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'आखिरी 5-6 दिन में हालात बदल गए...', उमर अब्दुल्ला ने बताई बारामूला में अपनी हार की वजह

उमर अब्दुल्ला ने लोकसभा चुनावों में बारामूला से अपनी हार के पीछे इंजीनियर राशिद के जज्बाती कैंपेन को एक बड़ी वजह बताया. उन्होंने कहा कि कुछ ऐसे नारे इस्तेमाल किए गए जिन पर हम खामोश रहे. हमें ये लगा कि जब वो हमारे खिलाफ कुछ नहीं बोल रहे तो हम क्यों बेमतलब एक नया फ्रंट खोलने जाएं.

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पंचायत आजतक में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला. (Photo: Aajtak)
पंचायत आजतक में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला. (Photo: Aajtak)

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने 'पंचायत आजतक' के मंच से लोकसभा चुनाव में बारामूला सीट पर इंजीनियर राशिद के खिलाफ अपनी हार की वजह बताई. उन्होंने कहा कि आखिरी पांच-छह दिन में हालात बदल गए. जज्बाती कैंपेन किया गया, कुछ ऐसे नारे इस्तेमाल किए गए जिन पर हम खामोश रहे. हमें ये लगा कि जब वो हमारे खिलाफ कुछ नहीं बोल रहे तो हम क्यों बेमतलब एक नया फ्रंट खोलने जाएं. इंजीनियर साहब के बेटों ने कहा कि मेरे बाप को फांसी से बचाना है, इसलिए हमें वोट देना. मैंने इस पर कुछ कहा नहीं. हम भी जानते हैं कि उनको जिस आरोप में गिरफ्तार किया गया है, उसमें फांसी की सजा है ही नहीं.

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उन्होंने आगे कहा, 'इंजीनियर राशि के बेटों ने बारामूला में कहा गया कि मेरे बाप को जेल से निकालना है, वोट दो. हम भी जानते हैं कि वोट से कोई जेल से बाहर नहीं आ सकता. इंजीनियर राशिद अभी जेल से बाहर आए हैं तो कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है. अगर वोट लेकर जेल से बाहर आना संभव होता तो पांच साल के लिए आते न कि 20 दिन के लिए. अब हमें लगता है कि हमें उस वक्त उन चीजों पर खामोश नहीं रहना चाहिए था. क्योंकि लोगों को वहां एक तरह से धोखा ही दिया जा रहा था.' उमर अब्दुल्ला ने कोर्ट से इंजीनियर राशिद को जमानत मिलने पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि यूएपीए के केस में जमानत मिलना लगभग नामुमकिन होता है. इंजीनियर राशिद को यूएपीए के तहत कैसे बेल मिला ये मैं तो जानता नहीं हूं. 

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इंजीनियर राशिद जेल से बाहर आने के बाद जब बारामूला पहुंचे तो वहां लोगों का हुजूम उनके स्वागत में उमड़ा, इस बारे में पूछे जाने पर उमर अब्दुल्ला ने कहा, 'हमने भी जब नामांकन भरा था, वहां क्या कम भीड़ थी. तब भी लोगों में काफी जोश था. लेकिन एक-दो हफ्तों में हालात बदल गए. अभी तो एक-दो दिन ही हुए हैं. अगले दो-तीन हफ्तों में देखते हैं.'  क्या इंजीनियर राशिद दिल्ली के इशारों पर काम कर रहे हैं? इस पर उमर अब्दुल्ला ने कहा, 'होम मिनिस्टर अमित शाह पिछले दिनों जब जम्मू में अपनी पार्टी का मेनिफेस्टो जारी करने आए थे, तो उन्होंने क्या कहा था? कहा कि हम एक दो पार्टियों के अलावा सरकार बनाने के लिए अगर हमें किसी की मदद की जरूरत पड़ेगी तो हम लेने के लिए तैयार हैं.'

उन्होंने आगे कहा, 'दो तीन पार्टियों के नाम लेकर उन्होंने कहा था कि हम इनके साथ काम नहीं करेंगे. उन्होंने दो तीन पार्टियों के अलावा जिनका नाम नहीं लिया था, यानी जिनके साथ वह काम करने को तैयार हैं उनमें कौन-कौन शामिल हैं? तमाम निर्दलीय उम्मीदवार, इंजीनियर राशिद की पार्टी, अल्ताफ बुखारी की पार्टी, गुनाम नबी आजाद की पार्टी और सज्जाद लोन की पार्टी. इसका मतलब ये है कि कल को मान लीजिए नेशनल कॉन्फ्रेंस के पास सरकार बनाने जितना नंबर नहीं आते हैं. अगर बीजेपी को जरूरत पड़ती है, तो वह इन पार्टियों से मदद ले सकती है.'  

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