महाराष्ट्र चुनाव के लिए सत्ताधारी गठबंधन महायुति ने 5 नवंबर को मेनिफेस्टो जारी किया था. महायुति ने इसमें किसानों का कर्ज माफ करने की गारंटी दी थी. ऐसा तब है जब किसान कर्जमाफी के खिलाफ मुखर नजर आने वाली भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) इस गठबंधन में सबसे बड़ा दल है. अगले ही दिन विपक्षी महाविकास अघाड़ी (एमवीए) ने मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में स्वाभिमान सभा का आयोजन किया. इसी कार्यक्रम में एमवीए ने चुनाव के लिए पांच गारंटी दी. इस आयोजन के दौरान जो सबसे चर्चित वाकया रहा, वह था राहुल गांधी की मौजूदगी में मंच से जयस्तुते का गान. जयस्तुते वीर सावरकर की रचना है जिनके खिलाफ राहुल गांधी मोर्चा खोले रखते हैं.
बीजेपी की मौजूदगी या यूं कहें कि अगुवाई वाले गठबंधन की ओर से किसान कर्जमाफी का वादा किया जाना और राहुल गांधी की मौजूदगी में वीर सावरकर की रचना का गान, ये दोनों ही विषय चर्चा का केंद्र बने हुए हैं. बात इसके पीछे के गणित को लेकर भी हो रही है. इसे एमवीए में एकनाथ शिंदे और अजित पवार की पार्टियों की मजबूती और एमवीए में शरद पवार और उद्धव ठाकरे के ड्राइविंग सीट पर होने का प्रतीक भी बताया जा रहा है. लेकिन क्या बात बस इतनी सी ही है? इन वाकयों के पीछे का गणित समझने के लिए महाराष्ट्र की जोनल पॉलिटिक्स को जानना भी जरूरी है.
महाराष्ट्र में हैं 6 जोन
महाराष्ट्र की जोनल पॉलिटिक्स की बात करें तो 288 विधानसभा सीटों वाला यह प्रदेश छह जोन में बंटा है. राजनीतिक लिहाज से पश्चिमी महाराष्ट्र 70 विधानसभा सीटों के साथ सबसे बड़ा प्रदेश है तो वहीं 35 सीटों के साथ उत्तर महाराष्ट्र सबसे छोटा. विदर्भ में 62, मराठवाड़ा में 46, ठाणे-कोंकण में 39 और मुंबई रीजन में 36 विधानसभा सीटें आती हैं. हर एक रीजन के अपने मुद्दे हैं, अपना मिजाज है और अपनी पार्टी है. कहीं कांग्रेस किंग रही है तो कहीं बीजेपी का दबदबा रहा है. कोई रीजन एनसीपी का गढ़ रहा है तो कोई शिवसेना के साथ रहा है. कौन सा रीजन किस पार्टी का कोर एरिया रहा है?
मराठवाड़ा रहा है कांग्रेस का गढ़
महाराष्ट्र का मराठवाड़ा रीजन कभी कांग्रेस का गढ़ रहा है. पूर्व मुख्यमंत्री शंकरराव चव्हाण से लेकर अशोक चव्हाण तक, 46 सीटों वाले इस रीजन में कांग्रेस के मजबूत स्तंभ रहे हैं लेकिन पिछले कुछ चुनावों से इस रीजन की तस्वीर बदली है. मराठा बाहुल्य इस इलाके में पिछले दो चुनावों की ही बात करें तो कांग्रेस का ग्राफ गिरा है. 2014 के महाराष्ट्र चुनाव में बीजेपी 15 सीटें जीतकर मराठवाड़ा की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी तो कांग्रेस नौ सीटें ही जीत सकी थी. शिवसेना (संयुक्त) को 11 और एनसीपी (संयुक्त) को आठ सीटों पर जीत मिली थी. 2019 में बीजेपी 14, शिवसेना 13 और एनसीपी आठ सीटें जीतने में सफल रहे लेकिन कांग्रेस एक सीट के नुकसान के साथ आठ सीटें ही जीत सकी.
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मराठवाड़ा में कांग्रेस के लगातार सिमटते जनाधार को वीर सावरकर के खिलाफ राहुल गांधी के आक्रामक रुख से जोड़कर भी देखा जाता रहा है. हालिया लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने मराठवाड़ा की सीटों पर बेहतर प्रदर्शन किया था. ऐसे में कांग्रेस को खोया गढ़ वापस पाने की उम्मीद नजर आ रही है. लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की मौजूदगी में वीर सावरकर की रचना जयस्तुते के गान को कांग्रेस की ओर से मराठा समुदाय को सकारात्मक संदेश देने की कोशिश से जोड़कर भी देखा जा रहा है.
