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सलीम गिलानी, डॉ. तलत मजीद, सैय्यद अहमद...वो अलगाववादी जो अब कश्मीर के चुनाव में उतरेंगे

जम्मू कश्मीर चुनाव में इस बार सियासी बयार बदली-बदली नजर आ रही है. अलगाववादी संगठन और इनसे जुडे़ नेता जो चुनाव बहिष्कार का आह्वान किया करते थे, वे अब जनता के वोट से माननीय बनने की कोशिश में चुनाव मैदान में उतर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.

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Salim Gilani, Talat Majid (फोटोः एक्स)
Salim Gilani, Talat Majid (फोटोः एक्स)

जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने, राज्य के दर्जे में बदलाव के बाद हो रहे पहले विधानसभा चुनाव में सियासी बयार भी बदली-बदली नजर आ रही है. जहां अलगाववादी नेता चुनाव बहिष्कार की पॉलिटिक्स करते थे, इन चुनावों में वह भी जनता के वोट से विधानसभा पहुंचने की कोशिश में अलग-अलग पार्टियों का रुख कर रहे हैं. किसी दल से बात नहीं बनने की स्थिति में निर्दलीय भी चुनाव मैदान में ताल ठोक रहे हैं. इस लिस्ट में अलगाववादी संगठन जम्मू कश्मीर नेशनल पीपुल्स पार्टी के प्रमुख सैयद सलीम गिलानी से लेकर प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी के तलत मजीद तक, कई नेताओं के नाम हैं. संसद हमले के दोषी अफजल गुरु के भाई एजाज अहमद गुरु के भी निर्दलीय चुनाव लड़ने की चर्चा है.

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सैयद सलीम गिलानी

मीरवाइज उमर फारुक की अगुवाई वाली हुर्रियत (एम) के सदस्य और अलगाववादी संगठन जम्मू कश्मीर नेशनल पीपुल्स पार्टी के प्रमुख सैयद सलीम गिलानी श्रीनगर की खानयार विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं. गिलानी अब महबूबा मुफ्ती की अगुवाई वाली पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) में शामिल हो चुके हैं. महबूबा ने गिलानी को पीडीपी में शामिल करने के बाद कहा भी, "मैं चाहती हूं कि वह पीडीपी के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ें. गिलानी के आने से पीडीपी को श्रीनगर में मदद मिलेगी."

डॉक्टर तलत मजीद

प्रतिबंधित संगठन जमात-ए-इस्लामी के पूर्व प्रमुख डॉक्टर तलत मजीद भी चुनाव मैदान में हैं. डॉक्टर मजीद पुलवामा विधानसभा सीट से बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. अलगाववादी नेता मजीद ने नामांकन दाखिल करने के बाद कहा कि 2008 के बाद आए बदलाव को देखते हुए महसूस किया कि पहले के अड़ियल रुख को छोड़ने की जरूरत है. मुझे ये लगा कि अब समय आ गया है कि हम राजनीतिक प्रक्रिया में हिस्सा लें.

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आगा सैय्यद मुंतजिर

अलगाववादी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से जुड़े रहे और अंजुमन शरी शियान के के अध्यक्ष आगा सैय्यद हसन अल मूसवी के बेटे आगा सैयद मुंतजिर भी पीडीपी के टिकट पर बडगाम विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में हैं. मुंतजिर ने चुनाव लड़ने के फैसले को निजी बताते हुए कहा है कि अपने पिता के नाम पर वोट नहीं मांग रहा, मेरे पास विजन है. आगा परिवार के दो अन्य सदस्य आगा सैय्यद अहमद और आगा सैय्यद महमूद भी चुनाव लड़ रहे हैं. 

सर्जन बरकती

हिज्बुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद घाटी में विरोध-प्रदर्शकों का चेहरा रहे सर्जन बरकती ने भी चुनाव लड़ने के लिए नामांकन पत्र दाखिल किया था. बरकती का नामांकन खारिज हो गया था. टेरर फंडिंग केस में जेल में बंद बरकती ने जैनपोरा से बतौर निर्दलीय पर्चा भरा था.

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लोकसभा चुनाव से बदला ट्रेंड

चुनाव बहिष्कार करने वाले अलगाववादी संगठनों से जुड़े नेता जम्मू कश्मीर चुनाव में उतर रहे हैं या उतरने की तैयारी में हैं तो इसे हालिया लोकसभा चुनाव के नतीजों से जोड़कर भी देखा जा रहा है. लोकसभा चुनाव में इंजीनियर राशिद ने बारामूला सीट से नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला को दो लाख से अधिक वोट के अंतर से हरा दिया था. टेरर फंडिंग केस में तिहाड़ जेल में बंद इंजीनियर राशिद ने जेल से ही चुनाव लड़ा था. अब कई अलगाववादी नेता चुनाव मैदान में उतर रहे हैं तो इसे राशिद इफेक्ट भी कहा जा रहा है.

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90 सीटों पर तीन चरणों में चुनाव

जम्मू कश्मीर में आखिरी बार 2014 में विधानसभा चुनाव हुए थे. जम्मू कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव हो रहे हैं. केंद्र शासित प्रदेश की 90 सीटों पर तीन चरणों में मतदान होना है. पहले चरण में प्रदेश की 24 विधानसभा सीटों पर 18 सितंबर को वोट डाले जाएंगे. दूसरे चरण में 25 सितंबर को 26 और तीसरे चरण में 1 अक्टूबर को 40 सीटों पर मतदान होगा. जम्मू कश्मीर चुनाव के नतीजे 8 अक्टूबर को आएंगे. पहले चुनाव नतीजे 4 अक्टूबर को आने थे लेकिन हरियाणा में चुनाव की तारीख में बदलाव के कारण जम्मू कश्मीर में वोटों की गिनती की तारीख भी बदली है.

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