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हरियाणा की पॉलिटिक्स में डेरा का कितना असर? 26 सीटों को सीधे प्रभावित करते हैं अनुयायी

डेरा के सूत्रों के अनुसार उनके अनुयायियों की संख्या 1.25 करोड़ है. डेरा की 38 शाखाओं में से 21 अकेले हरियाणा में स्थित हैं. धार्मिक संप्रदाय होने के बावजूद डेरा के राजनीतिक हित हैं और उन्होंने एक पॉलिटिकल ब्रांच यानी राजनीतिक शाखा स्थापित की है, जो गुरमीत राम रहीम के निर्देशन में काम करती है. यह संप्रदाय पहले शिरोमणि अकाली दल, भाजपा और कांग्रेस में शामिल रहा है.

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गुरमीत राम रहीम को एक बार फिर पैरोल मिल गई है
गुरमीत राम रहीम को एक बार फिर पैरोल मिल गई है

रेप और मर्डर केस में सजा काट रहा गुरमीत राम रहीम एक बार फिर 20 दिन की पैरोल पर जेल से बाहर आ गया है. गुरमीत राम रहीम को पैरोल मिलने के साथ ही ये सवाल खड़े हो रहे हैं कि जब भी पंजाब और हरियाणा में चुनाव होते हैं, तब रेप और मर्डर के दोषी डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को तुरंत पैरोल और फरलो कैसे मिल जाती है. 

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डेरा प्रमुख पिछले 7 साल में 15 बार जेल से बाहर आ चुका है और 259 दिन से ज़्यादा जेल से बाहर रह चुका है. दिलचस्प बात ये है कि उसे पैरोल विधानसभा, लोकसभा या पंचायत चुनाव के समय ही मिली. गुरमीत राम रहीम की फरलो और पैरोल के आंकड़ों से साफ पता चलता है कि बीजेपी ने हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में उसे जेल से बाहर लाकर चुनावों को निशाना बनाया. हालांकि बीजेपी नेताओं का कहना है कि ये सिर्फ संयोग की बात थी कि तब चुनाव थे, लेकिन रिहाई राज्य के जेल मैनुअल प्रावधानों के अनुसार हुई. 

चुनाव के आसपास राम रहीम को कब-कब मिली राहत?

तारीख दिन मौका
30 सितंबर 2024   20 दिन   हरियाणा विधानसभा चुनाव
13 अगस्त  2024 21 दिन हरियाणा विधानसभा चुनाव
20 जनवरी 2024 50 दिन लोकसभा चुनाव
21 नवंबर 2023 21 दिन राजस्थान विधानसभा चुनाव
20 जुलाई 2023  30 दिन  हरियाणा पंचायत चुनाव
21 जनवरी 2023 40 दिन हरियाणा पंचायत चुनाव
15 अक्टूबर 2022  40 दिन आदमपुर, हरियाणा उपचुनाव
17 जून 2022 30 दिन हरियाणा एमसी चुनाव
7 फरवरी 2022 21 दिन पंजाब विधानसभा चुनाव


पैरोल के बाद उठे ये सवाल

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जिस तरह से गुरमीत राम रहीम को पैरोल या फरलो मिलती आ रही हैं, उससे एक सवाल ये भी उठता है कि डेरा का राजनीति में कितना असर है और डेरा अनुयायी हरियाणा के वोटर्स को कैसे प्रभावित कर सकते हैं? इसे सिलसिलेवार तरीके से समझते हैं. 

हरियाणा के 6 जिलों में डेरा के सबसे ज्यादा अनुयायी

सबसे पहले तो ये समझिए कि डेरा सच्चा सौदा के हरियाणा के 6 जिलों में काफी अनुयायी हैं, इनमें फतेहाबाद, कैथल, कुरुक्षेत्र, सिरसा, करनाल और हिसार शामिल हैं. हरियाणा के कम से कम 26 विधानसभा क्षेत्रों में डेरा के अनुयायी हैं. फतेहाबाद में डेरा के अनुयायियों की संख्या सबसे ज्यादा है, जहां टोहाना, रतिया और फतेहाबाद समेत तीनों निर्वाचन क्षेत्रों को डेरा अनुयायी काफी प्रभावित करते हैं. 

