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बंगाल फतह करने के लिए बीजेपी का मास्टर प्लान, इस तरह रचा व्यूह

बीजेपी ने बंगाल फतह करने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी है. पार्टी ने अपनी चुनावी रणनीति के तहत लगभग 60 सांसदों को अलग-अलग जिलों में दो से तीन विधानसभाओं की जिम्मेदारी दी हुई है. ये सांसद ज्यादातर बिहार, झारखंड, ओडिशा, राजस्थान, दिल्ली, यूपी और हरियाणा के हैं.

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बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (फोटो-PTI)
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (फोटो-PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बीजेपी ने 60 मंत्रियों और सांसदों को दी जिम्मेदारी
  • ममता से बंगाल की सत्ता छीनने की पूरी तैयारी की

पश्चिम बंगाल में दूसरे चरण में 31 सीटों पर कल (1 अप्रैल को) मतदान होना है. गृहमंत्री अमित शाह ने बंगाल में पहले चरण में 30 सीटों पर मतदान के बाद रविवार को दावा किया कि बीजेपी 30 सीटों में से 26 सीटों पर जीत रही है.

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बीजेपी ने बंगाल फतह करने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी है. पार्टी ने अपनी चुनावी रणनीति के तहत लगभग 60 सांसदों को अलग-अलग जिलों में दो से तीन विधानसभाओं की जिम्मेदारी दी हुई है. ये सांसद ज्यादातर बिहार, झारखंड, ओडिशा, राजस्थान, दिल्ली, यूपी और हरियाणा के हैं.

बंगाल को 8 जोन में बांटा

चुनाव से तीन महीने पहले ही बीजेपी ने बंगाल को 8 जोन में बांटा था और केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, गजेंद्र सिंह शेखावत, प्रह्लाद पटेल, मनसुख मंडाविया, संजीव बालियान, नित्यानन्द राय, यूपी के उपमुख्यमंत्री केशवप्रसाद मौर्य और मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा को एक-एक जोन की जिम्मेदारी दी थी. एक जोन में चार से पांच लोकसभा सीट थी.

पार्टी नेतृत्व ने छह महीने पहले तय किया था कि अमित शाह की अगुवाई में बंगाल चुनाव लड़ा जाएगा. इसलिए अमित शाह ने चुनाव की घोषणा से पहले लगभग 15 दौरे बंगाल के अलग-अलग क्षेत्रों में चुनावी रणनीति के तहत किए हैं. कई राज्यों के मंत्रियों और विधायकों को भी विधानसभा क्षेत्रों में जिम्मेदारी दी गई है.

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बंगाल की सबसे हॉट सीट नंदीग्राम जहां से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ बीजेपी के उम्मीदवार शुभेंदु अधिकारी चुनाव मैदान में हैं. नंदीग्राम से शुभेंदु अधिकारी को जिताने की जिम्मेदारी पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के कंधों पर है.

बूथ लेवल की बैठक

ये सभी सांसद अलग-अलग विधानसभाओं में मंडल स्तर पर बूथ लेवल की बैठक कर रहे हैं. सभी सांसद बैठक में इस बात पर जोर दे रहे हैं कि सोशल मीडिया के साथ साथ डोर टू डोर प्रचार पर फोकस करें. केंद्र सरकार की गरीब कल्याण योजनाओं के बारे में बताएं और ये भी बताएं कि बंगाल में ममता सरकार आप तक इन योजनाओं का फायदा पहुंचाने में रुकावट डाल रही है. कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया गया है कि किसी विधानसभा में किसी भी बड़े नेता की सभा से पहले घर-घर जाकर लोगों से मिलें और मतदान स्लिप देते हुए उनसे पार्टी को वोट देने के लिए अपील करें.

वोटर्स को मतदान केंद्र तक लाने की जिम्मेदारी

मतदान वाले दिन मतदाता सूची के अनुसार सभी वोटरों को समय से मतदान केंद्र तक लाने की जिम्मेदारी बूथ कार्यकर्ताओं की कोऑर्डिनेशन टोली की है. असम चुनाव में वहां के सांसद, मंत्री और विधायकों के साथ अन्य राज्यों के सांसद, मंत्री और विधायक संगठन के कार्यों में लगे हुए हैं. वे भी 8 अप्रैल से बंगाल के अलग-अलग क्षेत्रों में संगठन के कार्यों में लग जाएंगे.

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सभी सांसद नाराज नेताओं और कार्यकर्ताओं से मिलकर उनकी शिकायतों और समस्याओं को सुनकर नाराजगी को भी दूर करने का काम कर रहे हैं. सांसद, मंत्री और विधायक अपना-अपना फीडबैक पार्टी ऑफिस में कोऑर्डिनेशन टीम को भेजते हैं. उसके बाद देर रात पार्टी नेतृत्व के साथ फीडबैक के आधार पर चर्चा की जाती है. उसके बाद आगे की रणनीति तय की जाती हैं.

बंगाल जीतने का सुनहरा मौका

बीजेपी आलाकमान ये बात बहुत अच्छी तरह से जानता है कि इस बार बंगाल जीतने का सुनहरा मौका है. इस बार पार्टी कोई गलती नहीं करना चाहती जिसका उसे खामियाजा भुगतना पड़े. इसलिए एक-एक सीट पर अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए संगठन की पूरी ताकत झोंक दी गई है, क्योंकि अगर बीजेपी ने बंगाल जीत लिया तो बंगाल से पूरे देश में पार्टी ये संदेश देने में कामयाब होगी कि बीजेपी बंजर जमीन से सोना उगा सकती है.


 

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