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बज गया चुनावी बिगुल! हरियाणा में कांग्रेस का कॉन्फिडेंस हाई, क्या J&K में परिसीमन से बन जाएगा BJP का काम?

जम्मू-कश्मीर में तीन चरणों में चुनाव होंगे जबकि हरियाणा की 90 सीटों पर एक चरण में ही चुनाव होंगे. दोनों ही राज्यों के चुनावी नतीजे 4 अक्टूबर को जारी किए जाएंगे. लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद ये पहला मौका है जब बीजेपी और कांग्रेस चुनावी अखाड़े में एक बार फिर आमने- सामने होंगे. लोकसभा चुनाव के बाद पहली सीधी टक्कर हरियाणा में होनी है.

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हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में चुनावों की तारीखों का ऐलान हो गया है
हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में चुनावों की तारीखों का ऐलान हो गया है

चुनाव आयोग ने शुक्रवार जम्मू-कश्मीर और हरियाणा विधानसभा के चुनावों की तारीख का ऐलान कर दिया. जम्मू-कश्मीर में तीन चरणों में चुनाव होंगे जबकि हरियाणा की 90 सीटों पर एक चरण में ही चुनाव होंगे. दोनों ही राज्यों के चुनावी नतीजे 4 अक्टूबर को जारी किए जाएंगे. लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद ये पहला मौका है जब बीजेपी और कांग्रेस चुनावी अखाड़े में एक बार फिर आमने- सामने होंगे. लोकसभा चुनाव के बाद पहली सीधी टक्कर हरियाणा में होनी है. 

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अब सवाल है कि विधानसभा की बाजी कौन जीतेगा? क्या BJP हैट्रिक बनाएंगी या कांग्रेस की वापसी होगी? चुनाव में अपने प्रदर्शन को लेकर सभी पार्टियों के अपने-अपने दावे हैं, लेकिन चुनावी अखाड़े में मुख्य रूप से 2 बड़े प्लेयर हैं. हरियाणा के चुनाव में ताल ठोकने वाली पार्टियों में बीजेपी, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, जेजेपी, इंडियन नेशनल लोकदल और बीएसपी का गठबंधन है. बड़ी बात ये है कि INDIA गठबंधन के झंडे तले दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन है, लेकिन हरियाणा में दोनों पार्टियां अलग-अलग चुनाव लड़ेंगी.

लोकसभा में खुला कांग्रेस का खाता

कांग्रेस का दावा है कि विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हार तय है. कांग्रेस के दावे के पीछे लोकसभा में उनका प्रदर्शन है. दरअसल, हरियाणा में 2019 के चुनाव में कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई थी, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में 5 सीटों तक पहुंच गई. जहां 2019 के 28.51 फीसदी वोट से बढ़कर कांग्रेस का वोट शेयर 43.67 फीसदी तक पहुंच गया. यानी कांग्रेस सीटों के साथ अपना वोट शेयर भी बढ़ाने में कामयाब रही. सरल शब्दों में समझें तो लोकसभा चुनाव के नतीजे 50-50 रहे, यानी विधानसभा चुनाव की राह बीजेपी के लिए आसान नहीं होगी. हालांकि चुनाव की तारीखों के ऐलान से ठीक पहले मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने किसानों को खुश करने के लिए कई योजनाओं का ऐलान किया.

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हरियाणा चुनाव में होंगे ये तीन बड़े मुद्दे

हरियाणा विधानसभा चुनाव में तीन बड़े मुद्दों है, जिसे लेकर कांग्रेस हमलावर है और बीजेपी बैकफुट पर है. पहला मुद्दा MSP पर किसानों की नाराजगी. दूसरा मुद्दा अग्निवीर योजना को लेकर नाराजगी. तीसरा मुद्दा महिला पहलवान के यौन शोषण का केस. भले ही तीनों कृषि कानून रद्द हो चुके है, लेकिन हरियाणा और पंजाब में अभी भी MSP की मांग को लेकर किसान आंदोलन कर रहे हैं. हरियाणा-पंजाब बॉर्डर पर कई महीनों से किसान बैठे हुए हैं. कुछ दिन पहले ही संसद में किसानों के गुट ने राहुल गांधी से मुलाकात की थी. राहुल ने किसानों को MSP पर कानूनी गारंटी दिलाने का वादा किया था.

