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बंगाल-असमः दूसरे दौर के चुनाव में छाए रहे ये मुद्दे, नंदीग्राम सीट पर ममता का फोकस

बंगाल के दूसरे चरण में सबसे ज्यादा चुनाव प्रचार का जोर नंदीग्राम सीट पर रहा, जहां ममता बनर्जी और शुभेंदु अधिकारी आमने-सामने हैं. बीजेपी ने यहां ममता को घेरने के लिए चुनाव प्रचार के आखिरी दिन अमित शाह और मिथुन चक्रवती ने उतरतर रोड शो किया.

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पीएम नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी, ममता बनर्जी
पीएम नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी, ममता बनर्जी
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बंगाल के दूसरे चरण की 30 सीटों पर 171 प्रत्याशी
  • असम के दूसरे दौर की 39 सीटों पर गुरुवार को वोटिंग
  • बंगाल के दूसरे चरण में भी राहुल-प्रियंका नहीं उतरे

पश्चिम बंगाल और असम विधानसभा चुनाव के सबसे अहम माने जा रहे दूसरे चरण के लिए मंगलवार शाम प्रचार का शोर थम गया है. बंगाल में पहले चरण की तरह ही दूसरे दौर में भी तीस सीट पर चुनाव होंगे तो असम में दूसरे चरण में 39 सीटों पर गुरुवार को वोट डाले डाले जाएंगे. दोनों ही राज्यों में सत्तापक्ष और विपक्ष ने इस चरण में बढ़त बनाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है और दोनों ही ओर से आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला चला. दूसरे चरण में बंगाल को मिनी पकिस्तान, जिहादियों का अड्डा बनाने जैसे हमले बीजेपी की ओर से ममता बनर्जी पर किए गए तो टीएमसी ने भी करारा जवाब दिया. वहीं, असम में सीएए और घुसपैठियों का मुद्दा छाया रहा. 

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बंगाल के दूसरे चरण में सबसे ज्यादा चुनाव प्रचार का जोर नंदीग्राम सीट पर रहा, जहां ममता बनर्जी और शुभेंदु अधिकारी आमने-सामने हैं. बीजेपी ने यहां ममता को घेरने के लिए चुनाव प्रचार के आखिरी दिन अमित शाह और मिथुन चक्रवती ने उतरतर रोड शो किया. वहीं, ममता दूसरे चरण की 30 में 29 सीटें छोड़कर नंदीग्राम में आखिरी तीन दिन तक डटी रहीं और एक-एक घर का दरवाजा खटखटाया. जयश्रीराम के नारे और शंखनाद के बीच नंदीग्राम में चुनाव प्रचार के आखिरी दिन अमित शाह का एक किलोमीटर का रोड शो शुभेंदु अधिकारी का रास्ता कितना आसान करेगा, ये काफी महत्वपूर्ण होगा? 

कांग्रेस के दिग्गज नेता सहित राहुल गांधी, प्रियंका गांधी बंगाल में इस चरण में नहीं उतरे जबकि असम के लिए राहुल ने एक वीडियो जारी कर राज्य के लोगों का आह्वान किया कि वे प्रदेश की पहचान, इतिहास एवं संस्कृति की रक्षा के लिए विपक्षी 'महाजोत' (महागठबंधन) को जीत दिलाएं. असम के पहले चरण में नजर न आने वाले बीजेपी नेता हेमंत बिस्वा सरमा दूसरे दौर के प्रचार में अपने पुराने आक्रमक अंदाज में नजर आए और एआईयूडीएफ प्रमुख बदरुद्दीन अजमल पर निशाना साधते दिखे. 

