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कांग्रेस के 'हाथ' से बीजेपी ने छीन ली 'जलेबी', हरियाणा के नतीजे का देश की सियासत पर क्या असर

हरियाणा चुनाव के इन नतीजों का भारत की राष्ट्रीय राजनीति पर क्या प्रभाव होगा? इसका जवाब ये है कि इन नतीजों के बाद विपक्ष के सभी नैरेटिव कमजोर पड़ गए और इससे लोगों के बीच ये संदेश भी जाएगा कि ना तो बीजेपी की लोकप्रियता कम हुई है और ना ही ब्रांड मोदी की ताकत में कोई कमी आई है.

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हरियाणा में जीत के बाद भाजपा दफ्तर में हुआ पीएम मोदी का जोरदार स्वागत.
हरियाणा में जीत के बाद भाजपा दफ्तर में हुआ पीएम मोदी का जोरदार स्वागत.

हरियाणा की जनता ने पूरे देश को हैरान कर दिया है. देश के सभी चुनावी विश्लेषकों ने, Exit Polls ने हरियाणा के बारे में जो अनुमान लगाए, वो सारे के सारे गलत साबित हुए और बीजेपी ने तीसरी बार चुनाव जीतते हुए, पिछले दो विधानसभा चुनावों से भी अच्छा प्रदर्शन किया. कांग्रेस पूरी तरह से आश्वस्त थी कि वो इस बार हरियाणा में सरकार बनाएगी और आज कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जलेबियां बंटेंगी. 

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लेकिन नतीजों के बाद बीजेपी आज के दिन को 'जलेबी दिवस' के तौर पर मना रही है. ऐसे में आइए समझते हैं कि हरियाणा के किसान, जवान और पहलवान ने तीसरी बार प्रधानमंत्री मोदी का साथ क्यों दिया? आज ऐसा लगता है जैसे हरियाणा की जनता ने लोकसभा चुनाव के बाद 'भूल सुधार' किया है. पिछले कुछ वर्षों से मोदी के विरोधियों ने लगातार ऐसी छवि बनाई कि हरियाणा के किसान मोदी से नाराज हैं, अग्निवीर योजना की वजह से हरियाणा के लोग बीजेपी के खिलाफ हैं, और विनेश फोगाट के आंदोलन की वजह से भी हरियाणा के जाट मोदी के खिलाफ हो गए हैं. लेकिन आज के नतीजों ने ये सारी थ्योरी फेल कर दीं. लोकसभा चुनावों के बाद से कांग्रेस और विपक्षी दल लगातार ये माहौल पैदा कर रहे थे, कि अब प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता कम हो रही है और धीरे-धीरे बीजेपी ढलान की ओर जा रही है, लेकिन हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में बीजेपी के शानदार प्रदर्शन की वजह से ये माहौल रातों-रात बदल गया है. अब इसका असर महाराष्ट्र और दिल्ली के चुनावों पर पड़ेगा और देश की राजनीति में ब्रांड मोदी और मजबूत होगा.

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हरियाणा की जीत के बाद क्या बोले पीएम मोदी

हरियाणा की जीत के बाद पार्टी मुख्यालय में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के जनादेश की गूंज दूर-दूर तक जाएगी और आज हरियाणा में झूठ की घुट्टी पर विकास की गारंटी भारी पड़ी है.

इन चुनावों में क्या फर्क दिखा?
 
लोकसभा चुनावों की तरह बीजेपी ने इस बार अति-आत्मविश्वास नहीं दिखाया. बल्कि बीजेपी हरियाणा में विनम्र बनी रही और उसके लाखों कार्यकर्ता दिन-रात चुपचाप जमीन पर काम करते रहे जबकि बीजेपी की तुलना में इस बार कांग्रेस ज्यादा आक्रामक थी और उसका आत्मविश्वास भी सातवें आसमान पर था. कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर भी जबरदस्त प्रचार किया था. कांग्रेस पार्टी का दावा था कि, वो इस बार कम से कम 60 सीटें तो जरूर जीतेगी और राहुल गांधी ने गारंटी दी थी कि इस बार हरियाणा में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनेगी.