ऐसे में राज्य के विधानसभा चुनावों में भी किसानों का मुद्दा छाया रहेगा, तो दूसरी तरफ बीजेपी अपनी सोशल इंजीनियरिंग के जरिए विपक्ष के नैरेटिव का काउंटर करेगी. जातीय समीकरण साधने के लिए बीजेपी ने मनोहर लाल खट्टर को हटाकर नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया. प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर ब्राह्मण चेहरे को बैठाया और जाट वोट में सेंधमारी करने के लिए कांग्रेस की बागी और हरियाणा के पूर्व सीएम बंसी लाल की बहू किरण चौधरी को पार्टी में शामिल करवाया. अब सवाल यही है कि क्या किरण चौधरी की एंट्री से BJP जाट समाज की नाराजगी को दूर कर पाएगी, क्योंकि हरियाणा में BJP का पूरा फोकस गैर जाट वोटरों पर है. 

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कुछ ऐसा है हरियाणा का जातीय समीकरण

हरियाणा में जातीय समीकरण को साधने के लिए सभी पार्टियों ने सोशल इंजीनियरिंग का फॉर्मूला तैयार किया है. बीजेपी का पूरा फोकस गैर-जाट वोटरों पर है, कांग्रेस का जाट और दलित वोटरों पर, आईएनएलडी और जेजेपी का मुख्य रूप से प्रभाव जाट वोटरों तक सीमित है. आप का फोकस सभी वोटरों पर है. वैसे हरियाणा का जातीय समीकरण क्या है, उसे ऐसे समझा जा सकता है. 

जाट - 22 फीसदी 
दलित - 20 फीसदी 
अहीर - 10 फीसदी 
ब्राह्मण - 8 फीसदी 
पंजाबी - 8 फीसदी 
मुस्लिम - 7 फीसदी 
सिख - 4.9 फीसदी 
राजपूत - 4 फीसदी 
गुर्जर - 2.8 फीसदी 
सैनी - 2.5 फीसदी 
विश्नोई - 2 फीसदी 

10 साल बाद जम्मू-कश्मीर में होंगे विधानसभा चुनाव

जम्मू-कश्मीर में भी चुनावों की तारीखों का ऐलान भी हो गया है. 2014 के बाद यानी 10 साल बाद जम्मू-कश्मीर में चुनाव हो रहे हैं. जम्मू कश्मीर में 18 सितंबर को 24 सीटों पर, 25 सितंबर को 25 सीटों पर और 1 अक्टूबर को 40 सीटों पर कुल तीन चरणों में मतदान होना है, और नतीजे 4 अक्टूबर को आएंगे. लेकिन 370 के खात्मे के बाद अब हालात अलग हैं. जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बन चुका है और परिसीमन के बाद सीटें भी बढ़ चुकी हैं. दरअसल, 2014 में जम्मू-कश्मीर में 87 सीटों पर चुनाव हुआ था, अब सीटें बढ़कर 90 हो चुकी हैं. जम्मू रीजन की बात करें तो पहले 37 सीटें थीं, जो अब बढ़कर 43 सीटें हो चुकी हैं और कश्मीर रीजन में पहले 46 सीटें थीं, जो अब बढ़कर 47 सीटें हो गई हैं. पहले लद्दाख की 4 सीटें जम्मू-कश्मीर में शामिल थीं, लेकिन अब लद्दाख अलग UT हो गया है.

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किस पार्टी की कितनी सीटों पर बढ़त

बता दें कि पिछले साल दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट ने 30 सितंबर तक चुनाव कराने का आदेश दिया था और चुनाव उसी डेडलाइन के अंदर हो रहे हैं. धारा 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में 2024 के लोकसभा चुनाव भी हो चुके हैं. और अब विधानसभा चुनावों की तारीखें आई हैं. आपको बताते हैं कि लोकसभा चुनावों के आधार पर जम्मू-कश्मीर में किसकी, कितनी सीटों पर बढ़त है.

एनडीए की 30 सीटों पर बढ़त है, जिसमें बीजेपी-20 और पीपुल्स कांफ्रेंस 1 सीट पर आगे दिखती हैं और INDIA गठबंधन की 46 सीटों पर बढ़त दिखती है. इसमें नेशनल कांफ्रेस को 34, कांग्रेस को 7, पीडीपी को 5  और अन्य की 14 सीटों पर बढ़त दिखती है, जिसमें निर्दलीय 14 सीटों पर आगे दिखते हैं. इस लिहाज से पीडीपी इस दफा कहीं टिकती हुई दिखाई नहीं देती है. वो पीडीपी, जिसने पिछली बार बीजेपी के साथ गठबंधन करके सरकार बनाई थी. लेकिन इस बार जम्मू-कश्मीर में इलेक्शन अलग है और नेशनल कॉन्फ्रेंस और बीजेपी में टक्कर दिखती है.

