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'रेखा खींच दी गई है...', लोकसभा नतीजे, विधानसभा चुनाव और महाराष्ट्र की सियासत पर क्या बोले प्रफुल्ल पटेल?

प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि 1999 में एनसीपी और कांग्रेस ने एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ा था और फिर दोनों पार्टियां एक साथ आ गईं लेकिन अब हम एक महागठबंधन में हैं. काल्पनिक सवाल और काल्पनिक जवाब देने के बजाय हम एक महागठबंधन में लड़ने जा रहे हैं.

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 प्रफुल्ल पटेल (फाइल फोटो)
प्रफुल्ल पटेल (फाइल फोटो)

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल ने सोमवार को मुंबई में 'मुंबई तक बैठक' कार्यक्रम में हिस्सा लिया. इस दौरान उन्होंने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे सहित तमाम मुद्दों पर बात की. लोकसभा चुनाव में एनसीपी के कमजोर प्रदर्शन के बारे में पूछे जाने पर प्रफुल्ल पटेल ने कहा, "मौजूदा सांसदों में से केवल सुनील तटकरे ही हमारे साथ आए थे. अगर हमें माधा, परभणी, नासिक और डिंडोरी जैसी सीटें मिल जातीं, तो नतीजे कुछ और होते."

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बता दें कि लोकसभा चुनाव के दौरान महायुति इन सीटों पर हार गई थी.

प्रफुल्ल पटेल अगले मुख्यमंत्री के सवाल पर कहा कि हम एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में चुनाव लड़ेंगे. चुनाव के बाद हम मुख्यमंत्री तय करने के लिए साथ आएंगे. अगर अजित पवार के नाम पर आम सहमति बनती है तो हम उनका स्वागत करेंगे.

क्या शरद पवार-अजित पवार एक होंगे? 

जब प्रफुल्ल पटेल से शरद और अजित पवार के एक होने को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, "रेखा खींच दी गई है. एक राष्ट्रवादी महागठबंधन में हैं और दूसरे राष्ट्रवादी महा विकास अघाड़ी में, लेकिन यह तय हो गया है कि हम महागठबंधन में ही रहेंगे. शरद पवार मेरे नेता हैं, मैंने संसद में बात की है, मैं उनसे संसद में मिलता था." 

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उन्होंने आगे कहा कि मेरी राजनीतिक शैली उदारवादी है. मैंने उदारवादी राजनीति की है. हम मर्यादा बनाए रखते हुए राजनीति करते रहेंगे. लोग जानते हैं कि प्रफुल्ल पटेल एक उदारवादी राजनीतिज्ञ हैं. प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि 1999 में एनसीपी और कांग्रेस ने एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ा था और फिर दोनों पार्टियां एक साथ आ गईं लेकिन अब हम एक महागठबंधन में हैं. काल्पनिक सवाल और काल्पनिक जवाब देने के बजाय हम एक महागठबंधन में लड़ने जा रहे हैं.

विधानसभा में कितनी सीटें मांगी जाएंगी?

विधानसभा में सीटों के सवाल पर प्रफुल्ल पटेल ने कहा, "हम संख्या में नहीं जाएंगे लेकिन, हमने अपने सहयोगी से मांग की है कि पार्टी की ताकत के आधार पर टिकट दिए जाएं. शिवसेना के पास लोकसभा में 18 सीटें थीं, जिनमें से 14 सांसद शिंदे के पास गए. इसलिए मौजूदा सांसदों की सीटें दी गईं. हम वहां चूक गए. अगर उन सीटों पर सत्ता रखने वालों को मौका दिया जाता, तो लोकसभा का नतीजा अलग होता."

महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव में महायुति को तीन वजहों ने प्रभावित किया. संविधान बदलने की कहानी, किसान मुद्दे और सामाजिक कारण.

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