हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में केंद्र सरकार में मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने शुक्रवार को एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए किसान आंदोलन को लेकर बड़ा बयान दिया. वह कैथल जिले की गुहला विधानसभा में भाजपा प्रत्याशी कुलवंत बाजीगर के लिए प्रचार करने आये थे. इस दौरान अपने संबोधन में खट्टर ने कहा, 'किसानों का मुखौटा पहनकर पंजाब के कुछ लोगों ने चढ़ाई शुरू कर दी थी. हमने एक साल वो सब भुगता. उसके पीछे मंशा थी कि केंद्र और हरियाणा की सरकारों को कैसे गिराया जाए.'
मनोहर लाल खट्टर ने आगे कहा, 'मुखौटा पहने वो लोग ट्रैक्टर लेकर दिल्ली में पहुंच गए थे. वहां लाल किले पर चढ़ गए थे. वो किसान नहीं थे. हम तो देशभक्त लोग हैं. कुछ लोग आपको भ्रम में डालेंगे. लेकिन उनके बहकावे में नहीं आना है.' उन्होंने आगे कहा, 'अब पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर बैठे किसानों ने आने-जाने वालों के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है. लेकिन हरियाणा के लोग इस बात से खुश हैं कि राज्य सरकार ने उन्हें बॉर्डर पर ही रोक दिया और आगे नहीं बढ़ने दिया.'
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खट्टर ने कहा, 'हमने इस रास्ते को खोलने के लिए योजना बना ली थी, लेकिन उस पार जो कुछ लोग किसानों का मुखौटा पहनकर बैठे हैं, जो सिस्टम को खराब करना चाहते हैं. ये ऐसे लोग हैं, जो स्थिर सरकारों को अस्थिर करना चाहते हैं. डिटेल में जाने की आवश्यकता नहीं, आपको भी पता है कि वे कौन लोग हैं.' मनोहर लाल खट्टर के इस बयान पर कांग्रेस ने बीजेपी को घेरने की कोशिश की है. कांग्रेस नेता कुमारी सैलजा ने खट्टर के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'किसानों से बीजेपी का कोई लेना देना नहीं है. किसानों के प्रति राहुल गांधी की कमीटमेंट है.'
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कांग्रेस के एक्स हैंडल पर एक पोस्ट में लिखा गया, 'हरियाणा के पूर्व CM और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा- 'शंभू बॉर्डर पर जो बैठे हैं, वो किसान नहीं हैं. उन्होंने बस किसान का मुखौटा पहन रखा है. ये पहली बार नहीं है, जब BJP ने किसानों का अपमान किया है. मंत्री खट्टर का ये बयान BJP का किसान विरोधी चेहरा दिखाता है.' हाल ही में मंडी की बीजेपी सांसद कंगना रनौत ने कहा था कि रद्द किए गए कृषि कानूनों को वापस लाया जाना चाहिए और खुद किसानों को इन्हें लागू करने की मांग केंद्र सरकार से करनी चाहिए. अपने इस बयान पर विवाद बढ़ने के बाद कंगना ने एक वीडियो जारी कर खेद जताया था और अपने शब्द वापस लेने की बात कही थी.