महाराष्ट्र में चुनावी माहौल के बीच मनसे (महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना) प्रमुख राज ठाकरे को एक बड़ा झटका लगा है. मनसे के उम्मीदवार अभिजीत देशमुख ने परली विधानसभा क्षेत्र से अपना नाम वापस ले लिया है, जिससे पार्टी को एक गहरा धक्का लगा है. खास बात यह है कि नामांकन वापस लेने की आज आखिरी तारीख थी, और इसी बीच अभिजीत ने इस निर्णय की जानकारी मीडिया को दी.
अभिजीत देशमुख ने अपने फैसले की वजह जातिगत राजनीति को बताया है. उनका कहना है कि वे परली में हो रही जातिगत राजनीति से असहमति रखते हैं और यह बात उनके चुनावी मैदान छोड़ने का कारण बनी. अभिजीत का कहना है कि उनके चाचा एन के देशमुख ने परली शहर में कई विकास कार्य किए हैं, जिनमें नटराज रंगमंदिर, सब्जी मंडी, जीजामाता उद्यान और टॉवर जैसी संरचनाओं का निर्माण शामिल है. हालांकि, उनका कहना है कि पिछले 25 सालों में उन्होंने कोई ठोस विकास नहीं देखा है.
अभिजीत का यह भी कहना है कि वे जाति के आधार पर राजनीति में सवाल उठाने को सही नहीं मानते. उन्होंने कहा कि जातिगत राजनीति से वे परेशान हैं, और इसी कारण उन्होंने चुनाव से हटने का फैसला किया है. अभिजीत ने शरद चंद्र पवार का जिक्र करते हुए कहा कि वे पवार सर के बहुत बड़े समर्थक हैं. पवार ने उनकी फैक्ट्री के लिए काफी मदद की है और उन्हें राजनीतिक सहारा भी दिया है.
अभिजीत ने अपने बयान में कहा, "पवार सर ने मेरी मदद की है, लेकिन जातिगत राजनीति मुझे परेशान करती है. इसी कारण मैंने परली से नाम वापस ले लिया."
परली विधानसभा क्षेत्र में इस बार महायुति गठबंधन के उम्मीदवार धनंजय मुंडे और महाविकास अघाड़ी के उम्मीदवार राजेसाहेब देशमुख चुनावी मैदान में हैं. ऐसे में अभिजीत देशमुख के हटने से मनसे को बड़ा झटका लगा है, क्योंकि राज ठाकरे द्वारा घोषित यह उम्मीदवार पार्टी की बड़ी उम्मीदों में से एक था. अभिजीत के इस फैसले से परली विधानसभा क्षेत्र में चुनावी मुकाबला और दिलचस्प हो गया है.