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महाराष्ट्र में क्यों बढ़ाई गई मदरसा टीचर्स की सैलरी? बीजेपी प्रवक्ता ने दिया ये जवाब

महाराष्ट्र चुनाव से ठीक पहले लिए गए इस फैसले पर सवाल उठ रहे हैं, उद्धव ठाकरे की शिवसेना पूछ रही है कि क्या ये वोट जेहाद नहीं है? तो कांग्रेस इसे कोरा चुनावी ऐलान बता रही है. इसे लेकर बीजेपी प्रवक्ता शिवम त्यागी ने कहा कि सभी को मॉडर्न एजुकेशन की जरूरत है, जैसा कि पीएम मोदी ने कहा है कि एक हाथ में कंप्यूटर और एक हाथ में कुरान हो तो बेहतर है.

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आजतक के खास शो 'दंगल' में चर्चा करते बीजेपी प्रवक्ता
आजतक के खास शो 'दंगल' में चर्चा करते बीजेपी प्रवक्ता

महाराष्ट्र में अगले महीने विधानसभा चुनाव होने की संभावना है, इससे पहले सूबे की सियासत गरमा गई है. दरअसल, एकनाथ शिंदे सरकार सरकार ने राज्य के मदरसों में कार्यरत शिक्षकों के वेतन में बढ़ोतरी का फैसला लिया है. इसके तहत डीएड शिक्षकों को 6 हजार रुपये से बढ़ाकर 16 हजार रुपए प्रतिमाह वेतन दिया जाएगा, जबकि माध्यमिक स्तर पर बीएड और बीएससी-बीएड योग्यता वाले शिक्षकों को भी 8 हजार रुपये से बढ़ाकर 18 हजार रुपये प्रति माह वेतन दिया जाएगा.

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महाराष्ट्र चुनाव से ठीक पहले लिए गए इस फैसले पर सवाल उठ रहे हैं, उद्धव ठाकरे की शिवसेना पूछ रही है कि क्या ये वोट जेहाद नहीं है? तो कांग्रेस इसे कोरा चुनावी ऐलान बता रही है. इसे लेकर बीजेपी प्रवक्ता शिवम त्यागी ने कहा कि सभी को मॉडर्न एजुकेशन की जरूरत है, जैसा कि पीएम मोदी ने कहा है कि एक हाथ में कंप्यूटर और एक हाथ में कुरान हो तो बेहतर है. उन्होंने कहा कि मदरसों में सिर्फ दीन की तालीम दी जाती है, लेकिन हम चाहते हैं कि बच्चे इसके साथ गणित, साइंस, इंग्लिश भी पढ़ें, इसके लिए जो बजट दिया गया है, उसका एजेंडा सिर्फ इतना है कि वहां फॉर्मल एजुकेशन होनी चाहिए. 

आजतक के शो 'दंगल' में बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि इसमें हिंदू-मुस्लिम करने की जरूरत नहीं है, जो छात्र सिर्फ दीन की पढ़ाई कर रहा है, उसे दूसरे विषय भी पढ़ना चाहिए. अगर जो इसमें वोट देख रहे हैं, ये अलग बात है. वहीं, शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय गुप्ता ने कहा कि चुनाव से पहले इन्हें मौलाना याद आ रहे हैं, उन्होंने कहा कि कहीं तो बीजेपी मदरसे बंद करा रही है, लेकिन महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव हारने के बाद बीजेपी ये हथकंडे अपना रही है, इसके लिए फंड कहां से लाया जाएगा. उन्होंने कहा कि हिंदुत्व की राजनीति में हम वीर सावरकर को मानते हैं. 

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शिंदे सरकार के फैसले पर सियासी उबाल

इससे पहले बीजेपी नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि आधुनिक शिक्षा के साथ जोड़ा जा रहा है तो समस्या क्या है? वहीं, कांग्रेस सांसद वर्षा गायकवाड़ ने कहा कि वित्त विभाग के पास पैसा नहीं है, ये सिर्फ चुनावी ऐलान है. इन तमाम बयानों से एक बात साफ है कि महाराष्ट्र में मदरसा टीचर्स की सैलरी बढ़ाने के फैसले को लेकर सूबे में सियासी उबाल आ गया है. 

अब कितना वेतन मिलेगा?

शिंदे कैबिनेट की बैठक में  गुरुवार को सरकार ने मदरसा शिक्षकों के वेतन और मौलाना आजाद अल्पसंख्यक वित्तीय विकास निगम के फंड को 700 करोड़ से बढ़ाकर 1000 करोड़ रुपये कर दिया गया है, अभी मदरसा टीचर्स को 6 हजार रुपए सैलरी मिल रही है, जिसे बढ़ाकर 16 हजार रुपए कर दिया जाएगा. 

राज्य कर्मियों को भी दिया तोहफा

चुनाव से पहले शिंदे सरकार वोटर्स को रिझाने में लग गई है. इसी के तहत 7 जातियों-उपजातियों को सेंट्रल ओबीसी लिस्ट में शामिल किया गया है. इसके अलावा नॉन क्रीमी लेयर कैप 8 लाख से बढ़ाकर 15 लाख रुपए किया गया है. शिंदे सरकार ने राज्य कर्मचारियों को खुश करने के लिए तोहफा दिया है, सरकार ने राज्य कर्मियों की अधिकतम ग्रेच्युटी 14 लाख से बढ़ाकर 20 लाख कर दी है. 

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बता दें कि मुंबई में हुई आखिरी कैबिनेट मीटिंग में ड्रामा भी देखने को मिला. उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री अजित पवार सिर्फ 10 मिनट के लिए ही वहां रुके और रतन टाटा को श्रद्धांजलि देने के बाद चले गए. पवार के जाने के बाद भी मीटिंग ढाई घंटे तक चली. इसमें 38 फैसले लिए गए. इनमें से ज़्यादातर फैसलों का वित्तीय पहलू भी था, जबकि अजित पवार के पास वित्त मंत्रालय का विभाग है. 

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