यूपी की नौ सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं. इन सभी सीटों के लिए आज मतदान हो रहा है. यह सीट मतदान के दौरान हंगामे को लेकर सुर्खियों में आ गई है. मतदान के दौरान मीरापुर के ककरौली में मतदान करने निकले लोगों की भीड़ को पुलिस जब व्यवस्थित करने की कोशिश कर रही थी, लोगों ने पथराव कर दिया. पुलिस ने हल्का बल प्रयोग कर भीड़ को तितर-बितर किया और अब शांतिपूर्ण तरीके से मतदान चल रहा है. उपचुनाव में मीरापुर के बढ़े तापमान के पीछे बहुकोणीय लड़ाई भी एक फैक्टर माना जा रहा है.
दरअसल, मीरापुर विधानसभा सीट बहुकोणीय मुकाबले में फंस गई है. इस सीट से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की ओर से राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) के टिकट पर मिथिलेश पाल चुनाव मैदान में हैं. एनडीए की मिथिलेश के सामने विपक्षी इंडिया ब्लॉक की ओर से समाजवादी पार्टी (सपा) उम्मीदवार सुम्बुल राणा, एडवोकेट चंद्रशेखर की अगुवाई वाली आजाद समाज पार्टी के जाहिद हुसैन और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के शाहनजर की चुनौती है. इस सीट पर एनडीए और इंडिया ब्लॉक, दोनों ही गठबंधनों ने बाहरी उम्मीदवार पर दांव लगाया है.
बसपा के साथ ही असदुद्दीन ओवैसी की अगुवाई वाली ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के साथ गठबंधन कर चुनाव मैदान में उतरी एडवोकेट चंद्रशेखर की पार्टी ने भी लोकल चेहरे पर भरोसा जताया है. इस विधानसभा सीट का अब तक का ट्रेंड यही रहा है कि बाहरी उम्मीदवार जीतते आए हैं. बसपा और एएसपी, दोनों ही दल ट्रेंड बदलने की उम्मीद के साथ चुनाव मैदान में पूरा जोर लगा रहे हैं. दोनों ही दलों ने मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं. सपा से भी मुस्लिम नेता ही मैदान में हैं. ऐसे में मीरापुर की लड़ाई रोचक हो गई है.
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एनडीए को भरोसा है कि मुस्लिम वोट बंटेंगे और उसकी जीत का रास्ता आसान हो जाएगा. इस सीट पर 2022 में विपक्षी गठबंधन को जीत मिली थी. तब आरएलडी के चंदन वर्मा मीरापुर से विधायक निर्वाचित हुए थे. आरएलडी तब सपा के साथ गठबंधन में थी, इस बार जयंत चौधरी की पार्टी एनडीए के साथ है. मीरापुर विधायक चंदन अब सांसद निर्वाचित हो चुके हैं और यह सीट उनके इस्तीफे से ही रिक्त हुई है जिसके लिए आज मतदान हो रहा है. मीरापुर सीट पर दल से अधिक जयंत चौधरी और चंदन चौहान की साख दांव पर है.
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मीरापुर सीट के सामाजिक समीकरणों की बात करें तो यहां मुस्लिम आबादी का बाहुल्य है. मीरापुर में करीब 40 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं. वहीं, जाट और गुर्जर मतदाताओं की तादाद भी अच्छी खासी है. त्यागी, पाल और दलित मतदाता भी इस सीट का परिणाम तय करने में अहम भूमिका निभाते हैं. सपा को मुस्लिम और यादव के साथ अन्य पिछड़ी जातियों और दलित मतदाताओं के साथ से जीत की उम्मीद है तो वहीं एनडीए को मुस्लिम वोट के बिखराव और एनडीए के साथ बीजेपी के कोर वोटर के साथ आ जाने से अपनी जीत का भरोसा. किसकी उम्मीद, किसका भरोसा सही साबित होगा? यह 23 नवंबर की तारीख बताएगी.