महाराष्ट्र में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. इसको लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां गणित बैठाने में जुटी हैं. राज्य में मुख्य रूप से महायुति और महा विकास अघाड़ी, दोनों गठबंधनों के बीच मुकाबला है. एक तरफ सत्ताधारी महायुति वापसी का दावा कर रही है तो वहीं दूसरी ओर विपक्षी एमवीए राज्य की सत्ता पर काबिज होने की बात कह रहा है. इस सबके बीच शिंदे सरकार ने बड़ा दांव चलते हुए गैर-क्रीमी लेयर की आय सीमा बढ़ाने का अनुरोध केंद्र से किया है.
गुरुवार को हुई कैबिनेट बैठक में गैर-क्रीमी लेयर की आय सीमा बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार से अनुरोध करने का निर्णय लिया गया. बैठक की अध्यक्षता मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने की. उन्नत और उन्नत समूह (गैर-क्रीमी लेयर) के अंतर्गत न आने वालों के लिए आय सीमा 8 लाख से बढ़ाकर 15 लाख रुपये करने की केंद्र सरकार से सिफारिश की जाएगी.
महाराष्ट्र सीएमओ से जारी एक बयान में कहा गया कि कैबिनेट ने महाराष्ट्र राज्य अनुसूचित जाति आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के लिए अध्यादेश के मसौदे को मंजूरी दे दी है. अध्यादेश को राज्य विधानमंडल के अगले सत्र में पेश किया जाएगा. इसके साथ ही आयोग के लिए 27 पदों को मंजूरी दी गई है.
बयान में ये भी कहा गया है कि केंद्र सरकार से 'क्रीमी लेयर' श्रेणी में शामिल होने के लिए आय सीमा को मौजूदा 8 लाख रुपये से बढ़ाकर 15 लाख रुपये प्रति वर्ष करने का अनुरोध करने का प्रस्ताव भी पारित किया गया है.
दरअसल, ओबीसी श्रेणी में आरक्षण का लाभ पाने के लिए एक गैर-क्रीमी लेयर प्रमाण पत्र की आवश्यकता होती है, जिसमें यह बताया गया हो कि किसी व्यक्ति की पारिवारिक आय निर्धारित सीमा से कम है.
क्या है गैर-क्रीमी लेयर
गैर-क्रीमी लेयर (Non-Creamy Layer) भारत में आरक्षण प्रणाली के तहत एक महत्वपूर्ण अवधारणा है. यह अवधारणा अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) के लिए आरक्षण के लिए उपयोग की जाती है. गैर-क्रीमी लेयर से तात्पर्य उन परिवारों से है जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और जिन्हें अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण का लाभ उठाने के लिए पात्र माना जाता है. यह अवधारणा इस विचार पर आधारित है कि कुछ परिवार अन्य पिछड़े वर्गों में होने के बावजूद आर्थिक रूप से मजबूत हो गए हैं और उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं दिया जाना चाहिए.
गैर-क्रीमी लेयर के मानदंड:
भारत सरकार ने गैर-क्रीमी लेयर के लिए निम्नलिखित मानदंड निर्धारित किए हैं:
1. पारिवारिक आय: 8 लाख रुपये से कम.
2. पैतृक संपत्ति: 2 हेक्टेयर से कम.
3. शिक्षा: परिवार के किसी भी सदस्य के पास स्नातक या उच्च शिक्षा नहीं.
4. सरकारी नौकरी: परिवार के किसी भी सदस्य के पास सरकारी नौकरी नहीं.
5. व्यवसाय: परिवार के किसी भी सदस्य के पास व्यवसाय नहीं जिसका वार्षिक टर्नओवर 1 करोड़ रुपये से अधिक हो.