महाराष्ट्र चुनाव में दो गठबंधनों महायुति और महाविकास अघाड़ी (एमवीए) के बीच का सत्ता समर अब आश्वासन बनाम विज्ञापन की शक्ल लेता नजर आ रहा है. महायुति ने विधानसभा चुनावों के लिए अपने घोषणा पत्र में 10 गारंटी दी थी जिसका जवाब एमवीए ने पांच गारंटी से दिया. दोनों ही गठबंधनों के घोषणा पत्र में मुफ्त की योजनाओं की बहार है.
विपक्षी एमवीए की ओर से गारंटी कार्ड जारी किए जाने के बाद महायुति की सबसे बड़ी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने महाराष्ट्र के अखबारों में विज्ञापन दे दिया- खटाखट वादे करने वालों से सावधान. कांग्रेस ने इस पर आपत्ति जताते हुए चुनाव आयोग से शिकायत कर कार्रवाई की मांग की है. सूबे की चुनावी फाइट अब वादे बनाम विज्ञापन होती दिख रही है.
आश्वासन बनाम विज्ञापन क्यों
एमवीए ने महाराष्ट्र चुनाव के लिए जारी घोषणा पत्र में महिलाओं को हर महीने तीन हजार और प्रत्येक बेरोजगार को चार हजार रुपये मासिक देने का वादा किया था. एमवीए का घोषणा पत्र जारी होने के बाद बीजेपी ने हिमाचल प्रदेश से लेकर कर्नाटक और तेलंगाना तक में कांग्रेस की ओर से किए गए वादों का जिक्र करते हुए विज्ञापन दिया, "खटाखट झूठे वादे करने वालों से सावधान. कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश में चुनाव के समय किए गए वादों को कांग्रेस ने पूरा नहीं किया."
कांग्रेस ने विज्ञापन पर जताई आपत्ति
महाराष्ट्र के अखबारों में बीजेपी के इस विज्ञापन से भड़की कांग्रेस ने आपत्ति जताते हुए चुनाव आयोग जाकर शिकायत करने, एफआईआर दर्ज कराने की बात कही. कांग्रेस नेताओं के एक डेलिगेशन ने महाराष्ट्र के मुख्य चुनाव अधिकारी से मुलाकात कर इस विज्ञापन की शिकायत की और इसे आचार संहिता का उल्लंघन बताते हुए अविलंब कार्रवाई की मांग की.
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कांग्रेस के मीडिया विभाग के चेयरमैन पवन खेड़ा ने इसे लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट कर कहा है कि बीजेपी और महायुति ने चुनाव से पहले ही हार मान ली है. पवन खेड़ा ने कहा कि बीजेपी और महायुति अब पैंतरेबाजी और छल-प्रपंच का सहारा ले रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि एमवीए के घोषणा पत्र से घबराई महायुति अब दुष्प्रचार पर उतर आई है.
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उन्होंने यह भी कहा है कि करोड़ों रुपये बर्बाद कर राज्य के अखबारों में पहले पन्ने पर कांग्रेस के खिलाफ झूठे विज्ञापन प्रकाशित करा पार्टी की सरकार वाले राज्यों में चुनाव पूर्व गारंटियों को पूरा नहीं किए जाने का झूठ फैलाया जा रहा है. पवन खेड़ा ने कहा कि इस तरह का भ्रामक प्रचार आचार संहिता का घोर उल्लंघन है.
खेड़ा ने चुनाव आयोग को घेरा था
महाराष्ट्र के मुख्य चुनाव अधिकारी से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपने के पहले पवन खेड़ा ने आयोग को भी घेरा. पवन खेड़ा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चुनाव आयोग पर सवाल उठाते हुए कहा था कि यह झूठा विज्ञापन अखबारों में छपा कैसे? चुनाव आयोग क्या कर रहा था? चुनाव आयोग ने इस विज्ञापन को मंजूरी कैसे दी? उन्होंने यह भी दावा किया कि हम जो कहते हैं, वो करते हैं. हमारा ट्रैक रिकॉर्ड देख लीजिए. हम जब कुछ कहते हैं तब हमें मालूम होता है कि इसे करके कैसे देना है.