दिल्ली में होने वाले चुनाव से ऐन पहले मोदी सरकार ने मिडिल क्लास को बड़ी राहत दी है. बजट 2025 को पेश करते हुए वित्त मंत्री Nirmala Sitharaman ने सालाना 12 लाख रुपये तक की इनकम को टैक्स फ्री करने की घोषणा की. इसके अलावा 75,000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन का भी लाभ मिलेगा. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या इस इनकम टैक्स राहत का असर दिल्ली के आगामी विधानसभा चुनावों पर पड़ेगा? और क्या यह चुनावी समीकरण बदलने की ताकत रखता है?
दरअसल, दिल्ली की राजनीति में मिडिल क्लास की भूमिका काफी अहम रही है. यहां की कुल जनसंख्या में एक बड़ा हिस्सा मध्यम वर्ग से आता है, जो करदाता होने के साथ-साथ राजनीतिक रूप से जागरूक भी है. आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच सीधी टक्कर वाले इस राज्य में मिडिल क्लास के मूड का चुनावी नतीजों पर सीधा असर पड़ता है.
दिल्ली के वोटर्स मुख्य रूप से तीन वर्गों में बंटे हैं:
मध्यम वर्ग: जो करदाताओं का बड़ा हिस्सा है और टैक्स छूट की घोषणाओं से प्रभावित हो सकता है.
निम्न वर्ग: जो सरकारी योजनाओं और मुफ्त सुविधाओं पर निर्भर करता है.
उच्च वर्ग: जिसका झुकाव देश की बड़ी पार्टियों BJP या कांग्रेस की ओर अधिक देखा गया है.
दिल्ली चुनाव पर कितना असर?
ढाई करोड़ की आबादी वाली दिल्ली में 15 लाख लोग ऐसे हैं, जो सरकार को इनकम टैक्स देते हैं. अनुमान है कि इन 15 लाख में से 6 लाख लोगों को अब से सरकार को इनकम टैक्स नहीं देना होगा. अगर हम ये मान लें कि इन 6 लाख टैक्सपेयर्स के परिवारों में कम से कम 4 सदस्य भी होंगे तो इससे दिल्ली में 24 लाख लोग सीधे-सीधे इस छूट से लाभांवित होंगे. और इस आधार पर आप कह सकते हैं कि इस फैसले का दिल्ली के चुनावों पर बड़ा असर हो सकता है.
हालांकि, बीजेपी का कहना है कि अगर सरकार को चुनाव ही जीतना होता तो ये ऐलान वो वर्ष 2024 के उस बजट में करती, जो लोकसभा चुनावों से पहले पेश हुआ था. सरकार के इस ऐलान का असली मकसद है- मिडिल क्लास परिवारों की खर्च करने की क्षमता को बढ़ाना. जब हर महीने एक लाख रुपये तक कमाने वाले व्यक्ति से सरकार Income Tax नहीं लेगी तो उस व्यक्ति के हाथ में ज्यादा पैसा बचेगा. और जब उसके पास पहले से ज्यादा पैसा होगा तो वो खर्च भी ज्यादा करेगा. इससे मिडिल क्लास परिवारों की खर्च करने की क्षमता बढ़ेगी और देश की अर्थव्यवस्था में नई तेज़ी आएगी.
-दिल्ली में 4 लाख सरकारी कर्मचारी हैं, जिन पर इसका सीधा असर होगा और उन्हें फायदा होगा.
-इससे 10 लाख सरकारी कर्मचारियों की वोट पर असर हो सकता है.
-70 लाख महिला आबादी वोट पर भी असर पड़ सकता है.
-टैक्स छूट से दिल्ली की 67 फीसदी आबादी पर असर हो सकता है.
दिल्ली चुनाव पर क्या कहते हैं पार्टी नेता और एक्सपर्ट्स-
दिल्ली के चुनाव पर बजट और टैक्स स्लैब में बदलाव का कितना असर पड़ेगा? आजतक के खास शो 'दंगल' में बीजेपी प्रवक्ता शिवम त्यागी ने कहा कि 2014 में जब भारतीय जनता पार्टी ने सरकार बनाई तो इस देश में आजादी के 65 साल बाद भी हम ढाई लाख रुपये के बाद हर इनकम पर टैक्स देते थे और ढाई से पांच लाख रुपये के स्लैब में हम दस प्रतिशत टैक्स देते थे. आज हम 12 लाख रुपए तक कोई टैक्स नहीं दे रहे हैं. आजादी के बाद इतना बड़ा आमूलचूल परिवर्तन मिडिल क्लास के लिए कोई भी प्रधानमंत्री रहा हो, या कोई भी फाइनेंस मिनिस्टर रहा हो, उसने नहीं किया. ये चुनाव के लिए नहीं है, ये देश के लिए है. देश की मिडिल क्लास के लिए है और दिल्ली देश का हिस्सा है.
