चिह्न मिलने पर दुष्यंत चौटाला ने कहा, 'मैं तो मानता हूं कि बहुत अच्छा सिंबल मिला. आप हरियाणा चुनाव की बात कर रहे हैं, हम तो देश की चाबी की तैयारी करेंगे.'
आपने गठबंधन जानबूझकर तोड़ा? इस सवाल पर दुष्यंत चौटाला ने कहा, 'दो महीने पहले मुझे जाट कहा जाता था. आज चंद्रशेखर आजाद आ गए तो अब दलित याद आ गया. आप ये क्यों नहीं देखते हैं कि हम दोनों 36 साल के हैं. आप युवा क्यों नहीं सोचते हैं. आज 55 परसेंट वोटर हरियाणा का युवा है.हमारा गठबंधन का संयुक्त घोषणा पत्र जल्द जारी होगा. '
अमित शाह से मुलाकात हुई और कर लिया गठबंधन तोड़ने का फैसला
गठबंधन तोड़ने के फैसले पर दुष्यंत चौटाला ने कहा, 'मैं गृह मंत्री अमित शाह से उस समय मिला जब जनवरी में उनका फरीदाबाद में कार्यक्रम था.उसके बाद दूसरी बार तब मुलाकात हुई जब खट्टर साहब की कुर्सी गई उससे दो दिन पहले वह भी रात को दो बजे, उस समय सीट शेयरिंग के ऊपर हमारी सहमति नहीं बनीं तो हमने एक फैसला किया कि हम एक भी सीट नहीं लड़ते हैं आप 5100 रुपये बुढ़ापा पेंशन कर दीजिए. बीजेपी उसमें असहमत थी. उस समय हमने फैसला कर दिया कि हम नई सरकार जो बनेगी उसमें शामिल नहीं होंगे. आप मेरा एक कैंडिडेट बता दीजिए जो बीजेपी की मदद कर रहा हो. '