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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने 200 से अधिक सीटें जीतकर सत्ता में वापसी कर ली है. विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के व्यूह को भेदकर जीत की हैट्रिक लगाने वाली ममता की जीत के क्या मायने हैं, विशेषज्ञों ने आजतक से बात करते हुए उन पर भी चर्चा की.
ममता की विश्वसनीयता बरकरार
पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की पार्टी 292 में से 210 से अधिक सीटें जीतती नजर आ रही है. टीएमसी को पिछले यानी 2016 के चुनाव से भी ज्यादा बड़ी जीत मिली है. बंगाल में ममता बनर्जी की विश्वसनीयता बरकरार है. राजनीति के जानकारों ने आजतक पर कहा कि भले ही कोई भी एग्जिट पोल किसी भी दल को चाहे जितनी सीटें दे रहा था, किसी ने भी ममता की लोकप्रियता को कम नहीं बताया. इंडिया टुडे के कंसल्टिंग एडिटर प्रभु चावला ने कहा कि तीसरे टर्म में जो एंटी इनकम्बेंसी होनी चाहिए थी, वो नहीं है.
बंगाली बनाम बाहरी का मुद्दा असरदार
बंगाल के चुनाव में इसबार बंगाली बनाम बाहरी का मुद्दा भी असरदार रहा. टीएमसी ने पीएम मोदी और बीजेपी के अन्य स्टार प्रचारकों को टूरिस्ट गैंग बताया. टीएमसी ने इस चुनाव को बंगाल की बेटी बनाम अन्य बनाने की पूरी कोशिश की जो सफल रही.
ममता का सहानुभूति कार्ड चल गया
ममता बनर्जी को जब नंदीग्राम में चोट लगी, वो पैर में प्लास्टर लगवा व्हीलचेयर पर प्रचार करने निकल पड़ीं. सीएम ममता बनर्जी ने व्हीलचेयर पर कई जनसभाओं को संबोधित किया और रोड शो किया. ममता बनर्जी का सहानुभूति कार्ड चल गया.
बीजेपी का आक्रामक प्रचार बेअसर रहा
बीजेपी ने चुनाव में आक्रामक प्रचार किया. बीजेपी के स्टार प्रचारकों ने सीएम ममता बनर्जी पर हमला बोला जो बेअसर साबित हुआ. बीजेपी के नेताओं के हमलों का भी ममता बनर्जी को लाभ हुआ. टीएमसी की प्रचंड जीत के मायने ये भी हैं कि बीजेपी का आक्रामक प्रचार बेअसर रहा.
ओवैसी-पीरजादा फैक्टर पूरी तरह फेल रहा
असदुद्दीन ओवैसी और फुरफुरा शरीफ दरगाह के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी की पार्टी ने भी चुनाव में ताल ठोकी थी. बंगाल के चुनाव में इन दोनों के चुनाव मैदान में उतरने से टीएमसी को नुकसान पहुंचने के आसार जताए जा रहे थे. ममता बनर्जी की पार्टी की जीत से यह साफ हो गया है कि बंगाल में ओवैसी-पीरजादा फैक्टर पूरी तरह फेल रहा.
'सॉफ्ट हिंदुत्व' से ममता को जबरदस्त फायदा
ममता बनर्जी पर तुष्टिकरण के आरोप लगाते हुए बीजेपी ने जमकर हमला बोला. तुष्टिकरण, जय श्रीराम के नारे को लेकर पनप रही नाराजगी को देखकर ममता बनर्जी ने सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पकड़ ली.
ममता ने मंच से चंडी पाठ भी किया और नामांकन से पूर्व मंदिर-मंदिर भी गईं. टीएमसी की जीत से साफ है कि ममता को इसका लाभ मिला.