कांग्रेस के कुछ नेताओं ने ये भी कहा था कि अगर बीजेपी की 15 सीटें भी आ गईं तो वो अपना नाम बदल देंगे. लेकिन आज बीजेपी ने हरियाणा में अपना अब तक का सबसे शानदार प्रदर्शन किया और बीजेपी ने 90 में से 48 सीटें जीती हैं और कांग्रेस ने 37 सीटें जीती हैं और कांग्रेस लगातार तीसरी बार हरियाणा के चुनावों में हार गई है.

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'जलेबी सीट' से हारी कांग्रेस

आज भारत की राजनीति में एक शब्द काफी ट्रेंड कर रहा है और वो है, जलेबी. ये वो जलेबी है, जिसे खाया तो राहुल गांधी ने था, लेकिन इसका स्वाद बीजेपी को आया है और लोग ये कह रहे हैं कि हरियाणा की जनता ने इस बार के चुनावों में कांग्रेस को जलेबी की तरह घुमा दिया है. बड़ी बात ये है कि जिस गोहाना विधानसभा क्षेत्र में एक रैली के दौरान राहुल गांधी ने वहां की मशहूर जलेबी खाने के बाद ये कहा था कि अगर ये जलेबी किसी बड़ी फैक्ट्री में बने तो इससे कई लोगों को रोज़गार मिल सकता है, उस गोहाना में भी लोगों ने कांग्रेस पार्टी को 10 हजार वोटों से हरा दिया.

ऐसे में हरियाणा बीजेपी ने दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय के पते पर राहुल गांधी के लिए एक किलो जलेबी ऑर्डर कर दीं और उन्हें जलेबी दिवस की शुभकामनाएं दे दीं.
 
हरियाणा के नतीजों ने आज पूरे देश को हैरान कर दिया है और इसका कारण ये है कि हरियाणा के चुनावों को शुरुआत से ही कांग्रेस के पक्ष में माना जा रहा था. चुनावी एक्सपर्ट्स, राजनीतिक विश्लेषक, पत्रकार, मीडिया और यहां तक कि एग्ज़िट पोल भी इन चुनावों में बीजेपी की करारी हार का अनुमान लगा रहे थे. लेकिन हरियाणा की जनता ने इन सबको एक्सपोज़ कर दिया और सारे एग्ज़िट पोल आज गलत साबित हो गए और ये पिछले 6 महीने में दूसरी बार ऐसा हुआ है, जब बड़े बड़े चुनावी विश्लेषकों से लेकर एग्जिट पोल के अनुमान गलत साबित हुए हैं.

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यह भी पढ़ें: हरियाणा में हारे 'किंगमेकर' दुष्यंत चौटाला, JJP के सियासी भविष्य पर भी सवाल

इन मुद्दों पर लड़ी कांग्रेस
 
लोकसभा चुनावों में जब चुनावी एक्सपर्ट्स, मीडिया और एग्ज़िट पोल ये अनुमान लगा रहे थे कि बीजेपी 400 पार कर सकती है, तब भी देश की जनता ने इन अनुमानों को गलत साबित किया था और आज जब यही एग्ज़िट पोल हरियाणा में बीजेपी की हार का अनुमान लगा रहे थे, तब भी हरियाणा की जनता ने इन अनुमानों को गलत साबित करके ये बताया कि हमारे देश के चुनावी विश्लेषक और एग्ज़िट पोल असल में जनता के असली मूड को समझ ही नहीं पा रहे हैं.

कांग्रेस ने हरियाणा का चुनाव तीन मुद्दों पर लड़ा था और ये तीन मुद्दे थे, किसान, जवान और पहलवान.

कांग्रेस ने बीजेपी को किसान विरोधी बताते हुए हरियाणा के किसानों को MSP की लीगल गारंटी देने का वादा किया था. जवानों के मुद्दे पर अग्निवीर योजना को खत्म करने का वादा किया था और पहलवानों के मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी ने ये कहा था कि बीजेपी ने विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया जैसे खिलाड़ियों का अपमान किया है और हरियाणा के लोग इस अपमान का बदला जरूर लेंगे.

