बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए शिवसेना ने भी कमर कस ली है. ममता के गढ़ में इस बार शिवसेना भी उतरेगी. रविवार को पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता में हुई बैठक में ये फैसला लिया गया. शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने कहा कि हमने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है. हम जल्द कोलकाता पहुंच रहे हैं.
शिवसेना के चुनावी ऐलान के बाद बंगाल का सियासी पारा बढ़ना तय है. एक तरफ भारतीय जनता पार्टी बंगाल में जहां पूरी ताकत के साथ मैदान में है, वहीं AIMIM ने बंगाल में चुनाव लड़ने की पहले ही घोषणा कर चुकी है. अब शिवसेना की एंट्री टीएमसी के लिए नई आफत बनकर आ गई है.
"Shiv Sena has decided to contest the West Bengal Assembly elections", says party leader Sanjay Raut
— ANI (@ANI) January 17, 2021
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बता दें कि ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार का कार्यकाल 30 मई को खत्म होने जा रहा है. 2013 के बंगाल चुनावों में बीजेपी आज की तुलना में एक कमजोर पार्टी हुआ करती थी. लेकिन अब हालात बदले हुए हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में उसके खाते में राज्य की 18 सीटें आईं. बीजेपी ने बंगाल में अपनी जमीन बनाई. इसे कोई नहीं नकार सकता. ऐसे में अब शिवसेना की एंट्री किसे फायदा-नुकसान पहुंचाएगी, ये देखना होगा.
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बंगाल में ओवैसी इफेक्ट?
बंगाल का वो इलाका जो बिहार के सीमांचल और बांग्लादेश बॉर्डर से लगता है वहां का मुसलमान ओवैसी की ओर जा सकता है. अगर ऐसा होता है तो 40 से ज्यादा सीटों पर ओवैसी असर डाल सकते हैं. ऐसा होने पर फायदा भाजपा को ज्यादा होता दिखता है. वहीं, टीएमसी के कई दिग्गज नेताओं ने बीजेपी का दामन थाम लिया है. इसमें सबसे चर्चित नाम शुभेंदु अधिकारी का है.
23 जनवरी को पीएम का बंगाल दौरा
पीएम मोदी 23 जनवरी को ममता के गढ़ में होंगे. नेता जी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर कोलकाता जाएंगे पीएम. प्रधानमंत्री मोदी की कोलकाता की यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब पश्चिम बंगाल में अगले कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. वहीं 23 जनवरी को ही ममता बनर्जी कोलकाता में करीब नौ किलोमीटर लंबी पदयात्रा करने वाली हैं.