डेरा की कुल 38 शाखाएं, इसमें सिर्फ हरियाणा में 21

डेरा के सूत्रों के अनुसार उनके अनुयायियों की संख्या 1.25 करोड़ है. डेरा की 38 शाखाओं में से 21 अकेले हरियाणा में स्थित हैं. धार्मिक संप्रदाय होने के बावजूद डेरा के राजनीतिक हित हैं और उन्होंने एक पॉलिटिकल ब्रांच यानी राजनीतिक शाखा स्थापित की है, जो गुरमीत राम रहीम के निर्देशन में काम करती है. यह संप्रदाय पहले शिरोमणि अकाली दल, भाजपा और कांग्रेस में शामिल रहा है. 

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लाखों की संख्या में हैं डेरा के फॉलोअर्स

राजनीतिक विश्लेषक प्रो. गुरमीत सिंह कहते हैं कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि हरियाणा में डेरा के लाखों अनुयायी हैं, जो कुछ हद तक चुनावों को प्रभावित कर सकते हैं. संप्रदाय के ज़्यादा अनुयायी फतेहाबाद जिले में हैं, जहां डेरा अनुयायी टोहाना, रतिया और फतेहाबाद सहित तीन निर्वाचन क्षेत्रों को प्रभावित कर सकते हैं, पिछले दिनों कई नेताओं को डेरा प्रमुख से मिलते देखा गया था.

विपक्षी दलों ने किया पैरोल का विरोध

इस बीच विपक्षी कांग्रेस, सिख संगठनों, शिरोमणि अकाली दल और पीड़ितों के परिवारों ने चुनाव आयोग से डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को दी गई पैरोल को रद्द करने का अनुरोध किया है, उन्होंने कहा कि ये आचार संहिता का स्पष्ट उल्लंघन है. शिरोमणि अकाली दल के प्रवक्ता और वरिष्ठ महासचिव डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि यह बेहद शर्मनाक है कि रेप और मर्डर के दोषी को बार-बार पैरोल दी जा रही है. जेल में सजा काट रहे सिखों के परिवारों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है. डेरा प्रमुख को महीनों की पैरोल मिल रही है, जबकि अन्य कैदियों को सिर्फ कुछ घंटों की रिहाई मिल रही है. मृतक पत्रकार रामचंद्र छत्रपति के बेटे अंशुल छत्रपति ने भी पैरोल पर सवाल उठाए हैं और पैरोल रद्द करने की मांग की है. उन्होंने आशंका जताई है कि डेरा प्रमुख चुनावों को प्रभावित कर सकते हैं.

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डेरा का हरियाणा की राजनीति में असर

डेरा सच्चा सौदा का राजनीतिक प्रभाव उसकी अगड़ी जातियों के अनुयायियों के अलावा पिछड़ी जाति के अनुयायियों में भी है. हालांकि अनुयायियों में दलितों की संख्या कम है. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि आम तौर पर हरियाणा में अगड़ी जाति के वोट कांग्रेस और भाजपा जैसी मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टियों के बीच बंट जाते हैं. फिर भी पिछड़ी जातियों के डेरा अनुयायी डेरा प्रमुख द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करते हैं. न तो भाजपा और न ही कांग्रेस, डेरा अनुयायियों को नाराज़ करने का जोखिम उठा सकती हैं. चुनाव के दौरान कांग्रेस और भाजपा दोनों के नेता डेरा में आए थे. गुरमीत राम रहीम के बेटे की शादी कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक हरमिंदर सिंह जस्सी से हुई है.

डेरा ने कब-कब, किस पार्टी को दिया समर्थन?

2007 के पंजाब विधानसभा चुनाव में डेरा ने कांग्रेस को अपना समर्थन देने की घोषणा की थी. 2014 में डेरा सच्चा सौदा ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भाजपा का समर्थन किया था. 2015 में डेरा ने नई दिल्ली चुनाव में भाजपा का खुलकर समर्थन किया था. संप्रदाय ने 2015 के बिहार चुनावों में भी भाजपा का समर्थन किया था. अनुमान है कि बिहार में भाजपा के लिए 3000 अनुयायियों ने प्रचार किया था.

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