जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने कहा है कि हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता है कि जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा मिले. उन्होंने कहा कि अगर उनकी मांग पूरी नहीं की गई तो वह सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे. इंडिया टुडे से खास बातचीत में उमर अब्दुल्ला ने कहा कि शुरुआत में मुख्यमंत्री की शक्तियां 2019 से पहले के दौर की तुलना में बहुत सीमित होंगी.
उमर ने कहा, "शुरू में मुख्यमंत्री की शक्तियां हमारी उम्मीद से कहीं ज्यादा सीमित होंगी. हमारा मानना है कि यह एक बहुत ही अस्थायी चरण होगा, क्योंकि जम्मू-कश्मीर को राज्य और पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करना होगा. अगर हमें यह स्वेच्छा से नहीं मिलता है, तो हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे."
'यह वह विधानसभा नहीं...'
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता ने कहा, "हमें संसद में सदन के पटल पर प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से वादा मिला है, जिसमें कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर को उसका राज्य का दर्जा वापस दिया जाएगा. हमें भारत सरकार और सर्वोच्च न्यायालय से भी प्रतिबद्धताएं मिली हैं. इसलिए जैसा कि मैंने कहा, यह विधानसभा वह विधानसभा नहीं है, जिसे हम चाहते हैं, लेकिन हम जो विधानसभा चाहते हैं वह इसी विधानसभा से निकलेगी."
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि आर्टिकल 370 को बहाल करना एक लंबी लड़ाई हो सकती है, लेकिन राज्य का दर्जा देने की मांग जम्मू-कश्मीर विधानसभा द्वारा एक प्रस्ताव के जरिए पूरी की जा सकती है. अब्दुल्ला ने आगे कहा, "मैंने कहा है कि विधानसभा को एक प्रस्ताव पारित करना चाहिए, जिसमें कहा जाए कि 5 अगस्त 2019 को हमारे साथ जो किया गया, हम उसे स्वीकार नहीं करते हैं और लोग उस फैसले का हिस्सा नहीं थे."
उन्होंने कहा, "जो लोग 2019 से दुनिया को यह बताने के अलावा कुछ नहीं कर रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर के लोग वास्तव में (अनुच्छेद 370 को निरस्त करने) से खुश हैं, कि जीवन बहुत बेहतर हो गया है... कम से कम हम इसे खारिज कर देंगे."
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आतंकी हमलों पर क्या बोले उमर?
जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव तीन चरणों में 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को होंगे. नतीजों का ऐलान 8 अक्टूबर को किया जाएगा. यह जम्मू-कश्मीर में एक दशक में होने वाला पहला विधानसभा चुनाव है और 2019 में अनुच्छेद 370 को खत्म करने के बाद भी पहला चुनाव है.
उमर अब्दुल्ला ने जम्मू में हाल ही में हुए आतंकवादी हमलों के बारे में भी बात की और कहा कि नई सरकार के सामने कठिन कार्य होंगे. उन्होंने कहा, "आज आप कठुआ, सांबा, जम्मू, रियासी, डोडा, पुंछ, राजौरी में जिस तरह के हमले देख रहे हैं, वे ऐसी चीजें हैं, जो लगभग कभी नहीं हुईं."
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