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काम नहीं आए कांग्रेस को मुद्दे

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लेकिन आज के नतीजों से पता चलता है कि हरियाणा में किसान, जवान और पहलवान का ये मुद्दा बिल्कुल नहीं चला. आज एक बड़ा सवाल ये भी है कि जिस हरियाणा में 70% आबादी किसान परिवारों की है और आबादी के हिसाब से जिस हरियाणा से सबसे ज्यादा युवा तीनों सेनाओं में भर्ती होते हैं, अगर उस हरियाणा के लोग तीसरी बार बीजेपी की सरकार को प्रंचड बहुमत से चुनते हैं तो क्या इसका मतलब ये नहीं है कि हरियाणा के आम लोगों में इन मुद्दों को लेकर बीजेपी से कोई नाराज़गी नहीं है?

ये बात इसलिए भी कही जा रही है क्योंकि केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ वर्ष 2020-21 में किसानों का जो आंदोलन हुआ था, उसका नेतृत्व किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने किया था. लेकिन आज गुरनाम सिंह चढूनी, हरियाणा की पिहोवा सीट से चुनाव हार गए हैं और उनकी जमानत भी ज़ब्त हो गई. सोचिए, जो गुरनाम सिंह चढूनी हरियाणा के किसानों की तरफ से दिल्ली की सीमाओं पर आन्दोलन कर रहे थे, उन्हें चुनावों में सिर्फ 1 हजार 170 वोट मिले हैं जबकि यही किसान नेता आंदोलन में ये कहते थे कि उनके साथ पूरे हरियाणा के किसान खड़े हैं.

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इन नतीजों का भारत की राष्ट्रीय राजनीति पर क्या प्रभाव होगा?

आइए अब समझते हैं कि इन नतीजों का भारत की राष्ट्रीय राजनीति पर क्या प्रभाव होगा? 4 जून को जब लोकसभा चुनावों के नतीजे आए थे और बीजेपी को 240 सीटों पर जीत मिली थी, तब देश में विपक्षी दलों ने तीन बड़े नैरेटिव बनाने की कोशिश की थी. इनमें पहला नैरेटिव ये था कि अब देश में बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता कम हो जाएगी और ब्रांड मोदी अपनी ताकत खो देगा. दूसरा- देश में अब विपक्षी दलों की सरकार आएगी और तीसरा- अब राहुल गांधी एक जननायक बन चुके हैं और देश के अगले प्रधानमंत्री वही होंगे.

लेकिन आज इन नतीजों के बाद ये सभी नैरेटिव कमजोर पड़ गया और इससे लोगों के बीच ये संदेश जाएगा कि ना तो बीजेपी की लोकप्रियता कम हुई है और ना ही ब्रांड मोदी की ताकत में कोई कमी आई है. बीजेपी की सबसे अच्छी बात ये है कि लोकसभा चुनावों के बाद जब पूरे देश में उसके खिलाफ नकारात्मक माहौल बनाने की कोशिश हुई, तब बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व तनाव के अंधेरे में नहीं गया. बीजेपी के समर्थक और वोटर भले इस अंधेरे में चले गए लेकिन प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, पार्टी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा और तमाम बड़े नेता इस अंधेरे में नहीं गए और यही कारण है कि आज बीजेपी ने हरियाणा में बाउंस बैक करके सबको हैरान कर दिया है.

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haryana bjp

राहुल गांधी अपने लगभग सभी भाषणों में ये कहते हैं कि लोकसभा चुनावों के बाद से प्रधानमंत्री मोदी डर गए हैं और उनकी लोकप्रियता कम हो गई है. लेकिन आज के नतीजे बताते हैं कि हरियाणा में राहुल गांधी ने जिन 9 विधानसभा क्षेत्रों में रैलियां और रोड शो किए, उनमें से 6 सीटों पर कांग्रेस पार्टी चुनाव हार गई.

जबकि प्रधानमंत्री मोदी ने जिन चार विधानसभा क्षेत्रों में रैलियां की थी, उनमें से तीन सीटों पर बीजेपी को जीत मिली है और एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार सावित्री जिंदल की जीत हुई है. इससे ये पता चलता है कि अब भी ब्रांड मोदी की ताकत कम नहीं हुई है जबकि राहुल गांधी उन विधानसभा क्षेत्रों में भी कांग्रेस को जीत नहीं दिला पाए, जहां उन्होंने खुद रैलियां की थीं. इन चुनावों का एक और बड़ा प्रभाव ये होगा कि अब इससे महाराष्ट्र और दिल्ली में होने वाले चुनावों की राजनीति बदल जाएगी और वहां बीजेपी और NDA, इंडिया गठबंधन के खिलाफ मजबूत हो जाएगा.

