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हरियाणा हो या जम्मू कश्मीर... विधानसभा चुनाव में छोटी पार्टियों को हुआ बड़ा नुकसान

हरियाणा और जम्मू कश्मीर में चुनावी नतीजे साफ हो गए हैं. हरियाणा में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिलता दिख रहा है. वहीं, जम्मू-कश्मीर में नेशलन कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस का गठबंधन सरकार बनाने की तैयारी में हैं, लेकिन इस चुनाव में दोनों जगहों पर छोटी पार्टियों को बड़ा नुकसान हुआ है.

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दुष्यंत चौटाला की जेजेपी और महबूबा मुफ्ती की पीडीपी को विधानसभा चुनाव में बड़ा नुकसान हुआ है
दुष्यंत चौटाला की जेजेपी और महबूबा मुफ्ती की पीडीपी को विधानसभा चुनाव में बड़ा नुकसान हुआ है

हरियाणा और जम्मू कश्मीर में चुनावी नतीजे साफ हो गए हैं. हरियाणा में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिलता दिख रहा है. भारतीय जनता पार्टी यहां 48 सीटों पर चुनाव जीत गई है.जबकि कांग्रेस 36 सीटों पर जीत गई है और एक सीट पर आगे चल रही है. वहीं, जम्मू-कश्मीर में नेशलन कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस का गठबंधन सरकार बनाने की तैयारी में हैं. अलायंस के खाते में 48 सीटें आई हैं. इसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस को 42 तो कांग्रेस को 6 सीटों पर जीत मिली है. दोनों जगहों पर 90-90 सीटों के लिए चुनाव हुए थे. लेकिन इस चुनाव में दोनों जगहों पर छोटी पार्टियों को बड़ा नुकसान हुआ है. 

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सबसे पहले बात करते हैं हरियाणा की. यहां जननायक जनता पार्टी (JJP) और इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) के किले ढहते नजर आ रहे हैं. दोनों खेमों को बड़ा नुकसान हुआ है. पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला और उनकी पार्टी जननायक जनता पार्टी का हाल बेहद खराब है. उनकी पार्टी को सिर्फ 0.90 फीसदी वोट शेयर मिला है. जेजेपी ने चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी (एएसपी) के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था, लेकिन जेजेपी और एएसपी का खाता तक नहीं खुला है. जेजेपी ने 70 सीटों पर तो एएसपी ने 20 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे.

दुष्यंत चौटाला ने उचाना कलां सीट से ताल ठोकी थी. शाम 6 बजे तक वह इस सीट पर पांचवें नंबर पर हैं. हालांकि शुरुआती रुझान में वह छठे नंबर पर थे, उन्हें महज 7950 वोट मिले हैं. वह 41018 वोटों से पीछे चल रहे हैं. जननायक जनता पार्टी ने 2019 के विधानसभा चुनाव में 10 सीटें जीती थीं, और बीजेपी के साथ गठबंधन कर सरकार बनाई थी, दुष्यंत उप-मुख्‍यमंत्री बने थे, लेकिन चुनाव से पहले जेजेपी ने अपने रास्ते बीजेपी से अलग कर लिए थे. 

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इनेलो ने सिर्फ 2 सीटें जीतीं

वहीं, इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) को भी इस चुनाव में बड़ा नुकसान हुआ है. इनेलो ने बसपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. लेकिन इनेलो सिर्फ 2 सीटों पर ही सिमटकर रह गई है. पहली सीट है डबवाली, जहां से आदित्य ने चुनाव जीता है, लेकिन उनकी जीत का मार्जिन बेहद कम है. वह सिर्फ 610 वोटों से जीते हैं, उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी और कांग्रेस कैंडिडेट अमित सिहाग को हराया है. 

इसके अलावा सिरसा जिले की रानिया सीट भी इनेलो के खाते में आई है, यहां से अर्जुन चौटाला ने कांग्रेस के सर्वमित्र को 4191 वोटों से हराया है. बता दें कि अर्जुन अर्जुन चौटाला के दादा रणजीत सिंह चौटाला ने भी निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर इसी सीट से ताल ठोकी थी. बता दें कि इनेलो ने बसपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा और हरियाणा की 37 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. 

जम्मू-कश्मीर में पीडीपी को नुकसान

अब रुख करते हैं जम्मू-कश्मीर का... यहां 2014 के बाद यानी 10 साल बाद 90 सीटों पर विधानसभा चुनाव हुए. इसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस का गठबंधन सरकार बनाने जा रहा है, लेकिन महबूबा मुफ्ती की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) को बड़ा झटका लगा है. पीडीपी ने सिर्फ 3 सीटों पर जीत हासिल की है,  इसमें कुपवाड़ा, त्राल और पुलवामा की सीटें हैं, लेकिन हैरान करने वाली बात ये है कि पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती चुनाव हार गई हैं, उन्होंने श्रीगुफवाड़ा-बिजबेहड़ा से चुनाव लड़ा था. कांग्रेस के बशीर अहमद शाह वीरी ने इल्तिजा को 9770 वोटों से हराया है. 

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पीडीपी की हार इसलिए भी चर्चा का विषय है, क्योंकि जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव 2014 के बाद किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था. पीडीपी ने 28 सीटें तो बीजेपी ने 25 सीटें जीती थीं, दोनों पार्टियों ने एक साझा न्यूनतम कार्यक्रम पर सहमति बनाते हुए मार्च 2015 में गठबंधन सरकार बनाई थी, हालांकि ये गठबंधन सिर्फ तीन साल तीन महीने तक ही यानी 2018 तक चला था. 

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