पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में चार चरणों का मतदान हो चुका है. विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार के दौरान सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच बयानों के तीर खूब चले. चुनावी माहौल में घुली खटास के बीच बंगाल की सत्ता पर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की ममता बनर्जी का कब्जा बरकरार रहेगा या भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) कमल खिलाने में सफल रहेगी, इसे लेकर चटखारे लेकर चर्चा हो रही है.
उत्तर बंगाल की राजनीति की में चाय की चर्चा तो हो ही रही है, एक ऐसा उत्पाद भी है जिसका स्वाद देश-विदेश के लोग चटखारे लेकर लेते हैं. वह उत्पाद है अनानास. वैसे तो पश्चिम बंगाल धान के लिए प्रसिद्ध है. दक्षिण बंगाल में भात लोगों का फेवरेट भोजन है. धान के उत्पादन और चावल के उपभोग के लिए पहचाने जाने वाले राज्य में अनानास खूब पसंद किया जाता है. उत्तर बंगाल के दार्जिलिंग और आसपास के जिलों में अनानास की खूब पैदावार होती है.
पहाड़ की रानी के तौर पर प्रसिद्ध दार्जिलिंग को अनानास उत्पादक के तौर पर भी जाना जाता है. उत्तर बंगाल के जिलों में करीब 6 लाख मीट्रिक टन अनानास का हर साल उत्पादन होता है. पाइन एप्पल मर्चेंट्स एसोसिएशन के आंकड़ों की मानें तो अनानास का कारोबार सालाना करीब 650 करोड़ रुपये का है.
अनानास का होता है निर्यात
उत्तर बंगाल के अनानास की देश के अन्य हिस्सों में आपूर्ति होती ही है, यहां से इसका निर्यात भी होता है. अनानास के कारोबार से जुड़े लोगों की मानें तो उत्तर बंगाल से यह फल पड़ोसी नेपाल और बांग्लादेश को बड़ी मात्रा में निर्यात किया जाता है. स्थानीय बाजार में भी अनानास की खूब मांग रहती है. नेपाल के साथ नक्शा विवाद और इसके कारण उत्पन्न हुए थोड़े से तनाव का असर अनानास के निर्यात पर भी पड़ा था और मर्चेंट्स एसोसिएशन ने इस पड़ोसी देश को निर्यात बंद कर दिया था.
सड़कें भी करती हैं तस्दीक
ऐसा कहा जाता है कि किसी शहर या इलाके का मिजाज जानना हो तो वहां की सड़कों की सैर कर लीजिए. उत्तर बंगाल के शहर, कस्बे और इनकी सड़कें- सब इस बात की तस्दीक करते हैं कि धान के राज्य, चाय के बेल्ट में अनानास खूब पसंद किया जाता है. उत्तर बंगाल के प्रमुख व्यावसायिक शहर सिलीगुड़ी की सड़कों पर जगह-जगह अनानास से पटे जूस के ठेले नजर आ जाएंगे तो काला नमक छिड़क कर अनानास का स्वाद लेते लोग भी.
12 महीने होती है अनानास की खेती
अनानास की खेती कई जगह कुछ महीने ही होती है. यानी कई जगह अनानास की एक फसल या दो फसल ही किसान ले पाते हैं, लेकिन बंगाल में इसकी खेती 12 महीने की जाती है. आंकड़ों के मुताबिक उत्तर बंगाल में 20 हजार हेक्टेयर से अधिक भूभाग पर अनानास की खेती की जाती है. पश्चिम बंगाल में अनानास के कुल उत्पादन में अकेले उत्तर बंगाल का योगदान करीब 80 फीसदी है. अनानास की खेती से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से करीब एक लाख लोग जुड़े हुए हैं.
सिलीगुड़ी के विधाननगर में है शोध केंद्र
उत्तर बंगाल के अनानास को पसंद किया जाना वजह है या यहां की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान. कारण जो भी हो, अनानास की खेती को उत्तर बंगाल में गंभीरता से लिया जाता है. किसानों की मांग को देखते हुए बंगाल सरकार ने सिलीगुड़ी के विधाननगर में अनानास विकास और शोध केंद्र बनवाया है. अनानास के व्यापार से जुड़े सुदीप्त सरकार कहते हैं कि अनानास के उत्पादन को और बढ़ावा देने की जरूरत है.
अनानास आधारित प्रोसेसिंग इंडस्ट्री की हो स्थापना
अनानास की खेती से जुड़े लोगों का यह दर्द है कि इसपर आधारित प्रोसेसिंग इंडस्ट्री की स्थापना की जानी चाहिए. वे मानते हैं कि उत्तर बंगाल में विकास के साथ चाय बागानों से जुड़े मसले चुनावों में उठते रहे हैं लेकिन अनानास को लेकर कभी बात नहीं होती. उत्तर बंगाल में अनानास पर आधारित प्रोसेसिंग इंडस्ट्री की स्थापना की जानी चाहिए. यहां की अर्थव्यवस्था में चाय के साथ ही अनानास का भी अच्छा योगदान है.