भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने रविवार को पश्चिम बंगाल चुनाव के लिए अपना मेनिफेस्टो जारी किया है. बीजेपी ने अपना संकल्प पत्र जारी करते हुए वादों का पिटारा खोल दिया. पश्चिम बंगाल के चुनावी रण में ये बीजेपी के सबसे बड़े और अहम वादों की फेहरिस्त है.
इन वादों में बंगाल में परिवर्तन वाली पॉलिटिक्स का दावा है और झलक भी. लेकिन बंगाल चुनाव के लिए बीजेपी के इस संकल्प पत्र में जो बात सबसे अहम बात है वो है हिंदुत्व वाली राजनीति का रोडमैप, जिसके दम बीजेपी बंगाल के वोटरों को लुभाने की कोशिश कर रही है. बीजेपी ने अपने सोनार बांग्ला संकल्प पत्र से ये साफ जाहिर कर दिया है कि पार्टी बंगाल में विकास और हिंदुत्व वाली राजनीति को साथ लेकर आगे बढ़ेगी.
बीजेपी ने बंगाल के लिए बड़े वादे ही नहीं बल्कि इस संकल्प पत्र के जरिये ममता बनर्जी की एक-एक घोषणाओं का भी जवाब देने की कोशिश की है. बंगाल की चुनावी लहर को भांपकर अब बीजेपी और टीएमसी दोनों पार्टियां अपने अपने वादों का ऐलान कर चुकी हैं. देखना होगा कि किसके वादों पर जनता ज्यादा भरोसा जताती है.
बीजेपी और ममता बनर्जी के चुनावी वादे
17 मार्च को ममता बनर्जी ने 146 पन्नों के अपने मेनिफेस्टो में पिछले 10 साल की उपलब्धियां गिनाईं, कई वादे भी किए. आइए दोनों पार्टियों के वादों डालते हैं एक नजर.
-ममता मां कैटीन चला रही हैं. बीजेपी अन्नपूर्णा कैंटीन चलाएगी
-ममता ने विधवा पेंशन 1000 रुपये देने का वादा किया. बीजेपी ने 3000 रुपये देने का.
-ममता ने ओबीसी में महेश, तामुल तिलि, शाहा को आरक्षण देने का वादा किया
-टीएमसी ने छोटे किसानों को प्रति एकड़ 10 हज़ार रुपये सालाना रकम देने का ऐलान किया है.बीजेपी ने भी किसानों को 10 हजार रुपए देने की बात कही है.
-ममता ने ओबीसी, दलित और आदिवासी परिवार को साल के 12 हज़ार रुपये ट्रांसफर करने का वादा किया है.
-बीजेपी ने दलित और पिछड़े वर्ग की छात्राओं को 3 से 5 हजार तक आर्थिक मदद देने की घोषणा की है.
-ममता कह रही हैं कि छात्रों को क्रेडिट कार्ड देंगी, बीजेपी कह रही है कि छात्राओं की पढ़ाई फ्री होगी.
-ममता का 25 लाख घर बनाने और हर घर-साफ पानी का वादा है
-बीजेपी ने 11 हजार करोड़ का सोनार बांग्ला फंड बनाने का ऐलान किया है
समझना मुश्किल नहीं कि बीजेपी ममता को घेरने के लिए किसी भी मोर्चे पर कोई कसर नहीं छोड़ रही है, फिर चाहे बात धर्म की हो, जाति की हो या फिर विकास के चुनावी वादों की.अब देखना ये होगा कि राजनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील और सक्रिय बंगाल की जनता इन वादों पर कितना भरोसा करती है या फिर उसे सियासी लॉलीपॉप समझती है.