पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के चार चरण की वोटिंग हो चुकी है और पांचवें चरण के लिए 17 अप्रैल को मतदान है. एक तरह से बंगाल में लगभग आधे चुनाव खत्म हो गए हैं और राज्य में चुनावी अभियान समाप्त होने में महज एक पखवाड़ा बचा है. ऐसे में बीजेपी ने बंगाल की चुनावी जंग को फतह करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है जबकि कांग्रेस के बड़े नेता मैदान से गायब हैं. वहीं, असम, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी के चुनाव समाप्त होने के एक सप्ताह बाद भी कांग्रेस के स्टार प्रचारक राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने बंगाल में कदम तक नहीं रखा है. ऐसे में अब भी गांधी परिवार चुनावी प्रचार में नहीं उतरता है तो कांग्रेस की रणनीति पर सवाल खड़े होना लाजमी है?
देश के 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने खुद को अभी तक बंगाल से दूर रखा है. राहुल ने चुनावी अभियान में ज्यादातर वक्त दक्षिण भारत के राज्य केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी में गुजारा. इसके अलावा करीब आधा दर्जन रैलियां असम में की थीं. ऐसे ही कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने अपना पूरा फोकस असम के चुनाव प्रचार में लगा रखा था और आखिर में केरल में उतरकर प्रचार करती नजर आईं.
राहुल गांधी की बंगाल में पहली रैली कब
बंगाल में कांग्रेस-लेफ्ट-आईएसएफ मिलकर चुनाव लड़ रही हैं, लेकिन कांग्रेस के स्टार प्रचारक राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने अभी तक एक भी रैली बंगाल में नहीं की है. इतना ही नहीं, कांग्रेस के बड़े नेता भी बंगाल से खुद को दूर रखे हुए हैं. न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट की मानें तो राहुल गांधी पश्चिम बंगाल में अपने चुनाव प्रचार अभियान की शुरूआत 14 अप्रैल को सिलीगुड़ी के माटीगारा-नक्सलबाड़ी क्षेत्र से करेंगे. इसके बाद उत्तर दिनाजपुर जिले के गोलपोखर में उनकी रैली होगी.
सिलीगुड़ी की माटीगारा-नक्सलबाड़ी सीट से कांग्रेस के विधायक रह चुके शंकर मालाकार बंगाल में राहुल गांधी की पहली रैली की तैयारी में जुटे हैं. उन्हें लगता है कि राहुल गांधी के उतरने से बंगाल में कांग्रेस गठबंधन को राजनीतिक तौर पर फायदा मिलेगा. मालाकर ने कहा कि अभी तक राहुल गांधी असम और केरल के चुनाव प्रचार करने में व्यस्त थे, लेकिन हमें खुशी है कि राहुल अब बंगाल आ रहे हैं. कांग्रेस के लिए आने वाले चरण के चुनाव काफी महत्वपूर्ण हैं.
हालांकि, एक अहम सवाल है कि कांग्रेस बंगाल में 92 सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ रही है. ऐसे में राहुल गांधी आधे चुनाव खत्म होने के बाद बंगाल के रण में उतरकर कांग्रेस की नैया पार लगा पाएंगे, क्योंकि इस बार जिस तरह से ममता और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर है. कांग्रेस-लेफ्ट इस लड़ाई में कहीं नजर नहीं आ रही हैं. ऐसे में राहुल कांग्रेस की नैया कैसे पार लगाएंगे?
कांग्रेस को अपनी सीटें बचाए रखने की चुनौती
दरअसल, बंगाल में मालदा और मुर्शिदाबाद जिलों में अगले कुछ चरणों में चुनाव होने हैं, जहां मुस्लिम मतदाता काफी अहम भूमिका हैं और कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी का यहां खासा प्रभाव है. कांग्रेस को 2016 के विधानसभा चुनाव में जो 44 सीटें मिली थी उनमें ज्यादातर सीटें उत्तर बंगाल की थीं. मुर्शिदाबाद, मालदा और दिनाजपुर जैसे इलाकों में पिछली बार की तरह नतीजे दोहराने के लिए कांग्रेस को राहुल गांधी के प्रचार अभियान की दरकार है. इन इलाकों में कांग्रेस ने अच्छे खासे मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतार रखा है. बंगाल की कांग्रेस ईकाई की ओर से राहुल गांधी की टीम को राज्य में कम से कम आधा दर्जन रैलियां करने का प्लान भेजा गया है.
राहुल के अब तक प्रचार में न उतरने की क्या वजह?
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के पश्चिम बंगाल में अभी तक चुनाव प्रचार में नहीं उतरने की कई अहम वजहें मानी जा रही हैं. पहली वजह यह है कि राहुल गांधी ने अपना पूरा जोर केरल और असम जैसे राज्यों में लगा रखा था, जहां पार्टी के सरकार बनाने के पूरी उम्मीदें नजर आ रही थीं. इसके अलावा केरल में लेफ्ट के खिलाफ कांग्रेस चुनाव लड़ रही थी. राहुल गांधी ने लेफ्ट की अगुवाई वाले एलडीएफ के खिलाफ आक्रमक रुख अपना रखा था और कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ के लिए वोट मांग रहे थे.
दूसरी सबसे बड़ी वजह यह है राहुल गांधी बंगाल में बीजेपी से लड़ रही ममता बनर्जी के खिलाफ प्रचार कर उनको कमजोर करने के आरोप लेकर केंद्रीय राजनीति में सहयोगी दलों की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहते थे. सपा, आरजेडी, जेएमएम, शिवसेना, एनसीपी जैसे दल ममता का समर्थन कर चुके हैं. इतना ही नहीं, सपा नेता जया बच्चन और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव तो ममता के पक्ष में प्रचार भी कर चुके हैं. वहीं, ममता बनर्जी खुद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी सहित तमाम विपक्षी नेताओं को पत्र लिखकर बीजेपी के खिलाफ एकजुट होने की अपील कर चुकी हैं. ऐसे में राहुल गांधी के चुनाव प्रचार में उतरने से ममता बनर्जी की नाराजगी कांग्रेस को लेकर बढ़ सकती हैं. हालांकि, अब बंगाल में कांग्रेस के इलाके वाली सीटों पर चुनाव है, ऐसे में राहुल गांधी नहीं उतरते तो उन पर सवाल खड़े होना लाजमी है.