ठाणे-कोंकण में शिवसेना मजबूत
ठाणे और कोंकण रीजन में शिवसेना मजबूत रही है. आंकड़ों की नजर से देखें तो हालिया लोकसभा चुनाव में ठाणे-कोंकण रीजन की 39 में से 12 सीटों पर एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना आगे रही थी. लोकसभा चुनाव नतीजों को विधानसभा सीटों के लिहाज से देखें तो उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना (यूबीटी) ने नौ, बीजेपी ने 11, एनसीपी (अजित पवार) ने चार, एनसीपी (शरद पवार) ने दो सीटों पर लीड किया था. इस रीजन को भी दो जोन में बांटकर देखा जा सकता है. ठाणे जोन एकनाथ शिंदे का इलाका है और इस जोन में उनकी पार्टी मजबूत मानी जा रही है तो वहीं कोंकण में उद्धव ठाकरे की पकड़ मजबूत बताई जा रही है.
पश्चिमी महाराष्ट्र में एनसीपी का दबदबा
पश्चिमी महाराष्ट्र शरद पवार का गृह इलाका है. पश्चिमी महाराष्ट्र को एनसीपी का गढ़ कहा जाता है. 2019 के विधानसभा चुनाव में भी एनसीपी की ज्यादातर सीटें इसी इलाके से आई थीं. हालिया लोकसभा चुनाव नतीजों को विधानसभा सीटों के लिहाज से देखें तो शरद पवार की एनसीपी ने 70 सीटों वाले इस रीजन की 19 सीटों पर बढ़त पाई थी. लोकसभा चुनाव में विधानसभा सीटों के लिहाज से बीजेपी को 17, शिंदे की शिवसेना को 11, अजित पवार की एनसीपी को दो, कांग्रेस को 10 और उद्धव ठाकरे की शिवसेना को 6 सीटों पर बढ़त मिली थी. पश्चिमी महाराष्ट्र में भी मराठा वोटर्स अच्छी तादाद में हैं.
उत्तरी महाराष्ट्र में बोलती है बीजेपी की तूती
महाराष्ट्र के पिछले दो चुनावों से उत्तरी महाराष्ट्र में बीजेपी का दबदबा रहा है. हालिया लोकसभा चुनाव नतीजों में विधानसभा सीटों के हिसाब से बीजेपी उत्तरी महाराष्ट्र की 35 में से 20 विधानसभा क्षेत्रों में लीड पाने में सफल रही थी. विधानसभा सीटों के नजरिये से देखें तो दो सीटों पर एकनाथ शिंदे की शिवसेना, पांच सीटों पर कांग्रेस, शरद पवार की एनसीपी और उद्धव ठाकरे की शिवसेना को चार-चार सीटों पर बढ़त मिली थी.
किसान कर्जमाफी के वादे का विदर्भ कनेक्शन
विदर्भ रीजन पिछले कुछ चुनावों से बीजेपी का गढ़ रहा है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मुख्यालय नागपुर इसी रीजन में आता है. महाराष्ट्र की राजनीति में बीजेपी का सबसे बड़ा चेहरा देवेंद्र फडणवीस से लेकर प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले और नितिन गडकरी तक, पार्टी के तमाम कद्दावर् चेहरे इसी रीजन से नाता रखते हैं लेकिन हालिया लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने अधिक सीटों पर लीड किया था. विधानसभा सीटों के लिहाज से देखें तो बीजेपी को इस रीजन की 15 विधानसभा सीटों पर बढ़त मिली थी जबकि कांग्रेस 29 सीटों पर आगे रही थी.
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राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी ने कहा कि विदर्भ में कांग्रेस अगर लोकसभा चुनाव का मोमेंटम बरकरार रखने में सफल हो जाती है तो सूबे की सत्ता का रास्ता एमवीए के लिए आसान हो सकता है. मुंबई की गद्दी पर महायुति का कब्जा होगा या एमवीए का, यह विदर्भ रीजन में बीजेपी और कांग्रेस के प्रदर्शन पर निर्भर करेगा.
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महाराष्ट्र की सत्ता पर कौन सा गठबंधन काबिज होगा, यह तय करने में विदर्भ की भूमिका निर्णायक बताई जा रही है तो वहीं विदर्भ के समर में निर्णायक की भूमिका में किसान हैं. किसानों के सुसाइड को लेकर अक्सर खबरों में रहने वाले विदर्भ के किसान बीजेपी के साथ बने रहें, कहा जा रहा है कि इस कोशिश में ही महायुति ने किसान कर्जमाफी का दांव चला है.