पर्यटन जम्मू-कश्मीर की एक प्रमुख इंडस्ट्री है. अनुच्छेद 370 हटने के बाद घाटी में शांति आई है और पर्यटन काफी बढ़ा है. अब जम्मू-कश्मीर के पर्यटन के सामने नई चुनौतियां हैं. आजतक के खास कार्यक्रम 'पंचायत आजतक' में जम्मू-कश्मीर के पर्यटन से जुड़े लोगों ने शिरकत की और बताया कि घाटी में वर्तमान हालात कैसे हैं. इस विषय पर ट्रैवल एजेंट्स एसोसिएशन ऑफ कश्मीर के अध्यक्ष रऊफ तंबू, जम्मू चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष अरुण गुप्ता, कश्मीरी चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष तारिक घनी और होटलियर्स क्लब के सचिव एमएम हुसैन ने बातचीत की.
'दो-तीन साल में पर्यटन काफी बढ़ा'
रऊफ तंबू ने कहा, 'अगर हम पीछे जाएं, जब यूनाइटेड इंडिया था, कश्मीर का पर्यटक तब भी आता था. पर्यटन शांति पर निर्भर करता है. जहां शांति है, वहां पर्यटन बढ़ रहा है. 20-25 साल एक ऐसा वक्त रहा जब पर्यटन पूरी तरह जीरो पर आ गया. इससे जुड़े लोगों को बहुत तकलीफ उठानी पड़ी. कुछ को रोजगार के सिलसिले में बाहर भी जाना पड़ा. लेकिन पिछले दो-तीन साल में पर्यटन काफी बढ़ा है.'
'इतने पर्यटकों की कश्मीर को भी उम्मीद नहीं थी'
अरुण गुप्ता ने कहा, 'जम्मू में श्रद्धालु पर्यटक आते थे और कश्मीर में लोग एन्जॉय करने आते थे. यहां पहले भी लोग बड़ी संख्या में आते थे. अगर हम कहें कि माता वैष्णो देवी आने वाले पर्यटकों की संख्या बहुत बढ़ गई है तो ऐसा नहीं है. पहले भी वहां 1 करोड़ तक श्रद्धालु आते थे और आज भी हम उस आंकड़े तक पहुंच रहे हैं.'
उन्होंने कहा, 'कश्मीर में इस बार के हालात अलग रहे. इसमें कोई दोराय नहीं है कि कश्मीर में जिस तरह के हालात थे लोग आना नहीं चाहते थे. कोविड से पहले मैं मुंबई गया. मैंने लोगों से कहा कि आप क्यों नहीं आते तो लोगों ने कहा कि वहां प्रॉब्लम है, आंतकवाद चरम पर है, हम नहीं आ सकते. लेकिन आज हालात बदले हैं. जितने पर्यटक यहां पिछले दो साल में आए हैं, कश्मीर के लोगों ने कभी उम्मीद नहीं की थी कि इतनी बड़ी संख्या में पर्यटक यहां आएंगे.'
'एडवाइजरी हटने से आएंगे विदेशी पर्यटक'
तारिक घनी ने कहा, 'दो-तीन साल से हम बहुत अच्छा पर्यटन देख रहे हैं. लेकिन ये इससे भी बेहतर हो सकता है. हमें अब अंतरराष्ट्रीय पर्यटन की जरूरत है. विदेशों की कई एडवाइजरी लगी हुई हैं. अगर वो हट जाएं तो पूरे साल लोग कश्मीर आएंगे. कश्मीर को प्रमोशन की जरूरत नहीं है. सभी के चेहरे पर एक अच्छी स्माइल है और एक अच्छा बदलाव भी आया है.'
एमएम हुसैन ने भी कहा कि एडवाइजरी का मुद्दा बहुत जरूरी है. यूरोप के लोग एडवाइजरी की वजह से ही नहीं आ रहे हैं.
'बनानी होंगी नई डेस्टिनेशन'
पर्यावरण के सवाल पर तारिक घनी ने कहा, 'पैसे कमाना अलग बात है लेकिन हमें पहले अपना पर्यावरण बचाना होगा. यहां का पर्यटक कोई बिल्डिंग या होटल देखने नहीं आता है. यहां का पर्यटक मौसम, पर्यावरण, जंगल देखने आता है. सब कुछ योजनाबद्ध तरीके से होना चाहिए लेकिन अभी जो निर्माण हो रहे हैं वो इसके विपरीत हैं.'
उन्होंने कहा, 'हमने सरकार से भी अनुरोध किया है कि सब कुछ योजनाबद्ध तरीके से किया जाए. सबसे बड़ी चुनौती नई डेस्टिनेशन की है. हम सिर्फ गुलमर्ग, सोनमर्ग और पहलगाम पर निर्भर क्यों रहे. यहां नए रास्ते खोल दीजिए. एक जगह भीड़ बढ़ने से मजा नहीं आता.'