हरियाणा की सत्ता पर अगले 5 साल के लिए कौन राज करेगा, इसका फैसला सूबे की जनता 5 अक्टूबर को वोटिंग के जरिए कर देगी, लेकिन इससे पहले आजतक अपने खास शो 'पंचायत आजतक' के जरिए सूबे के सियासी समीकरणों पर दिग्गज नेताओं से चर्चा कर रहा है. इसी क्रम में कांग्रेस के दिग्गज नेता राज बब्बर ने 'पंचायत आजतक' में शिरकत की.
राज बब्बर ने अपने गुरुग्राम से लोकसभा चुनाव (2024) हारने को लेकर कहा कि मुझे सिर्फ 14 दिन मिले, पहले मुझे महाराष्ट्र से चुनाव लड़ने के लिए कहा गया था. यूपी में मेरे ऊपर एक केस चल रहा था, इसकी वजह से मुझे बेल नहीं मिली थी, लेकिन जब मुझे बेल मिली तो मेरे एक मित्र ने कहा कि आप हरियाणा में आकर चुनाव लड़ें. मैंने पूछा कि हरियाणा में कौन सी सीट हैं तो उन्होंने मुझे 2 सीटें बताईं. इसके बाद मैंने गुरुग्राम से चुनाव लड़ा. हालांकि लोगों ने कहा था कि आप गुरुग्राम से चुनाव लड़ तो रहे हैं, लेकिन ये बीजेपी की सबसे पक्की सीट है. इस पर मैंने कहा कि मैं पक्की कच्ची तो नहीं जानता, लेकिन मुझे अपनी मेहनत पर भरोसा है.
राज बब्बर ने कहा कि मेरे पास कुल 14 दिन थे, इसमें से एक दिन पर्चा भरने में चला गया, तो अब बचे थे सिर्फ 13 दिन. गुरुग्राम की जनता ने 13 दिन में साढ़े सात लाख वोट दिया, जो गैप 2014 और 2019 में साढ़े चार लाख का होता था वह सिर्फ 75 हजार रह गया था. उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि ये साढ़े सात लाख वोट नहीं, परिवार थे. उन्होंने मुझ पर भरोसा किया.
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'मैंने हमेशा नॉर्थ इंडिया की पॉलिटिक्स की'
आपकी पॉलिटिक्स यूपी से शुरू हुई और हरियाणा तक आ पहुंची है, इसकी क्या वजह रही है, और क्या यूपी आपके लिए पीछे छूट गया है? इस सवाल के जवाब में राज बब्बर ने कहा कि ऐसा नहीं है कि यूपी पीछे छूट गया है, मैं आगरा में पला-बढ़ा हूं. जब वेस्ट पंजाब का बंटवार हुआ तो उस वक्त हरियाणा पंजाब का ही हिस्सा था. यहां कुछ कैंप थे. मेरे बुजुर्गों का गांव था जलालपुर जट्टा... वहां से जो लोग शिफ्ट हुए उन्हें अंबाला आना पड़ा. मेरे ग्रैंड पैरेंट्स रेलवे में थे, वह आगरा में नौकरी करते थे. लिहाजा मैं यूपी का कहलाया. मैंने हमेशा नॉर्थ इंडिया की पॉलिटिक्स की है. महाराष्ट्र मेरी कर्मभूमि रहा है.
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गुरुग्राम से चुनाव लड़ने की बताई वजह
क्या महाराष्ट्र से टिकट मिलने पर आपने इनकार कर दिया था? इस पर कांग्रेस नेता राज बब्बर ने कहा कि नहीं, मैंने मना नहीं किया था. वह मेरी कर्मभूमि है. मेरे परिवार के लोग वहां काम कर रहे हैं, वहां मैंने किसी राजनीति में खुद को डायरेक्ट इन्वॉल्व नहीं किया. शायद यही मेरी ताकत है कि मैंने कभी गुटबाजी या पार्टीबाजी नहीं की. उन्होंने कहा कि जब यहां मेरे लिए ऑफर हुआ तो मेरे लिए स्वभाविक था कि कहीं न कहीं मेरी यहां रिश्तेदारियां दी, इसी वजह से मैंने गुरुग्राम से टिकट लड़ने पर हां कह दिया था.