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वोटर लिस्ट में बदलाव का क्या है प्रोसेस, जिस पर दिल्ली में चुनाव आयोग और AAP के बीच मचा है सियासी बवाल

आम आदमी पार्टी ने पिछले दिनों एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके आरोप लगाया था कि बीजेपी नेताओं की शह पर निर्वाचन आयोग वोटर लिस्ट से छेड़छाड़ कर रहा है और साजिश के तहत लोगों के नाम काटे जा रहे हैं. बीजेपी ने भी आप पर आरोप लगाया था कि हिंदू प्रभाव वाले इलाकों में आप मुस्लिम वोटर्स का नाम जोड़ रही हैं.

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सांकेतिक फोटो
सांकेतिक फोटो

दिल्ली में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर अब गहमागहमी शुरू हो गई है. सभी दल एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं और नए-नए दांव खेल रहे हैं. वोटर आईडी में छेड़छाड़ को लेकर भी सियासी बहस तेज हो गई है. आम आदमी पार्टी और बीजेपी दोनों ही एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं कि वोटर लिस्ट से नामों को हटाया जा रहा है और इसमें नए नाम जोड़े जा रहे हैं. लेकिन ताजा विवाद के बीच ये जानना जरूरी है कि आखिर वोटर लिस्ट में बदलाव का प्रोसेस क्या होता है?

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क्या होती है वोटर लिस्ट से नाम काटने की प्रक्रिया?

इस मुद्दे पर दिल्ली निर्वाचन कार्यालय ने सफाई दी है और बताया कि मतदाता सूची में नाम हटाने की प्रक्रिया क्या होती है. यह बताया गया है कि अगर कोई मतदाता स्थायी रूप से स्थानांतरित हो चुका है या उसकी मृत्यु हो चुकी है, तो संबंधित विधानसभा क्षेत्र का कोई भी मतदाता फॉर्म-7 दाखिल कर सकता है और ऐसी प्रविष्टियों पर आपत्ति लगा सकता है. 

फॉर्म-7 है जरूरी दस्तावेज

फॉर्म-7 दाखिल करने के बाद, आपत्ति करने वाले और जिस व्यक्ति के नाम पर आपत्ति है, दोनों को स्पीड पोस्ट के जरिए नोटिस जारी किए जाते हैं, सिवाय पंजीकृत मृत्यु मामलों के. अगर मतदाता उस नोटिस का कोई जवाब नहीं देता है तो उसका नाम मतदाता सूची से हटा दिया जाता है.

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बिना नाम कटवाए भी बदला जा सकता है पता

अगर किसी भी मौजूदा मतदाता के विवरण में किसी तरह का संशोधन करना है, जैसे कि निवास स्थान का स्थानांतरण, मौजूदा वोटर लिस्ट में प्रविष्टियों का सुधार, बिना सुधार के रिप्लेसमेंट EPIC जारी करना या दिव्यांगता के रूप में चिह्नित करना, तो फॉर्म-8 के साथ सहायक दस्तावेज जमा किए जा सकते हैं.

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दो क्षेत्रों में नहीं हो सकता है नाम

इसके अलावा, यह भी बताया गया है कि कोई भी मतदाता एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्र में या किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में एक से अधिक बार नाम नहीं रख सकता है. यह जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 17 और 18 के तहत एक दंडनीय अपराध है. अगर किसी मतदाता के विभिन्न स्थानों पर एकाधिक प्रविष्टियां हैं या एकाधिक वोटर आईडी कार्ड हैं, तो उसे ऐसी सभी प्रविष्टियों के लिए फॉर्म-7 में आवेदन करना होगा.

इस स्पष्टीकरण से यह साफ हो गया है कि नाम हटाने की एक तय प्रक्रिया है. जिसमें अलग अलग स्तर पर पूरी तरह से निर्वाचन आयोग की नज़र होती है और ये उन्हीं के निर्देशों के तहत की जाती है.

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आप ने क्या आरोप लगाया

दरअसल, आम आदमी पार्टी ने पिछले दिनों एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके आरोप लगाया था कि बीजेपी नेताओं की शह पर निर्वाचन आयोग वोटर लिस्ट से छेड़छाड़ कर रहा है और साजिश के तहत लोगों के नाम काटे जा रहे हैं. बीजेपी ने भी आप पर आरोप लगाया था कि हिंदू प्रभाव वाले इलाकों में आप मुस्लिम वोटर्स का नाम जोड़ रही हैं. रविवार को आप सांसद संजय सिंह ने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा था कि बीजेपी उनकी पत्नी का नाम काटने के लिए आवेदन दे रही है. 

इसपर बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने कहा, '2024 लोकसभा चुनाव में AAP सांसद संजय सिंह और उनकी पत्नी ने दिल्ली में मतदान किया. अगर शपथपत्र के मुताबिक़ अनीता सिंह यूपी के सुल्तानपुर में पंजीकृत मतदाता हैं, तो उनका दिल्ली में वोट देना अवैध और गैर-कानूनी है.'

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