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महाराष्ट्र में चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई हैं. राज्य की 288 विधानसभा सीटों के लिए 20 नवंबर को चुनाव होंगे. बीजेपी, शिवसेना (शिंदे गुट) और अजित पवार की एनसीपी वाला महायुति गठबंधन सत्ता में वापसी का दावा कर रहा है. तो वहीं कांग्रेस, शिवसेना (ठाकरे गुट) और शरद पवार की एनसीपी वाला महा विकास अघाड़ी भी सरकार बनाने का दावा कर रहा है.
चुनावी सरगर्मियों के बीच सी-वोटर ने एक सर्वे किया है. इस सर्वे में सामने आया है कि महाराष्ट्र की ज्यादातर जनता अब बदलाव चाहती है. वो मौजूदा शिंदे सरकार से खुश नहीं है.
सी-वोटर के सर्वे में शामिल 51% लोग शिंदे सरकार के काम से खुश नहीं हैं और वो सरकार बदलना चाहते हैं. वहीं, 41% ऐसे हैं जो काम से खुश हैं और सरकार बदलना नहीं चाहते. ये शिंदे सरकार के लिए परेशानी का सबब हो सकता है, क्योंकि ज्यादातर लोग मान रहे हैं कि वो नाखुश हैं और बदलाव जरूरी है.
हालांकि, इसके बावजूद सर्वे में शामिल साढ़े 52 फीसदी लोगों ने शिंदे सरकार के विकास के काम को अच्छा बताया है. जबकि, साढ़े 21 फीसदी लोगों ने काम को औसत बताया है. वहीं, 23 फीसदी लोग ऐसे हैं जिन्होंने काम को खराब बताया है.
इतना ही नहीं, सर्वे में शामिल 51 फीसदी लोगों ने मौजूदा विधायक को फिर से चुनने की बात मानी है. जबकि, 30 फीसदी लोग ही मौजूदा विधायक को दोबारा नहीं चुनेंगे.
सबसे बड़ा मुद्दा क्या?
महाराष्ट्र की जनता की नजर में सबसे बड़ा मुद्दा क्या है? इसे लेकर भी सी-वोटर के सर्वे में सवाल किया गया. इसमें सामने आया कि महाराष्ट्र की जनता की नजर में सबसे बड़ा मुद्दा बेरोजगारी का है.
सर्वे में शामिल 25 फीसदी लोगों ने बेरोजगारी को सबसे बड़ा मुद्दा बताया है. वहीं, 19 फीसदी ने किसानों की समस्या, 16 फीसदी ने महंगाई, 12 फीसदी ने बिजली-पानी-सड़क और 6 फीसदी ने महिला सुरक्षा को बड़ा मुद्दा बताया है.
मुख्यमंत्री के लिए पसंद कौन?
महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री के तौर पर मौजूदा सीएम एकनाथ शिंदे और पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे के बीच मुकाबला दिख रहा है.
सर्वे में शामिल 27.5 फीसदी लोग एकनाथ शिंदे को ही दोबारा मुख्यमंत्री के तौर पर देखना चाहते हैं. वहीं, 23 फीसदी लोगों की पसंद उद्धव ठाकरे हैं. जबकि, 11 फीसदी लोगों ने देवेंद्र फडणवीस, 6 फीसदी ने शरद पवार और 3 फीसदी ने अजित पवार को मुख्यमंत्री के लिए अपनी पहली पसंद बताया है.
सर्वे से पता चलता है कि देवेंद्र फडणवीस की लोकप्रियता कम होती जा रही है. एक वक्त मुख्यमंत्री के लिए फडणवीस पहली पसंद हुआ करते थे, लेकिन अब ज्यादातर जनता ने एकनाथ शिंदे को अपनी पहली पसंद बताया है.
चुनाव में कौन से मुद्दे प्रभावी?
ज्यादातर लोग मौजूदा सरकार से नाखुश हैं और 30 फीसदी लोग मौजूदा विधायकों के काम से भी खुश नहीं हैं. जब सवाल किया गया कि चुनाव में कौनसा मुद्दा ज्यादा प्रभावी है? तो ज्यादातर लोगों ने मराठा आरक्षण को सबसे प्रभावी मुद्दा माना.
महाराष्ट्र में 38 फीसदी आबादी मराठाओं की है. मराठा आरक्षण बड़ा मुद्दा बना हुआ है. आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन भी हुए. सर्वे में शामिल 23 फीसदी ने मराठा आरक्षण को प्रभावी मुद्दा बताया है. वहीं, 12 फीसदी लोगों ने मोदी सरकार के प्रदर्शन को प्रभावी मुद्दा माना है.
कौनसी योजना वोट दिलाएगी?
शिंदे सरकार ने हाल ही में लाडकी बहिन योजना शुरू की थी. इस योजना के तहत, 21 से 65 साल की उन महिलाओं को हर महीने 1,500 रुपये की मदद दी जाती है, जिनकी सालाना कमाई 2.5 लाख से कम है. शिंदे सरकार की ये योजना वोट बंटोरने में बड़ा फैक्टर साबित हो रही है.
सर्वे में शामिल 45 फीसदी लोगों ने माना है कि लाडकी बहिन योजना वोट बंटोरने में मदद करेगी. इसके बाद 15 फीसदी ने महाशेतकारी योजना का नाम लिया है. शेतकारी योजना किसान सम्मान निधि की तरह ही है, जिसके तहत किसानों को सालाना छह हजार रुपये की आर्थिक मदद दी जाती है.
अजित पवार फैक्टर कितना असरदार?
लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन को जिस प्रदर्शन की उम्मीद थी, वैसा नहीं कर सकी. महायुति राज्य की 48 लोकसभा सीटों में से सिर्फ 19 ही जीत सकी. जबकि, इंडिया ब्लॉक यहां 28 सीटें जीतने में कामयाब रहा. महायुति के इस प्रदर्शन के लिए अजित पवार की पार्टी को जिम्मेदार माना गया.
सर्वे में जब ये सवाल किया गया कि अगर अजित पवार साथ न होते तो क्या बीजेपी का प्रदर्शन अच्छा होता? इस पर 49 फीसदी ने माना है कि अगर अजित पवार साथ न होते तो बीजेपी का प्रदर्शन और अच्छा होता.
महाराष्ट्र में 20 नवंबर को है चुनाव
महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों के लिए एक ही चरण में 20 नवंबर को वोट डाले जाएंगे. जबकि, नतीजे 23 नवंबर को घोषित होंगे.
पिछले चुनाव में बीजेपी को 105, शिवसेना को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली थीं. हालांकि, चुनाव के बाद शिवसेना एनडीए से अलग हो गई और उसने एनसीपी-कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना ली. शिवसेना के उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने.
जून 2022 में शिवसेना में आंतरिक कलह हो गई. इसके बाद एकनाथ शिंदे ने पार्टी के 40 विधायकों को तोड़ दिया. एकनाथ शिंदे बीजेपी के समर्थन से मुख्यमंत्री बन गए. अब शिवसेना दो गुटों में बंट चुकी है. शरद पवार की एनसीपी भी दो गुट- शरद पवार और अजित पवार में बंट गई है.