वहीं कांग्रेस प्रवक्ता अनिल यादव ने कहा कि दिल्ली की जनता घमंड पसंद नहीं करती है. यही जनता है जो आम आदमी पार्टी को लाई और यही जनता है जिसने बीजेपी को नहीं आने दिया. यही जनता है आने वाले चुनाव में कांग्रेस को लाने वाली है. एक जमाना होता था जब बजट आता था तो हर तबके में एक एक उत्साह होता था कि हमें क्या मिलेगा, इस बार नौजवानों के लिए क्या आएगा, महिलाओं के लिए क्या आएगा, किसानों के लिए क्या होगा. लेकिन जब से ये भाजपा की सरकार बनी है बजट का नाम सुनते ही मिडिल क्लास तो थरथर कांपता है कि अब पता नहीं क्या हमारी जेब से निकाला जाए. इनकी कथनी और करनी में बहुत बड़ा अंतर है.
दिल्ली में करीब 45 फीसदी वोटर्स मिडिल क्लास से आता है. क्या इस बजट से बीजेपी ने इन वोटर्स को प्रभावित किया है? इसके जवाब में पॉलिटिकल एक्सपर्ट आशुतोष ने कहा कि जब हम मिडिल क्लास के बारे में बातचीत करते हैं तो उसमें कई कैटेगरीज हैं. जैसे दिल्ली में जो अपर मिडल क्लास है, वो आम आदमी पार्टी के आंदोलन के साथ जुड़ा था और उसने आम आदमी पार्टी को सपोर्ट भी खूब किया था, लेकिन आज वो AAP से नाराज है. लेकिन उस अपर मिडल क्लास के नीचे एक मिडल मिडल क्लास है और एक लॉवर मिडल क्लास है. जब मिडल क्लास की परिभाषा करते हैं तो इसमें पांच लाख से लेकर 30 लाख तक का स्लैब रखते हैं. ऐसे में लॉवर मिडिल क्लास और मिडल मिडल क्लास और उसके नीचे का मार्जिनलाइज्ड क्लास, जो झोपड़ियों में रहता है, आज भी आम आदमी पार्टी के साथ हैं. टैक्स स्लैब में बदलाव का कोई असर ना तो मिडल मिडल क्लास पर पड़ रहा है, ना लॉवर मिडिल क्लास पर और ना झोपड़ी में रहने वालों पर. उनको लगता है कि बिजली-पानी माफ है, हमारा एजुकेशन सिस्टम ठीक हो गया है.
आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता अनुराग ढांडा ने कहा कि सात चीजें अरविंद केजरीवाल ने मिडिल क्लास के लिए मांगी थी. इनमें से एक मांग पर काम हुआ क्योंकि इनको प्रोपेगंडा करना था. इसमें भी पेच डाल दिया कि 12 लाख 50 हजार अगर आप कमाते हो तो फिर वापस चार लाख पर पहुंच जाओगे और सारे स्लैब लगेंगे. हमने कहा था कि एजुकेशन बजट दो पर्सेंट रखते हो, उसको बढ़ाकर 10 कर दो, हेल्थ बजट दो पर्सेंट रखते हो, उसको 10 कर दो. इनमें क्या नाजायज मांग थी. मिडिल क्लास के ही ये सबसे ज्यादा काम आता है. उन्हीं के बच्चों के काम आता है. बुजुर्गों के काम आते है. बिहार समेत अन्य राज्यों के लिए बजट में ऐलान कर दिया, लेकिन दिल्ली के लोगों की इनकी नजरों में कोई इज्जत नहीं है. दिल्ली के लिए बजट में कुछ नहीं है. मोदी जी 4 करोड़ घर देश में बनाने को कहते हैं लेकिन इनमें से सिर्फ 4700 दिल्ली में बनाए. चुनाव के दौरान ही दिल्ली के लिए कुछ नहीं कर रहे हैं, बाद में क्या ही करेंगे.
मिडिल क्लास बदलेगा दिल्ली चुनाव का मूड?
एक्सपर्ट्स की मानें तो अगर मिडिल क्लास को टैक्स राहत पर्याप्त लगती है, तो BJP को इसका सीधा फायदा मिल सकता है. हालांकि, दिल्ली में AAP की मजबूत पकड़ है, जो मुफ्त बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की वजह से निम्न, लोवर मिडिल और मिडिल मिडिल वर्ग में अधिक लोकप्रिय है. भले ही इनकम टैक्स राहत से मिडिल क्लास को राहत मिली है, लेकिन दिल्ली में चुनावी मुद्दे सिर्फ आर्थिक नहीं होते. शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रदूषण और मूलभूत सुविधाएं भी बड़े कारक होते हैं. इसके अलावा, दिल्ली में स्थानीय मुद्दे जैसे यमुना की सफाई, महिलाओं की सुरक्षा और ट्रैफिक जैसी समस्याएं भी चुनावी फैसलों को प्रभावित करेंगी.