जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद हुए पहले विधानसभा चुनाव में 29 सीटें जीतकर भाजपा दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. इस तरह उसने 2014 के चुनावों में मिली 25 सीटों की संख्या में सुधार किया है. हालांकि, भगवा पार्टी को सबसे बड़ा झटका नौशेरा निर्वाचन क्षेत्र से उसके केंद्र शासित प्रदेश अध्यक्ष रविंदर रैना की नेशनल कॉन्फ्रेंस के हाथों हार से लगा. वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन ने 48 सीटें हासिल करके बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया.
ऐसे में आइए नजर डालते हैं जम्मू-कश्मीर की कुछ वीआईपी सीटों पर...
सीट का नाम | जीते | कौन हारे | |
गांदरबल | उमर अब्दुल्ला (NC) | बाशिर अहमद शाह (पीडीपी) | |
बडगाम | उमर अब्दुल्ला | अगा सैय्यद (पीडीपी) | |
वैष्णो देवी | बीजेपी के बलदेव शर्मा | कांग्रेस के भूपेंद्र सिंह | |
नौशेरा | एनसी के सुरेंद्र चौधरी | बीजेपी के रविंद्र रैना | |
बिजबेहरा | एनसी के बाशिर अहमद | पीडीपी की इल्तिजा मुफ्ती |
उमर अब्दुल्ला ने दो सीटों से लड़ा चुनाव
इस बार नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने दो सीटों से चुनाव लड़ा है. बडगाम और गांदरबल सीट से उमर अब्दुल्ला ने चुनाव लड़ा. दोनों ही सीटों पर उन्होंने जीत दर्ज की है.
जानें वैष्णो देवी सीट का हाल
वैष्णो देवी सीट जम्मू संभाग में आती है. यहां बीजेपी का जलवा देखने को मिला है. वैष्णो देवी सीट से बीजेपी के बलदेव राज शर्मा ने जीत दर्ज की है.
नौशेरा सीट पर बीजेपी को झटका
नौशेरा सीट इसलिए चर्चा में आई थी क्योंकि यहां से बीजेपी जम्मू-कश्मीर अध्यक्ष रविंद्र रैना चुनाव लड़ रहे थे. लेकिन यहां उन्हें नेशनल कॉन्फ्रेंस के सुरेंद्र चौधरी से तगड़ा झटका मिला है. रैना को 27,250 वोट मिले और वह नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के सुरिंदर चौधरी से 7,819 मतों के अंतर से हार गए. चौधरी को 35,069 मत मिले.
बिजबेहरा सीट पर एनसी की जीत
बिजबेहरा सीट पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के बशीर अहमद शाह वीरी ने पीडीपी उम्मीदवार इल्तिजा मुफ्ती को 9,770 वोटों से हरा दिया. नेशनल कॉन्फ्रेंस के उम्मीदवार को 33,299 वोट मिले, जबकि इल्तिजा को 23,529 वोट प्राप्त हुए.
बता दें कि जम्मू-कश्मीर में 90 विधानसभा सीटों पर तीन फेज में वोटिंग हुई थी. यहां पहले चरण के तहत 18 सितंबर, दूसरे चरण में 25 सितंबर और तीसरे चरण के तहत 1 अक्टूबर को वोटिंग हुई थी. तीनों फेज में कुल मिलाकर 63.45 फीसदी वोटिंग हुई थी. इस बार नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस ने गठबंधन में चुनाव लड़ा, जबकि महबूबा मुफ्ती की पीडीपी और भारतीय जनता पार्टी (BJP) अपने दम पर अकेले ताल ठोकी.