5 अगस्त 2019 को धारा 370 और 35ए के खत्म होने के साथ ही जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बन गया. इसके बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी जैसे क्षेत्रीय पार्टियां को जोर का झटका लगा. लेकिन जम्मू-कश्मीर में माहौल ना बिगड़े, इसके लिए महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला को नजरबंद कर दिया गया. तब सवाल यही था कि पता नहीं अब जम्मू-कश्मीर का क्या होगा? लेकिन हालात बदले और जम्मू-कश्मीर में शांति की बहाली हुई. पहले लोकसभा चुनाव हुए अब एक बार फिर विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. 

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यह भी पढ़ें: 'उम्मीद है सभी पार्टियों को समान अवसर मिलेंगे...', जम्मू-कश्मीर में चुनाव के ऐलान पर बोले फारूक अब्दुल्ला

किस चरण में कितनी सीटों पर मतदान

-पहला चरण में 18 सितंबर को 24 सीटों पर वोटिंग 
-दूसरे चरण में 25 सितंबर को 26 सीटों पर वोटिंग 
-तीसरा चरण में 1 अक्टूबर को 40 सीटों पर वोटिंग होगी
-सभी सीटों के नतीजे 4 अक्टूबर को आएंगे

पीएम मोदी के J-K दौरे के साथ बीजेपी का मिशन हो गया था शुरू

4 जून को लोकसभा चुनावों के नतीजे आने के बाद और तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद नरेंद्र मोदी जम्मू-कश्मीर पहुंचे थे. यहां उन्होंने युवाओं को नियुक्ति पत्र बांटे और 1500 करोड़ के 84 प्रोजेक्ट्स और कृषि और इससे जुड़े सेक्टर्स के विकास के लिए 1800 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट्स का शिलान्यास किया. यानी बीजेपी का मिशन इलेक्शन यहीं से शुरू हो गया था. बड़ी बात ये है कि जम्मू-कश्मीर में 2014 के बाद यानी 10 साल बाद चुनाव हो रहे हैं. जम्मू-कश्मीर में दिसंबर 2014 में विधानसभा चुनाए हुए थे. तब किसी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला. पीडीपी 28 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी, बीजेपी 25 सीटों के साथ दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी. तब बीजेपी जम्मू रीजन में सबसे ज्यादा सीटे जीती थी, जबकि पीडीपी कश्मीर रीजन में सबसे ज्यादा सीटे जीती थी. 

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चुनाव

दिलचस्प है जम्मू-कश्मीर की चुनावी जंग

मार्च 2015 में बीजेपी-पीडीपी गठबंधन में पीडीपी के मुफ्ती मोहम्मद सईद सीएम और बीजेपी के निर्मल सिंह उपमुख्यमंत्री बने. 7 जनवरी 2016 को जम्मू-कश्मीर के सीएम मुफ्ती मोहम्मद सईद का निधन हो गया. 4 अप्रैल 2016 को बीजेपी-पीडीपी गठबंधन में पीडीपी की महबूबा मुफ्ती सीएम बनीं. 19 जून 2018 को बीजेपी ने पीडीपी सरकार से समर्थन वापस ले लिया. 20 जून 2018 को जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू हुआ और 21 नवंबर 2018 को वहां विधानसभा भंग कर दी गई. 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म हुआ, जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बना, लद्दाख अलग केंद्र शासित प्रदेश बना. परिसीमन के जम्मू-कश्मीर की सीटें 87 से 90 हो गई हैं. इस बार जम्मू-कश्मीर की चुनावी जंग बहुत तगड़ी है. बीजेपी ने पिछले 5 साल में पूरी बिसात बिछाई है, तो कश्मीर में क्षेत्रीय दल भी चुनावों में बीजेपी से बदला लेने के लिए बेताब दिख रहे हैं. और कांग्रेस, बीजेपी के खिलाफ इन क्षेत्रीय दलों के साथ ही खड़ी नजर आ सकती है. फारुख अब्दुल्ला कहते हैं कि वो जम्मू-कश्मीर के सीएम बनने के लिए भी तैयार हैं.

(आजतक ब्यूरो)

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