जैसे-जैसे पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, बीजेपी और टीएमसी के बीच टकराव हिंसक होता जा रहा है. बीजेपी अगले साल की शुरुआत में होने वाले चुनाव में नंबर टू से नंबर वन पार्टी बनने की कवायद में है. वहीं, ममता बनर्जी के सामने अपनी सत्ता बचाए रखने की चुनौती है. बीजेपी के तरकश में हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के मुद्दे हैं तो जवाब में ममता उसी मां, माटी और मानुष के भरोसे हैं जिसके बल पर उन्होंने राज्य में लेफ्ट का सफाया किया था. ममता अपने इस नारे के जरिए बंगाल अस्मिता का कार्ड खेलना चाहती हैं ताकि बीजेपी के हिंदुत्व और राष्ट्रवाद जैसे हथियारों की धार कुंद की जा सके.
RSS का हिंदुत्व बनाम विवेकानंद के हिंदू
बीजेपी बंगाल में सीएम ममता बनर्जी पर अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण का आरोप लगा रही है. वो ईद पर छुट्टी और राम मंदिर के भूमि पूजन यानी 5 अगस्त को लॉकडाउन को मुद्दा बना रही है. बंगाल में ममता और टीएमसी को जय श्री राम के नारे पर घेर रही है. इसकी काट के लिए ममता स्वामी विवेकानंद के हिंदुत्व की बात कर रही हैं. गुरुवार को उन्होंने कहा, 'मैं आरएसएस को हिंदू धर्म का ठेकेदार नहीं मानती, हम गांधीजी के हत्यारों को फॉलो नहीं करते. हम स्वामी विवेकानंद के हिंदू धर्म का अनुसरण करते हैं.' ममता की तरफ से स्वामी विवेकानंद के हिंदुत्व की बात एक ऐसा दांव है जिसे खारिज करना बीजेपी के लिए भी आसान नहीं होगा. विवेकानंद का उल्लेख हिंदुत्व और बंगाल अस्मिता दोनों मोर्चों पर ममता को बढ़त देता है.
बंगाली बनाम बाहरी
टीएमसी इस चुनाव को 'बंगाली बनाम बाहरी' की लड़ाई का रंग दे रही है. ममता बनर्जी ने खुद भी बीजेपी नेताओं को बाहरी कहकर बंगाल की जनता को आगाह करने की कोशिश की. ममता ने कहा कि बंगाल गुजरात या यूपी नहीं है. बंगाल, बंगाल है. कुछ बाहरी गुंडे यहां आ रहे हैं.
टीएमसी सांसद सौगत राय ने तो खुलकर कहा है कि अगले विधानसभा चुनाव के दौरान विकास के अलावा बंगाली अस्मिता हमारा मुख्य चुनावी मुद्दा होगा. बंगाली अस्मिता केवल बंगालियों के बारे में नहीं है इसमें सभी भूमि पुत्रों के लिए अपील है. इस विचारधारा के जरिए राज्य के लोगों को नियंत्रित करने के लिए बाहर से लाए गए नेताओं को थोपने के बीजेपी के अभियान से मुकाबला करने में मदद मिलेगी. ममता सरकार के मंत्री बसु ने कहा, 'लोगों को फैसला करना है कि क्या वे बाहरियों के हाथ में शासन थमाना चाहते हैं या यहां के भूमिपुत्रों के हाथों में बागडोर देना चाहते हैं. यह ऐसा फैसला है जिसका असर अगली पीढ़ी पर पड़ेगा.
नेताजी की जयंती पर छुट्टी
ममता बनर्जी ने पिछले दिनों सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिन पर देश भर में छुट्टी के लिए पीएम मोदी को पत्र लिखा था. ममता ने पत्र में कहा था कि 23 जनवरी को नेताजी की जयंती प्रत्येक वर्ष पूरे देश में मनाई जाती है. बंगाल सरकार ने इसके लिए छुट्टी कर रखी है, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा अब तक इसकी घोषणा नहीं हुई है. 23 जनवरी, 2022 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस का 125वां जन्म दिवस मनाया जाएगा, इस दिन देश भर में प्रधानमंत्री को छुट्टी की घोषणा करनी चाहिए.
बांग्ला संस्कृति और पहचान
तमिलनाडु के क्षेत्रीय दल, महाराष्ट्र में शिवसेना की तरह ही तृणमूल कांग्रेस भी बांग्ला संस्कृति और पहचान के रक्षक के तौर पर उभरना चाहती है. बोस की जयंती पर छुट्टी के बाद अब ममता बनर्जी ने दक्षिण 24 परगना जिला व विभिन्न क्षेत्रों से जोड़ने वाले सबसे महत्वपूर्ण माझेरहाट ब्रिज का नया नाम 'जय हिंद' ब्रिज कर दिया है. सुभाष चंद्र बोस ने ही 'जय हिंद' का नारा दिया था. ममता बनर्जी ने बीजेपी की राम के नाम पर राजनीति की काट के लिए दुर्गा पूजा को बड़े स्तर से मनाया. उन्होंने बंगाल के तमाम आदिवासी समुदाय से जुड़े त्योहार और उनके महापुरुषों के नाम आयोग बना रखा है.
पश्चिम बंगाल देश के उन चुनिंदा राज्यों में से एक है, जहां स्थानीय संस्कृति, परंपराओं और नायकों से लोगों का भरपूर लगाव है. सियासी दल भी इसे समझते हैं. ममता भी इसी फॉर्मूले पर राजनीति करती आ रही हैं. बीजेपी भी इसे लेकर सजग है. यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर अमित शाह और जेपी नड्डा समेत तमाम बड़े बीजेपी नेता राज्य के दौरे पर अपने भाषणों में क्षेत्रीय अस्मिता और बंगाल के नायकों का खास उल्लेख करते हैं. आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर दोनों पार्टियों की कवायद और रफ्तार पकड़ेगी.