झारखंड चुनाव के पहले चरण में 43 सीटों के लिए नामांकन की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है लेकिन सत्ताधारी इंडिया ब्लॉक से लेकर विपक्षी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन तक, सीट शेयरिंग को लेकर भी बात नहीं बन पाई है. बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव दो दिन के दौरे पर झारखंड पहुंच रहे हैं तो वहीं कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी भी 19 अक्टूबर को रांची में होंगे. राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ मीटिंग भी होनी है जिसमें गठबंधन के घटक दलों में सीट शेयरिंग फॉर्मूले को अंतिम रूप दिया जा सकता है.
तीन दलों के तीन शीर्ष नेताओं की बैठक से पहले अब सीट शेयरिंग का संभावित फॉर्मूला सामने आया है. झारखंड में विधानसभा की कुल 81 सीटें हैं और सूत्रों की मानें तो इनमें से 43 से 44 सीटों पर सत्ताधारी गठबंधन की अगुवा झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) चुनाव लड़ सकती है. झारखंड चुनावों में जेएमएम ही बड़े भाई की भूमिका में होती है. कांग्रेस को इस गठबंधन में 28 सीटें मिल सकती हैं. लालू यादव की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) को 5 से 6, लेफ्ट को चार सीटें दिए जाने की बात है. सूत्रों का कहना है कि आरजेडी को एडजस्ट करने के लिए कांग्रेस, लेफ्ट के लिए जेएमएम को सीटें छोड़नी होंगी. सीट शेयरिंग फॉर्मूले को एक-दो दिन में अंतिम रूप दे दिया जाएगा.
किस पार्टी की कितनी डिमांड
झारखंड विधानसभा के पिछले चुनाव में जेएमएम, कांग्रेस और आरजेडी ने मिलकर चुनाव लड़ा था. तब जेएमएम ने 43, कांग्रेस ने 31 और आरजेडी ने सात सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. तब सीपीआई-एमएल इस गठबंधन में शामिल नहीं था. सीपीआई-एमएल को 2019 के झारखंड चुनाव के बाद हेमंत सोरेन की पार्टी ने साथ लिया था. अब पेच यही है कि हर पार्टी अपनी पुरानी पोजिशन बरकरार रखना चाहती है. जेएमएम पिछले चुनाव वाले फॉर्मूले से ही 43 सीटों पर दावेदारी कर रही है तो वहीं आरजेडी भी सात से कम पर मानने को तैयार नहीं.
कैसे एडजस्ट होगी सीपीआई-एमएल
झारखंड कांग्रेस भी 31 सीटों की डिमांड पर अड़ी हुई है. अब समस्या ये है कि गठबंधन में एक नई पार्टी भी शामिल है और उसकी अपनी डिमांड है. सीपीआई-एमएल भी छह से सात सीटें मांग रही है. गठबंधन में हर दल की अपनी डिमांड है और कम पर मानने को कोई तैयार नहीं. प्रदेश इकाइयों में सीट शेयरिंग पर बात नहीं बन सकी तो अब तीनों दलों के शीर्ष नेताओं को फ्रंट पर आना पड़ रहा है. जो संभावित फॉर्मूला सामने आया है, उस पर भी सहमति बनने के आसार कम ही लग रहे हैं.
ऐसा इसलिए है, क्योंकि जेएमएम ने ही सीपीआई-एमएल को गठबंधन में लेने का फैसला लिया था और वही चाह रही है कि नए सहयोगी को कांग्रेस और आरजेडी की सीटें कम करके एडजस्ट कर दिया जाए. जेएमएम खुद तो 2019 चुनाव जीतनी सीटों पर लड़ने की बात कर रही है लेकिन त्याग की बात आते ही उसकी उम्मीदें कांग्रेस औरा आरजेडी की ओर शिफ्ट हो जा रही है. पार्टी चाहती है कि कांग्रेस की तीन और आरजेडी की एक से दो सीटें कम करके सीपीआई-एमएल को चार सीटें दे दी जाएं.