क्या आपने सोचा है कि दिल्ली के सभी राजनीतिक दल झुग्गी-बस्ती में रहने वाले वोटर्स को लुभाने की कोशिशों में क्यों लगे हुए हैं? आइए आपको इसके पीछे का गणित (DIU के नक्शे से) बताते हैं.
दिल्ली इस समय अपने इतिहास की सबसे कड़ी चुनावी लड़ाई का मंच है, क्योंकि आम आदमी पार्टी (AAP), भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस आगामी विधानसभा चुनावों में एक-एक वोट के लिए जमकर प्रतिस्पर्धा कर रही हैं. राजधानी की सभी 70 सीटों पर कब्जा जमाने के लिए, प्रचार की रणनीतियां अपने चरम पर पहुंच गई हैं. जीत हासिल करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है.
कभी कांग्रेस की रीढ़ हुआ करते थे ये वोटर्स
इस चुनावी प्रतियोगिता में एक अहम आंकड़ा दिल्ली में झुग्गी-बस्तियों में रहने वाले लोगों का है. परंपरागत रूप से ये मतदाता कांग्रेस के समर्थन की रीढ़ थे, क्योंकि वे लंबे समय से श्रमिक वर्ग के बीच सद्भावना रखते थे. हालांकि, हाल के सालों में राजनीतिक परिदृश्य बदल गया है.
AAP की योजनाओं को मिलेगा श्रेय
दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली AAP ने इन समुदायों के बीच एक महत्वपूर्ण आधार बनाने में कामयाबी हासिल कर ली है, जिसका श्रेय काफी हद तक पिछले दशक में लागू की गई उनकी लोकलुभावन नीतियों और सामाजिक कल्याण योजनाओं को जाता है.
बीजेपी भी चाहती है झुग्गी-बस्ती के वोट
महत्वपूर्ण बदलाव को पहचानते हुए BJP जो ऐतिहासिक रूप से इस क्षेत्र में पैठ बनाने के लिए संघर्ष करती रही है, उसने अब झुग्गी के मतदाताओं को अपने अभियान प्रयासों का केंद्र बिंदु बना लिया है. पार्टी समझती है कि इन मतदाताओं का समर्थन हासिल करना चुनावी लहर को अपने पक्ष में बदलने के लिए जरूरी है. नतीजतन, इसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह सहित वरिष्ठ बीजेपी नेताओं की अभूतपूर्व स्तर की भागीदारी को बढ़ावा दिया है, जो इस महत्वपूर्ण समूह को अपने पक्ष में करने के लिए सक्रिय रूप से अभियान चला रहे हैं.
AAP के गढ़ को ध्वस्त करने की कोशिश
भाजपा के प्रयास विभाजन की व्यापक रणनीति का संकेत देते हैं, जिसका उद्देश्य AAP के गढ़ को ध्वस्त करना और वादों और लक्षित पहुंच के माध्यम से समर्थन जुटाना है. इस बीच, कांग्रेस खुद को चुनौतीपूर्ण स्थिति में पाती है, जो अपने प्रतिद्वंद्वियों की भारी मौजूदगी के बीच अपना खोया हुआ प्रभाव वापस पाने की कोशिश कर रही है. दिल्ली में कितनी सीटें झुग्गी मतदाताओं से प्रभावित हो रही हैं.