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नंदीग्राम में हुआ जमकर प्रचार

बंगाल में पहले चरण की तरह दूसरे चरण में भी 30 सीटों के लिए मतदान होना है, जिनमें नंदीग्राम सीट पर जमकर प्रचार देखने को मिला. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपनी भवानीपुर की परंपरागत सीट को छोड़कर चुनाव मैदान में उतरी है. भाजपा ने भी यहां पर केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को शुरू से ही मोर्चे पर लगाया हुआ है और उन्होंने स्थानीय नेता और कार्यकर्ताओं के साथ एक-एक बूथ की रणनीति तैयार की है तो टीएमसी ने भी इस सीट पर कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. ममता बनर्जी ने चुनाव प्रचार के अंतिम दौर में सारी सीटें छोड़कर सिर्फ नंदीग्राम सीट पर अपना फोकस रखा और उन्होंने व्हीलचेयर पर बैठकर आठ-आठ किलोमीटर के रोड शो किए. तीन दिन में कम से कम 8 जनसभाएं कीं.

बीजेपी ने झोंकी ताकत

बीजेपी की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत तमाम नेताओं ने चुनाव प्रचार कर इस चरण में पूरी ताकत झोंकी है. मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने के लिए भाजपा ने अपनी पूरी फौज बंगाल चुनाव प्रचार में उतारी. नंदीग्राम में बीजेपी ने जयश्रीराम के नारों पर हिंदुत्व की राजनीति का और ममता बनर्जी को हिंदू विरोधी साबित करने की रणनीति के तौर पर जमकर इस्तेमाल किया. यही वजह रही कि चुनाव प्रचार के आखिरी दिन ममता बनर्जी के कैंपेन के दौरान नंदीग्राम में कम से कम दो जगहों पर जयश्रीराम के नारे लगे. शुभेंदु अधिकारी का पूरा चुनाव प्रचार ही जयश्रीराम के नारे पर चला है. 

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हालांकि, शुरुआत में शुभेंदु अधिकारी और बीजेपी के कैंपेन में ममता बनर्जी पर तोलाबाज़ी, चिट फंड और कट मनी पर हमले हो रहे थे, लेकिन ये मुद्दा अब पीछे छूट गया. शुभेंदु अधिकारी के कैंपेन में अब बार-बार ममता बनर्जी के लिए फूफी, खाला, बेगम, बंगाल के मिनी पाकिस्तान बन जाने और नंदीग्राम को जेहादियों से बचाने जैसी बातें आखिरी के सप्ताह में सुनाई दी. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह हिंदू-मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण है. ममता के मुस्लिम सपोर्ट को ही बीजेपी ने अपना हथियार बनाया और उन्हें हिंदू विरोधी साबित करने में जोर लगाती नजर आईं.

हिंदू कार्ड की काट 

हालांकि, नंदीग्राम में पहले दिन से ही ममता बनर्जी ने कह दिया था कि बीजेपी का ये कार्ड नंदीग्राम में नहीं चलेगा. ममता बनर्जी ने वोटों के ध्रुवीकरण के खतरे को समझा और इसीलिए वो नंदीग्राम में पहले दिन से ही मंदिरों में जाने लगे थी. खुद को ब्राह्मण बताने लगी और चंडीपाठ करने लगीं थीं. इतना ही नहीं, उन्होंने नंदीग्राम सीट पर जिस तरह से इमोशनल कार्ड खेला है और क्षेत्र की बदहाली के लिए शुभेंदु अधिकारी को जिम्मेदार ठहराया.

पश्चिम बंगाल में इस चरण में जिन 30 सीटों पर मतदान होना है उनमें मतुआ समुदाय के वोट काफी अहम माने जा रहे हैं. इस चरण की लगभग आधी से ज्यादा सीटों पर वह निर्णायक भूमिका में है. भाजपा ने इस समुदाय को अपने साथ लाने के लिए पूरी ताकत झोंकी है. इतना नहीं, बीजेपी ने इस चरण में सीएए को एक बड़ा चुनावी मुद्दा बंगाल में बनाया है, जिसकी मांग लंबे समय से मतुआ समुदाय के लोग कर रहे हैं. 

