हरियाणा के मिलेनियम सिटी गुरुग्राम में बेहद खराब स्थिति में पहुंच चुकी सिविक फैसिलिटी बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं. इलेक्शन में महज 20 दिन बाकी रह गए हैं. पिछले एक दशक से गुरुग्राम में बीजेपी का दबदबा रहा है, और पार्टी ने 2014 से लगातार तीन बार विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की है. हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में गुरुग्राम की नागरिक सुविधाओं के स्तर में आई गिरावट ने मिलेनियम सिटी नाम से मशहूर से इस शहर को ट्रोल्स के निशाने पर ला दिया है. शहरवासी लगातार खराब सुविधाओं को लेकर शिकायतें करते रहे हैं.
कार्पोरेट हब के तौर पर है गुरुग्राम की पहचान
कॉर्पोरेट हब के तौर पर पहचान रखने वाला गुरुग्राम राजनीतिक वर्ग के लिए महत्वपूर्ण है. खासकर राष्ट्रीय राजधानी के करीब होने के कारण इसका महत्व और भी बढ़ जाता है. गुरुग्राम लोकसभा क्षेत्र में गुरुग्राम, बादशाहपुर, सोहना और पटौदी की चार विधानसभा सीटें आती हैं. 2019 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने इनमें से तीन सीटें जीती थीं, जबकि बादशाहपुर से निर्दलीय उम्मीदवार राकेश दौलताबाद विजयी हुए थे. गुरुग्राम सीट पर बीजेपी के सुधीर सिंगला ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 32,000 से अधिक मतों से हराया था, जबकि कांग्रेस का उम्मीदवार तीसरे स्थान पर रहा.
कांग्रेस ने दिया है मोहित ग्रोवर को टिकट
2014 के चुनावों में, बीजेपी उम्मीदवार उमेश अग्रवाल ने सीट जीती थी. आईएनएलडी के गोपी चंद गहलोत दूसरे स्थान पर रहे थे, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार धरमबीर गाबा तीसरे स्थान पर और निर्दलीय उम्मीदवार सुखबीर कटारिया चौथे स्थान पर रहे थे. कांग्रेस ने इस बार गुरुग्राम से मोहित ग्रोवर को टिकट दिया है, जिन्होंने 2019 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लगभग 50,000 वोट हासिल कर दूसरे स्थान पर रहे थे. नामांकन के बाद मोहित ग्रोवर ने बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा, "बीजेपी के वादे हर बारिश की बूंद के साथ बह जाते हैं". वहीं, बीजेपी ने इस बार महेश शर्मा को गुरुग्राम से उम्मीदवार बनाया है.
जलभराव की समस्या बनी परेशानी
शहर में जलभराव और ट्रैफिक जाम की समस्याएं बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती साबित हो रही हैं. गुरुग्राम में मानसून के दौरान जलभराव की समस्या ने लोगों को काफी परेशान किया है. हाल ही में हुई भारी बारिश के कारण हीरो होंडा चौक, राजीव चौक और आईएफएफसीओ चौक समेत कई हिस्सों में जलभराव और ट्रैफिक जाम की समस्या देखने को मिली. दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेसवे पर ट्रैफिक तीन किलोमीटर तक धीमा रहा. शहर के पॉश इलाकों में भी जलभराव और ट्रैफिक की स्थिति गंभीर बनी रही.
पुराने गुरुग्राम के सदर बाजार, गुरुद्वारा रोड और पुरानी दिल्ली रोड पर जलभराव के कारण देर शाम तक ट्रैफिक जाम की स्थिति बनी रही. सोशल मीडिया पर लोगों ने गुरुग्राम को 'जलग्राम' नाम तक दे दिया. पॉलिटिकिल कॉमेंटेटर सुहेल सेठ ने भी कई बार गुरुग्राम की नागरिक सुविधाओं पर ध्यान आकर्षित किया है. एक ट्वीट में उन्होंने हरियाणा के मुख्यमंत्री से सवाल किया, "क्या आपको शर्म आती है या हमें और इंतजार करना चाहिए?"
विपक्षी लगातार कर रहे आलोचना
पूर्व बीजेपी उपाध्यक्ष जी.एल. शर्मा, जिन्होंने हाल ही में कांग्रेस में वापसी की है, उन्होंने भी बीजेपी की आलोचना करते हुए कहा, "बीजेपी नेताओं ने खुद नामांकन के दिन स्वीकार किया कि शहर कचरे का ढेर बन चुका है. कॉलोनियों में सीवर का पानी ओवरफ्लो हो रहा है. पेयजल में सीवरेज का पानी मिल रहा है और बुनियादी सुविधाओं का अभाव है." शहर के शीशा माता मंदिर के निर्माण में भी 10 साल से अधिक का समय लग गया है. जी.एल. शर्मा ने कहा, "गुरुग्राम में सबसे बड़े भ्रष्टाचार के केंद्र एमसीजी और जीएमडीए हैं. 10,000 करोड़ रुपये का बजट कहीं दिखाई नहीं दे रहा और यदि खर्च हुआ है तो शहर की स्थिति क्यों इतनी खराब है?"
शहर में कचरे का अंबार
गुरुग्राम ग्रीन्स कंडोमिनियम एसोसिएशन के अध्यक्ष संदीप फोगाट ने कहा, "बीजेपी सरकार के 10 साल गुरुग्राम के लिए बेकार साबित हुए. सफाई कर्मियों की हड़ताल के कारण शहर में महीनों तक कचरा नहीं उठाया गया. बीजेपी और उसके स्थानीय नेता गुरुग्राम में नागरिक सुविधाओं के विकास में पूरी तरह विफल रहे." वहीं, बीजेपी नेता और गुरुग्राम जिले के अध्यक्ष कमल यादव ने कहा कि "गुरुग्राम एक विकसित हो रहा शहर है और इसे समय-समय पर मेंटेनेंस की जरूरत होती है. सरकार इन मुद्दों पर काम कर रही है." अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या बीजेपी अपनी पुरानी सीट को इन चुनावों में भी बरकरार रख पाती है, या फिर नागरिक सुविधाओं की कमी इस बार पार्टी के लिए बड़ा नुकसान साबित होगी.