महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में दक्षिण मुंबई की वर्ली सीट पर कांटे का मुकाबला है. यहां दोनों शिवसेनाएं आमने-सामने हैं. उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना (यूबीटी) की तरफ से उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे खुद मैदान में हैं. वहीं उनके सामने एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद मिलिंद देवड़ा को उतारा है.
इंडिया टुडे के खास कार्यक्रम 'जब वी मेट' में मिलिंद देवड़ा ने कहा कि आदित्य ठाकरे वर्ली के लिए आउटसाइडर हैं और उनके खिलाफ यहां एंटी इनकंबेंसी है. उनसे पूछा गया, वर्ली सीट ठाकरे परिवार का गढ़ रही है. ऐसे में आप क्यों यहां आदित्य ठाकरे को चुनौती देना चाहते हैं.
'लड़ाई व्यक्तिगत नहीं राजनीतिक है'
मिलिंद देवड़ा ने जवाब दिया, 'इसमें कोई शक नहीं है कि वर्ली शिवसेना का मजबूत गढ़ रही है. शिवसेना विधायक दत्ताजी नलावडे सबसे लंबे समय तक विधायक रहने वाले नेताओं में से एक हैं. वो वर्ली से लंबे समय तक विधायक रहे. तो ये लंबे समय से शिवसेना का मजबूत गढ़ रही है लेकिन लोकसभा चुनाव में एकनाथ शिंदे की शिवसेना का वोट शेयर, स्ट्राइक रेट ज्यादा था.'
उन्होंने कहा कि यह लड़ाई व्यक्तिगत नहीं राजनीतिक है. इसमें कोई शक नहीं कि आदित्य ठाकरे एक मजबूत उम्मीदवार हैं. वह विपक्ष का एक प्रमुख चेहरा हैं. मिलिंद देवड़ा से पूछा गया, 'आप घबरा रहे हैं क्या?' जवाब में उन्होंने कहा, 'बिल्कुल नहीं, मैंने 27 साल की उम्र में केंद्रीय मंत्री के खिलाफ अपना पहला चुनाव लड़ा था मैं तब भी नहीं घबराया था.'
'आदित्य एक आउटसाइडर हैं'
उनसे पूछा गया, क्या आप वर्ली से लड़ना चाहते थे या आपको भेजा गया है. मिलिंद देवड़ा ने जवाब दिया, 'गठबंधन साथियों के बीच इस बारे में चर्चा हुई थी. इस बात पर चर्चा थी कि आदित्य एक आउटसाइडर हैं और वर्ली में इस बात की भावना है कि हमें एक लोकल वर्लीकर उम्मीदवार चाहिए. आदित्य ठाकरे इकलौते विधायक हैं जो आउटसाइडर हैं.'
उन्होंने कहा, 'हमने इस पर चर्चा की कि वर्ली को एक लोकल वर्लीकर उम्मीदवार देना चाहिए. हमने इसे एक लोकल कार्यकर्ता बनाम आदित्य ठाकरे का मुकाबला बनाने का तय किया. फिर हमने इसके फायदे और नुकसान पर चर्चा की. हमें पता था कि अगर हम किसी स्थानीय कार्यकर्ता को मैदान में उतारते हैं तो मीडिया कहेगा कि उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच बातचीत हो गई है और शिंदे गुट ने उन्हें वॉकओवर देने का फैसले किया है.'
'आदित्य के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी है'
मिलिंद देवड़ा ने कहा, '2019 में जब उन्होंने चुनाव लड़ा था तब मुझे उम्मीद थी कि वो मुंबई के लिए, महाराष्ट्र के लिए बहुत कुछ करेंगे लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा कुछ नहीं हुआ. जब वो यहां आए तो उन्होंने दो वर्लीकर विधायकों को हटाकर यह सीट ली और उन्हें एमएलसी बनाकर असेंबली भेज दिया. यहां उनके खिलाफ एंटी इनकंबेंसी है.'