हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों पर 5 अक्टूबर को चुनाव होगा. इसे लेकर सियासी पारा हाई है. लेकिन इस विधानसभा चुनाव में बीजेपी पूर्व सीएम और केंद्रीय मंत्री मनोहरलाल खट्टर से परहेज करती नजर आ रही है. ऐसा इसलिए कि बतौर सीएम रहते उनको और उनके फ़ैसलों को लेकर जनता में जो नाराजगी थी, उससे पार्टी चुनाव में बचना चाहती है.
यही वजह है कि अभी तक मनोहरलाल खट्टर पीएम मोदी की सभाओं में मंच पर नजर नहीं आए हैं. पीएम की सभाओं से मनोहरलाल खट्टर को दूर रखकर बीजेपी सत्ता विरोधी लहर से बचना चाहती है. मनोहर लाल खट्टर बीजेपी के पोस्टरों से भी गायब हैं.
पीएम मोदी की अब तक हरियाणा में 2 चुनावी सभाएं हुई हैं, लेकिन दोनों ही सभाओं के मंच पर खट्टर नजर नहीं आए. इसके अलावा मनोहर लाल खट्टर गृहमंत्री अमित शाह की सभाओं से भी दूर रहे.
मनोहरलाल खट्टर के बयान भी हरियाणा चुनाव में बीजेपी के लिए परेशानी का सबब बन गए हैं. पहले मनोहरलाल खट्टर ने कहा कि शंभू बॉर्डर पर आंदोलन करने वाले लोग किसानों के नाम पर एक मुखौटा हैं. इसके बाद जब वो हिसार में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे तो वहां मौजूद युवक ने उनके सामने ही कहा कि इस बार हिसार में बीजेपी का विधायक हारेगा, जिसपर खट्टर भड़क गए और कहा कि इसकी हिम्मत कैसे हुई.
इसी तरह मनोहरलाल खट्टर ने कुमारी सैलजा को बीजेपी में शामिल होने का ऑफर दिया था, जिसे सैलजा ने ठुकरा दिया इससे भी बीजेपी की फजीहत हुई. दरअसल, केंद्र में मंत्री बनने के बाद भी हरियाणा में मनोहरलाल एक्टिव रहे, जिससे ये मैसेज गया कि मुख्यमंत्री नायब सैनी हैं लेकिन हरियाणा के फ़ैसले खट्टर ले रहे हैं. इसलिए खट्टर ने खुद को कुछ सीटों तक सीमित कर लिया है, जहां उनके करीबी चुनाब लड़ रहे हैं.
बता दें कि मनोहर लाल खट्टर के कुछ फैसले ऐसे थे, जिन्हें लेकर उनकी पार्टी में काफी नाराजगी थी. ये भी एक बड़ी वजह मानी जा रही है उन्हें सीएम पद से हटाने की. इसके अलावा खट्टर के कुछ फैसलों ने हरियाणा की जनता को बीजेपी के खिलाफ कर दिया था, जिन्हें सीएम बनने के बाद नायब सिंह सैनी ने बदला था.