इंडिया टुडे के मुंबई कॉन्क्लेव में पहुंचीं एनसीपी की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले ने असली-नकली के मुद्दे पर बात की. दरअसल, बीते लोकसभा चुनाव में राज्य की राजनीति में असली-नकली के सवाल उठे थे, जहां शरद पवार द्वारा बनाई गई पार्टी को अजीत पवार ने कथित रूप से हाईजैक कर लिया था. हालिया चुनाव में इस तरह के आरोप-प्रत्यारोप सामने आ रहे थे कि चुनाव से यह साफ हो जाएगा कि असली कौन है. एक सवाल के जवाब में सुप्रिया सुले ने कहा कि ये तो पूरा इंडिया जानता है.
एनसीपी (एसपी) की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले ने असली-नकली के सवाल पर कहा कि मुझे नहीं लगता कि मुझे इस सवाल का इंतजार करना पड़ेगा, क्योंकि ये बात तो पूरा भारत जानता है कि कौन असली है, नकली में टाइम किसको है. यह सवाल असल में अजीत पवार और शरद पवार के बीच हुए घमासान के संदर्भ में था, जहां लोकसभा चुनाव के दौरान यह बात आम हो गई थी कि चुनाव असली-नकली का फर्क साफ कर देगा.
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चुनाव आयोग को करना पड़ा था फैसला
चुनाव आयोग के फैसले के बाद यह साफ हो गया था कि एनसीपी पर असली अधिकार अजीत पवार का ही है और पार्टी का सिंबल भी उन्हें सौंप दिया गया. बाद में शरद पवार ने अपनी पार्टी का नाम एनसीपी (शरदचंद्र पवार) कर लिया, जिनकी अगुवाई फिलहाल सुप्रिया सुले कर रही हैं और वह पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष हैं. उन्होंने इन आरोपों से इनकार किया कि शरद पवार उनके लिए पक्षपाती थे.
क्या शरद पवार पक्षपाती हो रहे थे?
सुप्रिया सुले ने इस तरह के आरोपों पर कहा कि वह अजीत पवार हों या कोई भी उनसे इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा कि पार्टी में उत्तराधिकार की कोई बात ही नहीं थी लेकिन जिस तरह से अजीत पवार ने छोड़ा वो गलत था. उन्होंने कहा, "उन्होंने (अजीत पवार) ने हमारी जिंदगी को अस्त-व्यस्त करके छोड़कर चले गए. उनके पास ऑप्शन था. यह उनके हाथ में था कि वो रुकते."
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सुप्रिया सुले ने स्पष्ट किया कि इसमें उत्तराधिकार की कोई बात ही नहीं थी. यह बात गठबंधन की थी (जहां अजीत पवार ने एनसीपी से किनारा करके बीजेपी गठबंधन जॉइन कर लिया).