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बांग्लादेश से साधे समीकरण

बंगाल के दूसरे चरण की सीटों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही बंगाल की रणभूमि में उतरकर प्रचार करते न दिखे हों, लेकिन बांग्लादेश के अपने दौरे से राजनीतिक समीकरण साधने की कवायद करते नजर आए हैं. पीएम मोदी ने बांग्लादेश में मतुआ समुदाय के लोगों से मुलाकात की और मतुआ समुदाय के धार्मिक स्थल ऊराकुंडी का भी दौरा किया. इस दौरान मतुआ समुदाय से आने वाले बीजेपी सांसद शांतनु ठाकुर भी मौजूद थे. यही वजह रही कि टीएमसी ने पीएम मोदी के दौरे के लेकर चुनाव आयोग में शिकायत की है. 

वहीं, असम विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में 39 सीटों पर मंगलवार को प्रचार शोर थम गया है और अब गुरुवार को यहां पर वोट डाले जाएंगे. बीजेपी ने असम में अपनी पूरी ताकत झोंकी है क्योंकि उसे विपक्षी गठबंधन से ज्यादा खतरा महसूस हो रहा है. विपक्ष के पास मजबूत नेता भले ही ना हो लेकिन विभिन्न दलों की एकजुटता भाजपा के लिए दिक्कत पैदा कर सकती है. ऐसे में भाजपा ने वहां पर विपक्षी गठबंधन से पैदा होने वाले ध्रुवीकरण को भुनाने की कोशिश करती नजर आई.

असम में छाया रहा CAA 

असम के दूसरे चरण के चुनाव प्रचार अभियान में भी CAA का मुद्दा सबसे अहम रहा और भाजपा ने इस मुद्दे पर पहले चरण की तरह चुप्पी साध रखी थी, लेकिन इस दौरान पार्टी ने बराक घाटी में इस मुद्दे को उठाया जहां हिंदू बंगाली आबादी की खासी संख्या है और उनमें से कई की जड़ें बांग्लादेश में हैं. भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सीएए का जिक्र किया था और कहा था कि इसे समय पर लागू किया जाएगा. 

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केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा नेता अमित शाह ने पथरकंडी और सिलचर में अपनी चुनावी रैलियों में पहली बार इस विवादास्पद कानून का जिक्र करते हुए आश्वासन दिया था कि शरणार्थियों को नागरिकता का अधिकार दिया जाएगा तथा भाजपा घुसपैठियों को राज्य में नहीं आने देगी. बीजेपी की ओर से असम के दूसरे चरण में हेमंत बिस्वा सरमा ने कमान संभाल रखी थी और वो अपने प्रचार अभियान में विशेष रूप से एआईयूडीएफ प्रमुख बदरुद्दीन अजमल पर हमला बोलते नजर आए. 

बीजेपी ने बदरुद्दीन अजमल पर आरोप लगाया कि उन्होंने अवैध घुसपैठ को बढ़ावा दिया जिससें असम में कई समस्याएं पैदा हुईं. पार्टी ने एआईयूडीएफ के साथ गठबंधन करने को लेकर कांग्रेस पर भी निशाना साधा. दूसरे चरण के प्रचार में भाजपा नेताओं में केंद्रीय मंत्रियों अमित शाह, नितिन गडकरी, नरेंद्र तोमर, जितेंद्र सिंह, मुख्तार अब्बास नकवी के अलावा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जमकर करारे हमले किए.  

वहीं, कांग्रेस नेता राहुल गांधी मंगलवार को खराब मौसम होने के कारण चुनाव प्रचार के लिए नहीं आ सके, हालांकि उन्होंने एक वीडियो जारी कर राज्य के लोगों का आह्वान किया कि वे प्रदेश की पहचान, इतिहास एवं संस्कृति की रक्षा के लिएविपक्षी 'महाजोत' (महागठबंधन) को जीत दिलाएं. कांग्रेस के लिए यह चरण काफी अहम माना जा रहा है, क्योंकि मुस्लिम वोटों का सियासी आधार इसी इलाके में है. कांग्रेस ने इसीलिए दूसरे चरण के प्रचार की रणनीति बदली है और अब मुस्लिम इलाकों की सीटों पर उसी रणनीति के तहत प्लान बनाकर प्रचार करती नजर आई. 

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  • नंदीग्राम में कौन भारी पड़ेगा?

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