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दिलीप घोष के बिगड़े बोल, कहा- हिंदुओं के अस्तित्व बचाने के लिए हथियार उठाएं युवा

बीजेपी सांसद ने कहा कि हिंदू युवाों को अपना अस्तित्व बचाए रखने के लिए अब हथियार उठाना होगा. अगर कोई कायर ऐसा नहीं करने को कहता है तो उसकी गर्दन दबोच लो. 

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बीजेपी सांसद दिलीप घोष के बिगड़े बोल (फाइल फोटो)
बीजेपी सांसद दिलीप घोष के बिगड़े बोल (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 'हिंदू देवी देवताओं के हाथ में रहे हैं हथियार'
  • 'युवाओं को मां-बहन की रक्षा के लिए उठाने होंगे हथियार'
  • पहले बदला लो फिर जाओ पुलिस स्टेशन- घोष

पश्चिम बंगाल के भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष विवादित बयानों को लेकर सुर्खियों में हैं. एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म के अस्तित्व को बचाए रखने के लिए अब युवाओं को हथियार उठाना होगा. उन्होंने देवी-देवताओं के उदाहरण देते हुए कहा है कि सभी हिंदू देवी देवता के हाथों में हथियार होते हैं. अगर कोई अहिंसा की बात करता है तो उसे पकड़ो और चांटे मारो. अगर कोई हमला करता है तो पुलिस स्टेशन जाने से पहले उससे बदला लो, उसके बाद ही थाने जाओ. 

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बुधवार को पश्चिम मिदनापुर इलाके में हिंदू जागरण मंच ने एक कार्यक्रम का आयोजन किया था. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष को मुख्य अतिथि बनाया गया था. वहां मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए बीजेपी सांसद ने कहा कि हिंदू युवाों को अपना अस्तित्व बचाए रखने के लिए अब हथियार उठाना होगा. अगर कोई कायर ऐसा नहीं करने को कहता है तो उसकी गर्दन दबोच लो. 

उन्होंने आगे कहा कि हिंदू समाज कभी भी कायर नहीं रहा है. हमने तलवार, त्रिशूल और बंदूक से मुसीबतों का सामना किया है. हमारे धर्म में किसी भी देवता को खाली हाथ नहीं दिखाया गया है. एक दिन यहां भी धर्मनिरपेक्ष राज्य होगा. अगर किसी दिन हिंदू धर्म के लोगों की तादाद कम हो गई तो फिर कोई बोलने नहीं आएगा. अमर्त्य सेन भी धर्मनिरपेक्षता की बात नहीं करेंगे. पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए जाएंगे. इसलिए संगठनों को जुड़कर रहना होगा.

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उन्होंने श्री राम और कृष्ण का उदाहरण देते हुए कहा कि भगवान रामचंद्र बचपन से धनुष उठाते थे और इसी से शैतानों का संहार किया. भगवान कृष्ण ने भी पुतना का संहार किया था, जब वो महज छह दिन के थे. अगर कोई अहिंसा की बात करता है तो उसके कान के नीचे मारो. 

हिंदू युवाओं को अपनी मां-बहन की रक्षा करने के लिए यूनाइटेड होना पड़ेगा. अगर जरूरत पड़े तो हमें हथियार भी उठाना होगा. कानून की नजर में भी यह अपराध नहीं है. हमारी आंखों के सामने मां-बहनों को परेशान किया जा रहा है और हमलोग पुलिस स्टेशन में गुहार लगा रहे हैं. ऐसे मामलों में हमें पहले बदला लेना चाहिए फिर पुलिस स्टेशन जाना चाहिए.   

सजाहन अली की रिपोर्ट. 

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