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'ब्रांड मोदी' की वापसी पर महाराष्ट्र के नतीजे ने लगाई मुहर, हरियाणा के बाद एक और 'महाजीत'

महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव नतीजों ने 'ब्रांड मोदी' की ताकत को फिर से साबित किया है. बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में लगे झटके से सबक लेकर अपनी रणनीतियों में सुधार किया और विकास व स्थिरता के एजेंडे पर जीत हासिल की.

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 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फोटो- PTI)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फोटो- PTI)

अगर 2024 के लोकसभा चुनाव नतीजों ने 'ब्रांड मोदी' के प्रभाव पर सवाल खड़े किए थे, तो हरियाणा और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव परिणामों ने उनके नेतृत्व और लोकप्रियता को फिर से मजबूत किया है. ये नतीजे एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के लिए बेहद महत्वपूर्ण थे, खासकर उत्तर प्रदेश की लोकसभा सीटों पर हार के बाद. इस हार ने एनडीए की कुल सीटों की संख्या पर गहरा असर डाला था.  

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हरियाणा और महाराष्ट्र के नतीजे ये दिखाते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारतीय राजनीति में अब भी सबसे प्रभावशाली नेता हैं. इन दोनों राज्यों के नतीजे अलग-अलग कहानियां बताते हैं, लेकिन एक बात साफ है- मोदी का करिश्मा बीजेपी के लिए जीत का सबसे बड़ा आधार है.  

कठिन राजनीतिक परिस्थितियों में चुनाव
  
हरियाणा और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव, 2024 के लोकसभा चुनावों से बिल्कुल अलग परिस्थितियों में हुए. महंगाई, बेरोजगारी, और किसानों की समस्याएं इन चुनावों के प्रमुख मुद्दे थे. इसके साथ ही, स्थानीय स्तर पर सत्ता विरोधी लहर ने बीजेपी के लिए चुनौती बढ़ा दी थी. लेकिन नतीजे बताते हैं कि मोदी का प्रभाव इन स्थानीय मुद्दों को भी पार कर गया.  

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महाराष्ट्र: बीजेपी का किला बरकरार  

महाराष्ट्र के नतीजों ने 'ब्रांड मोदी' की ताकत को और पुख्ता कर दिया. सरकार पर तमाम आलोचनाओं के बावजूद, बीजेपी विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. मोदी की लोकप्रियता शहरों और गांवों दोनों में असरदार रही.  

मुंबई और पुणे जैसे शहरी इलाकों में उनकी इंफ्रास्ट्रक्चर और हाउसिंग परियोजनाओं ने वोटर्स को प्रभावित किया. वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में पीएम किसान योजना और प्याज-कपास किसानों को समय पर दी गई मदद ने एनडीए के पक्ष में वोटों का झुकाव बढ़ाया. लोकसभा चुनाव के बाद, जब बीजेपी को अपनी जमीन मजबूत करनी थी, तब मोदी का विकास और स्थिरता का संदेश लोगों तक पहुंचा.  

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हरियाणा में भी मोदी फैक्टर रहा हावी  

हरियाणा में, जहां चुनाव से पहले बीजेपी कमजोर स्थिति में दिख रही थी, मोदी की व्यक्तिगत अपील ने पार्टी को जीत दिलाई. विपक्ष ने स्थानीय मुद्दों पर बीजेपी को घेरने की कोशिश की, लेकिन मोदी की राष्ट्रीय नीतियों और विकास पर केंद्रित वादों ने माहौल बदल दिया.  

गलतियों से सीखा, रणनीतियां बदलीं: बीजेपी की सबसे बड़ी ताकत उसकी गलतियों से सीखने और जल्दी सुधार करने की क्षमता है. लोकसभा चुनाव के झटके के बाद, पार्टी ने अपनी रणनीतियों में बदलाव किया.  

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आरएसएस को फिर से जोड़ा  

बीजेपी और आरएसएस का रिश्ता हमेशा से पार्टी की मजबूती का आधार रहा है. लेकिन लोकसभा चुनावों के दौरान यह रिश्ता कमजोर पड़ता दिखा. महाराष्ट्र और हरियाणा में, जहां आरएसएस का बड़ा नेटवर्क है, बीजेपी ने संघ के साथ बेहतर तालमेल बनाया. आरएसएस की सक्रियता ने जमीनी स्तर पर वोटर्स को लामबंद करने में बड़ी भूमिका निभाई. संघ प्रमुख मोहन भागवत की विजयदशमी रैली में बीजेपी के समर्थन का संकेत भी साफ तौर पर दिखा.  

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गठबंधन में एकता पर जोर  

बीजेपी का शिवसेना (शिंदे गुट) और अन्य सहयोगियों के साथ गठबंधन, जिसे महायुति कहते हैं, पहले भी कई बार विवादों में रहा है. इस बार बीजेपी ने गठबंधन को मजबूत बनाने के लिए समय पर और पारदर्शी बातचीत की. सीटों के बंटवारे से लेकर संयुक्त रैलियों तक, बीजेपी ने यह दिखाने की कोशिश की कि महा युति पूरी तरह से एकजुट है. इसने विपक्षी गठबंधन को कमजोर करने में बड़ी भूमिका निभाई.  

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किसानों के लिए राहत

महाराष्ट्र में किसानों की समस्याएं, खासतौर पर प्याज और कपास की फसल को लेकर, बीजेपी के लिए चुनौती बनी हुई थीं. लेकिन पार्टी ने जल्दी कदम उठाए.  

एमएसपी सुनिश्चित करना: प्याज और कपास किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करना.  
सीधी मदद: बीज, खाद और सिंचाई के लिए सब्सिडी दी गई.  
निर्यात को बढ़ावा: प्याज के निर्यात में मदद दी गई ताकि किसानों को बेहतर दाम मिल सकें. इन कदमों ने ग्रामीण क्षेत्रों में बीजेपी की स्थिति को मजबूत किया.  

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महिलाओं का समर्थन: 'लाडकी बहिण' योजना  

बीजेपी की 'लाडकी बहिण' योजना, जो युवतियों को आर्थिक मदद और शिक्षा में सहयोग देती है, महिला वोटर्स के बीच बेहद लोकप्रिय हुई. इसके साथ ही, सस्ते आवास और स्वास्थ्य योजनाओं जैसे कदमों ने बीजेपी की छवि को एक 'कल्याणकारी पार्टी' के रूप में और मजबूत किया.  

अंत में, मोदी का करिश्मा
  
इन नतीजों का सबसे बड़ा कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करिश्मा है. उनके भाषणों में क्षेत्रीय आकांक्षाओं को समझने और राष्ट्रीय विकास से जोड़ने की गहरी समझ दिखती है. उनकी 'डबल इंजन सरकार' और कल्याणकारी योजनाओं का वादा, स्थानीय नाराजगी के बावजूद, बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने में कामयाब रहा.  

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इन नतीजों ने यह साबित कर दिया कि 'ब्रांड मोदी' अभी भी भारतीय राजनीति में सबसे प्रभावशाली है. यह न केवल बीजेपी की ताकत को दिखाता है, बल्कि भारतीय राजनीति में मोदी के नेतृत्व की केंद्रीय भूमिका को भी रेखांकित करता है.

लेखक: स्नेहांशु शेखर (ये लेखक के निजी विचार हैं)
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