तो क्या ये हिंदुत्व की जीत है?

आज एक बड़ा सवाल ये भी है कि जब अयोध्या, सीतापुर और बद्रीनाथ की हार को विपक्षी दलों ने बीजेपी के हिंदुत्व की हार बताया था तो क्या आज विपक्षी दल हरियाणा के कुरुक्षेत्र और जम्मू कश्मीर की वैष्णों देवी सीट पर मिली जीत को बीजेपी के हिंदुत्व की जीत मानेगा?
 
क्या जिस हरियाणा में 87.5% आबादी हिन्दुओं की है, उस हिन्दू बहुल हरियाणा में कांग्रेस पार्टी का लगातार तीसरी बार विधानसभा चुनाव हारने का मतलब ये होगा कि हिन्दू कांग्रेस पार्टी के साथ नहीं है? ये सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि कांग्रेस पार्टी खुद चुनावों के नतीजों के आधार पर ये दावा करती है कि हिन्दू बीजेपी के साथ हैं या हिन्दू बीजेपी के खिलाफ हैं. ऐसे में क्या अब देश में वैष्णो देवी की सीट पर कांग्रेस की हार का मतलब ये माना जाएगा कि हिन्दू कांग्रेस के साथ नहीं है? 

BJP की 'बंटेंगे तो कटेंगे' रणनीति आई काम

अब आपको बीजेपी की उस रणनीति के बारे में भी जानना चाहिए, जिसमें जातिगत जनगणना का जवाब छिपा है और इस रणनीति का नाम है, 'बंटेंगे तो कटेंगे'. लोकसभा चुनावों में जब जातिगत जनगणना और आरक्षण के मुद्दे पर उत्तर भारत के कई राज्यों में हिन्दू वोटर्स अलग-अलग जातियों में विभाजित हो गए थे, तब इससे बीजेपी को काफी नुकसान हुआ था. लेकिन इसके बाद जब बांग्लादेश में सैन्य तख्तापलट के कारण हिन्दुओं के खिलाफ हिंसा हुई तो बीजेपी ने बटेंगे तो कटेंगे का एक नारा दिया और ऐसा माना जा रहा है कि इसी नारे के कारण हरियाणा में बीजेपी को जबरदस्त फायदा हुआ. इस बार हरियाणा में जाट और गैर जाट वोटों की लड़ाई में बीजेपी को गैर जाट वोटर्स के सबसे ज्यादा वोट मिले और इनमें भी दलित और पिछड़े समुदाय के लोगों ने बीजेपी को सबसे ज्यादा वोट दिए.

हरियाणा के जाटों ने किसे दिया वोट?

हरियाणा में एक तरफ 25% जाट और 7% मुस्लिम थे और दूसरी तरफ 8% पंजाबी, 21% दलित और 39% OBC थे और बीजेपी ने इन्हीं 68% गैर जाट वोटर्स को साधने की कोशिश की, जिसके कारण उसे हरियाणा में पूर्ण बहुमत मिला. जाटलैंड की जिन 36 में से 16 सीटों पर बीजेपी जीती, अगर उन सीटों पर कांग्रेस जाट समुदाय के साथ गैर जाट वोटर्स को जातियों में बांटने में कामयाब होती तो हरियाणा के ये नतीजे बदल भी सकते थे और बीजेपी इन चुनावों में हार सकती थी.

लेकिन बीजेपी ने बंटेंगे तो कटेंगे की रणनीति से गैर जाट वोटर्स को एकजुट कर लिया और गैर जाट वोटर्स में दलितों और पिछड़ों के वोट से वो पूर्ण बहुमत से तीसरी बार सत्ता में आ गई और हाल ही में जब हरियाणा में चुनाव चल रहे थे, तब प्रधानमंत्री मोदी ने भी एक रैली में कहा था कि अगर हिन्दू बंटेंगे तो बांटने वाले महफिल सजाएंगे.

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