इंडिया टुडे कॉन्क्लेव (India Today Conclave East 2021) के चौथे संस्करण में आयोजित माइनॉरिटी मैटर्सः वोट फॉर फेथ- एम्पॉवरमेंट ऑर डिविसिव डिस्कोर्स नाम के सेशन में अल्पसंख्यकों, उन्हें लेकर चुनाव की तैयारियों और विभाजन की राजनीति को लेकर तीखी बहस हुई. इस चर्चा में मिजोरम के पूर्व एडवोकेट जरनल और टीएमसी प्रवक्ता बिश्वजीत देब, सीपीआई-एम नेता मोहम्मद सलीम, इंडियन सेक्युलर फ्रंट के नेता पीरजादा अब्बास सिद्दकी, पूर्व सांसद अभिजीत मुखर्जी और त्रिपुरा के पूर्व गर्वनर तथागत रॉय शामिल हुए.
सीपीआई-एम नेता मोहम्मद सलीम ने कहा कि पिछले दो दशकों से विभाजन की राजनीति ने केंद्र और बंगाल में प्रमुख किरदार निभाया है. मुसलमानों को एक तरह से देखना गलत है. आप लुंगी पहनने वालों को ही क्यों खोजते हैं. भाजपा इसलिए बंगाल में फेल हो गई. पिछले एक दशक में ममता बनर्जी ने भी विभाजन की राजनीति खेली है. वो भी मोदी, अमित शाह, आडवाणी वाली स्कूल में पढ़ी हैं. देश में सब कुछ एक होने की बात कही थी. हमारे देश में युवा बेरोजगार हैं और आप मंदिर की बात कर रहे हैं.
सलीम ने कहा कि ममता आडवाणी, मोदी के स्कूल में ही पढ़ी हैं. टीएमसी की शुरूआत भाजपा की मदद से हुई. शुरुआत में 9 साल तक भाजपा के साथ रही. इसके बाद वह खुद विभाजन की राजनीति खेलने लगी. इस बात पर त्रिपुरा के पूर्व गर्वनर तथागत रॉय ने कहा कि भारत में एक ही राष्ट्रीयता है. सलीम साहब ने कई राष्ट्रीयता गिना दी. हमारी राष्ट्रीयता तो भारतीय है. यही दिक्कत है कम्युनिस्ट पार्टी की, ये सभी कम्युनिस्ट पार्टी कहती हैं कि भारत में कई राष्ट्रीयता हैं.
तथागत रॉय ने कहा कि कम्युनिस्ट मानते हैं कि ये हिंदू हैं, मराठी, बंगाली आदि हैं. उनकी पार्टी तो 1942 में विभाजन की राजनीति से शुरू हुई थी. हिंदुत्व कोई एजेंडा नहीं है. ममता बनर्जी तो भाषा के आधार पर लोगों को बांट रही हैं. बंगाली और गैर-बंगाली आधार पर बंटवारा कर रही हैं.