जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में तीसरे चरण में होने वाले मतदान के लिए सभी प्रत्याशियों ने अपने प्रचार अभियान तेज कर दिया है. इसी क्रम में जमात-ए-इस्लामी के समर्थन वाले निर्दलीय उम्मीदवार सिकंदर वानी भी अपने प्रचार अभियान में जुटे हुए हैं. इस दौरान उनके एक पैर में जीपीएस डिवाइस नजर आ रही है, जिससे सुरक्षा एजेंसियां लगातार उनकी लोकेशन पर नजर रख रही हैं.
बांदीपोरा विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार ने सिकंदर वानी ने प्रचार के दौरान आजतक से खास बातचीत में बताया कि पहले मैं आपको बता दूं की मैं पैरोल पर नहीं हूं, मेरी बेल हो चुकी है और हम यहां लंबे वक्त से इलेक्शन में हिस्सा लेते रहे हैं. लोगों का काफी अच्छा समर्थन हमे मिल रहा है.
उन्होंने कहा कि जाहिर सी बात है, जब हमारा संगठन बैन है तो उन्होंने हमे समर्थन देकर चुनावी मैदान में उतारा है. भले ही हम निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन हम अपने संगठन की ओर से सांकेतिक उम्मीदवार हैं.
'शुरू-शुरू में होती थी परेशानी'
वहीं, जब उनसे पैर में पड़े जीपीएस डिवाइस के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि शुरू-शुरू में मुझे इससे काफी परेशानी होती थी, क्योंकि ये एक मशीन है जो किसी व्यक्ति द्वारा मुझे मॉनिटर करेगी कि मैं कहां जाऊं या कितनी देर वहां रहूं. मुझे लगता है कि ये मानवाधिकारों का उल्लंघन है. ये डिवाइस मेरे पैर में पिछले चार महीने से है.
उन्होंने कहा कि हम पिछले 35 सालों से ज्यादा की बहिष्कार की राजनीतिक और अलगाववाद की परछाई हैं जो इन चुनावों में जमात के उम्मीदवार के लिए एक चुनौती है, क्योंकि लोग अचानक इस बदलाव पर सवाल उठा रहे हैं. हालांकि, सिकंदर वानी को उम्मीद है कि जमात एक नई शुरुआत कर सकती है और जमात 2.0 के दृष्टिकोण पर बैंकिंग कर रही है. जमात कश्मीर में शांति चाहता हैं और अपने धार्मिक कार्य को फिर से शुरू करना चाहता है. जो भारत सरकार द्वारा यूएपीए प्रतिबंध हटाए जाने के बाद हो सकते हैं.