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288 सीटों की लड़ाई, 18 सीटों पर आई... यही तय करेंगी महाविकास अघाड़ी में कौन बनेगा बड़ा भाई

महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों में से 270 पर महाविकास अघाड़ी में सहमति बन गई है. तीनों प्रमुख दल कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (शरद पवार) बराबर सीटों पर चुनाव लड़ेंगी. 18 सीटों पर अभी भी पेंच फंसा हुआ है और ये सीटें ही तय करेंगी कि गठबंधन में बड़ा भाई कौन होगा.

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर सीट शेयरिंग का पेंच सत्ताधारी महायुति और विपक्षी महाविकास अघाड़ी (एमवीए), दोनों ही गठबंधनों में ऐसा उलझा है कि सुलझाना मुश्किल हो रहा. इसे सुलझाने की जितनी ही कोशिशें हो रहीं, उतना ही ये उलझता चला जा रहा है. सत्ताधारी गठबंधन में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), शिवसेना (शिंदे) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित पवार) में 106 सीटों की लड़ाई अब दिल्ली पहुंच गई है. वहीं, विपक्षी एमवीए में मैराथन बैठकों के बाद 288 सीटों की लड़ाई अब 18 सीट पर आ गई है.

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एमवीए के घटक दलों कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (शरद पवार) ने सीट शेयरिंग को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस किया. शिवसेना (यूबीटी) के संजय राउत और महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में 270 सीटों पर सहमति बन जाने का ऐलान कर दिया है. संजय राउत ने कहा कि सौहार्दपूर्ण तरीके से 270 सीटों पर आम सहमति बन गई है. इनमें से 255 सीटों पर कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (शरद पवार) लड़ेंगी.

महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि तीनों पार्टियां 85-85 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी. जो 18 सीटें बची हैं, उन्हें लेकर हम गठबंधन की अन्य पार्टियों से बात करेंगे. एमवीए की ओर से 270 सीटों पर आम सहमति के साथ जिस फॉर्मूले का ऐलान किया गया है, उसमें तीनों ही बड़े दल बराबर-बराबर सीटों पर लड़ेंगे लेकिन गठबंधन में असली लड़ाई तो बड़े भाई के रोल की है, चुनाव से पहले अगुवाई को लेकर परसेप्शन की है.

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कांग्रेस पिछले विधानसभा चुनाव की सीट शेयरिंग और हालिया लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन को आधार बनाकर अधिक सीटें मांग रही है. कांग्रेस के अधिक सीटों पर दावे के पीछे विधानसभा की वर्तमान तस्वीर भी है जिसमें पार्टी एमवीए का सबसे बड़ा घटक दल है. वहीं, उद्धव ठाकरे की पार्टी एमवीए सरकार के समय की तस्वीर का तर्क देकर सबसे अधिक सीटों के लिए दावेदारी कर रही है.

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गठबंधन के इन दो दलों के बीच जो शरद पवार रेफरी की भूमिका में नजर आ रहे हैं, उनकी पार्टी भी कम सीटों पर लड़ने के लिए तैयार नहीं है. ऐसे में बीच का रास्ता निकालते हुए तीनों दलों ने फिलहाल जितनी सीटों पर सहमति बन चुकी है, उतनी सीटों पर गठबंधन के ऐलान का निर्णय लिया जिससे एमवीए के भविष्य को लेकर जारी कयासों के दौर और घटक दलों के नेताओं की ओर से चलाए जा रहे जुबानी तीर पर लगाम लगाया जा सके. अब बची 18 सीटें ही तय करेंगी की एमवीए में बड़ा भाई कौन होगा.

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किस दल की डिमांड क्या थी

एमवीए में सीट शेयरिंग का जो संभावित फॉर्मूला सामने आया था, उसके मुताबिक कांग्रेस को 104 से 106, शिवसेना (यूबीटी) को 92 से 96 और एनसीपी (एसपी) को 85 से 88 सीटें मिलने के अनुमान जताए जा रहे थे. कांग्रेस 110 सीटों के लिए दावेदारी कर रही थी तो वहीं सीट शेयरिंग फॉर्मूले के ऐलान से कुछ घंटे पहले ही संजय राउत ने भी सौ सीटों पर दावेदारी करते हुए कहा था कि देश चाहता है कि हम सेंचुरी मारें. विधानसभा में तीनों पार्टियों की वर्तमान स्ट्रेंथ की बात करें तो कांग्रेस के 43, शिवसेना (यूबीटी) के 15 और एनसीपी (शरद पवार) के 13 विधायक हैं.

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